यह ख़बर 22 नवंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

संसद के गलियारों तक पहुंचा एफडीआई का बवंडर

खास बातें

  • संसद के शीतकालीन सत्र की गुरुवार को हंगामेदार शुरुआत हुई। बहु-ब्रांड खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और प्रोन्नति में दलितों तथा जनजातियों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर हंगामे के कारण राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही बाधित हुई।
नई दिल्ली:

संसद के शीतकालीन सत्र की गुरुवार को हंगामेदार शुरुआत हुई। बहु-ब्रांड खुदरा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और प्रोन्नति में दलितों तथा जनजातियों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर हंगामे के कारण राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही बाधित हुई।

इस शोर शराबे के बीच तृणमूल कांग्रेस के अवश्विास प्रस्ताव को लोकसभा में विपक्षी सांसदों का समुचित समर्थन नहीं मिल पाया और इसे खारिज कर दिया गया।

तृणमूल प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और वामपंथी पार्टियों की खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर उनके अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन नहीं करने के लिए आलोचना की।

शीतकालीन सत्र शुरू होने से कुछ मिनट पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार संसद में सभी मुद्दों पर चर्चा करना चाहती है और सत्र के सुचारू संचालन में सभी पार्टियों का सहयोग चाहती है। वैसे उनकी इस अपील पर विपक्ष ने कोई ध्यान नहीं दिया।

सिंह ने उम्मीद जताई कि राज्यसभा व लोकसभा सदस्य देश के सामने मौजूद मुद्दों व चुनौतियों पर एकजुट होकर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा, "हम दोनों सदनों में सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं।"

भाजपा और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) दोनों ने लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार से अनुरोध किया कि उनकी उस नोटिस पर मतदान कराए, जिसमें उन्होंने बहु-ब्रांड खुदरा में विदेशी निवेश का विरोध किया है। कुमार ने कहा कि नोटिस पर विचार किया जा रहा है।

लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर सभी पार्टियों की सलाह लेने के वादे से मुकर रही हैं।

सरकार ने इस आरोप को खारिज किया। वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने कहा, "हमने इस वादे को नहीं तोड़ा है।"

भाजपा ने उनके खिलाफ राज्य सभा में एफडीआई मुद्दे पर उनके वादे पर विशेषाधिकार हनन नोटिस दिया था।

लोकसभा में तृणमूल के अविश्वास प्रस्ताव को सिर्फ बीजू जनता दल के चार सांसदों का ही समर्थन मिला, जिन्होंने सितम्बर में आर्थिक सुधार के मुद्दे पर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) को छोड़ दिया था।

संप्रग का समर्थन करने वाली मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी ने भी खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर सरकार का विरोध किया लेकिन कहा कि लोकसभा की अध्यक्ष तय करेंगी कि किस नियम के तहत इस पर बहस होगी।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक बिना मतदान के प्रावधान के बहस को मंजूर किया जा सकता है।

सूत्र के मुताबिक चूंकि यह वित्तीय मामला नहीं है, इसलिए यदि सरकार एफडीआई पर मतदान में हार भी जाती है, तो भी इसके सामने कोई खतरा नहीं है।

दोपहर दो बजे पहले दिन के सत्र को स्थगित किए जाने से पहले लोकसभा की कार्यवाही को चार बार स्थगित किया गया।
राज्य सभा में भी भारी बहस हुई, लेकिन एक अतिरिक्त मुद्दे पर।

इससे पहले समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के सदस्य अध्यक्ष के आसन के सामने जमा हो गए।

समाजवादी पार्टी ने जहां रसोई गैस मूल्य वृद्धि में वापसी की मांग की, वहीं बसपा ने उत्तरप्रदेश में कानून और व्यवस्था की समस्या उठाई।

बसपा की प्रमुख मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी ने सरकारी नौकरियों में दलितों और जनजातियों को प्रोन्नति सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा कानून नहीं लाए जाने पर राज्य सभा की प्रक्रिया बाधित की। कार्यवाही के लगातार बाधित होने के कारण इसे दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया।

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संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसम्बर को समाप्त होगा जबकि इसमें केवल 16 कामकाजी दिन होंगे। इस सत्र में 25 विधेयकों को पारित करने की कोशिश की जाएगी और 10 विधेयक को पेश किया जाएगा।