यह ख़बर 16 मई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

अदालत का शिंदे को तलब करने के सम्बंध में आदेश शुक्रवार को

खास बातें

  • याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि गृहमंत्री ने जानबूझकर ‘अपमानजनक’ टिप्पणी की ताकि ‘समुदायों के बीच नफरत पैदा किया जा सके।’
नई दिल्ली:

दिल्ली की एक अदालत ने ‘हिंदू आतंकवाद’ सम्बंधी कथित टिप्पणी के लिए गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के खिलाफ दायर मानहानि के मामले में उन्हें तलब करने के सम्बंध में अपना आदेश शुक्रवार तक के लिए आज टाल दिया।

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अमिताभ रावत ने कहा कि उन्होंने पूरा आदेश तैयार नहीं किया है। उन्हें याचिका पर आज फैसला सुनाना था। उन्होंने इसे अब कल के लिए सूचीबद्ध किया है।

मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘‘मैंने पूरा आदेश तैयार नहीं किया है। इसलिए कल आइए। मैं कल अपराह्न 2.00 बजे आदेश दूंगा।’’ अदालत ने याचिकाकर्ता वीपी कुमार का साक्ष्य पहले ही दर्ज कर लिया है। अदालत ने कुमार के वकील मोनिका अरोड़ा की बात सुनी। उन्होंने आरोप लगाया था कि गृहमंत्री ने जानबूझकर ‘अपमानजनक’ टिप्पणी की ताकि ‘समुदायों के बीच नफरत पैदा किया जा सके।’

कुमार ने अपनी याचिका में कहा कि शिंदे की टिप्पणी का लक्ष्य साल 2014 के आम चुनावों में ‘अल्पसंख्यक मतों का ध्रुवीकरण’ है।

याचिका में कहा गया था, ‘‘जिस बयान को चुनौती दी गई है स्वाभाविक अर्थों में वह न सिर्फ मानहानिकारक है बल्कि उसमें यह इशारा भी है कि हिंदू धर्म राष्ट्र विरोधी और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मंत्री ने भगवा शब्द का इस्तेमाल आतंकवाद के पर्याय के तौर पर किया है जो बिल्कुल बेतुका, गलत, शरारतपूर्ण और मानहानिकारक है।’’

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याचिका के अनुसार शिंदे ने इस साल की शुरुआत में जयपुर में कांग्रेस की बैठक को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘हमें एक जांच रिपोर्ट मिली है कि चाहे वह आरएसएस हो या भाजपा, उनके प्रशिक्षण शिविर हिंदू आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। हम इसपर कड़ी निगरानी रख रहे हैं।’’