Coronavirus : मास्क और सैनेटाइजर की मनमानी कीमत वसूलने पर सरकार ने उठाया सख्त कदम

मास्क और सैनिटाइजर को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत शामिल किया गया, उल्लंघन करने वाले को होगा सात साल का कारावास

Coronavirus : मास्क और सैनेटाइजर की मनमानी कीमत वसूलने पर सरकार ने उठाया सख्त कदम

सरकार ने मास्क और सैनिटाइजर की मनमानी कीमतें वसूले जाने पर सख्त कदम उठाए हैं.

खास बातें

  • कालाबाजारी करने पर 6 माह के लिए नजरबंद किया जा सकता है
  • एमआरपी से ज़्यादा कीमत नहीं वसूली जा सकेगी
  • केंद्र ने राज्यों को मामलों में कार्रवाई करने के लिए कहा
नई दिल्ली:

देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) का फैलाव हो रहा है. ऐसे समय मास्क और सैनिटाइजर की मांग बढ़ गई है जबकि बाजार में इनकी अनुपलब्धता, कालाबाजारी और मनमानी कीमतें वसूले जाने की शिकायत मिल रही हैं. केंद्र सरकार ने मास्क (Mask) , सैनिटाइजर (Sanitizer) और ग्लब्स को लेकर डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लगाया है. कालाबाजारी और ज़्यादा कीमतों पर बिकने को लेकर यह पहल की गई है. नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी से कहा गया है कि उपलब्धता और कीमत पर नज़र रखें. सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ध्यान रखें कि जो एमआरपी पैक पर हो उससे ज़्यादा कीमत न वसूली जाए.

राज्यों और केंद्र शासितप्रदेशों की सरकारों को निर्देश दिए गए हैं कि उत्पादन और उपलब्धता को लेकर खास ध्यान रखें कि जमाखोरी और कालाबाज़ारी न हो पाए. आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अब मास्क और हैंड सैनेटाइजर भी आएंगे.

विगत कुछ सप्ताहों के दौरान कोविड-19 (Coronavirus) के मौजूदा प्रकोप और कोविड-19 प्रबंधन के लिए लॉजिस्टिक संबंधी चिंताओं के परिप्रेक्ष्य में सरकार ने कदम उठाए हैं. मास्क (2 प्लाई एवं 3 प्लाई सर्जिकल मास्क, एन95 मास्क) और हैंड सैनिटाइजर या तो बाजार में अधिकांश विक्रेताओं के पास उपलब्ध नहीं है अथवा बहुत अधिक कीमतों पर काफी मुश्किल से उपलब्ध हो रहे हैंय सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की अनुसूची में संशोधन करते हुए इन वस्तुओं को 30 जून 2020 तक आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत आवश्यक वस्तु के रूप में घोषित करने के लिए एक आदेश जारी किया है.

सरकार ने विधिक माप विज्ञान अधिनियम के तहत एक एडवाइजरी भी जारी की है. आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत राज्य, विनिर्माताओं के साथ विचार-विमर्श करके उनसे इन वस्तुओं की उत्पादन क्षमता बढ़ाने, आपूर्ति श्रृंखला को सुचारू बनाने के लिए कह सकते हैं. जबकि विधिक माप विज्ञान अधिनियम के तहत राज्य इन दोनों वस्तुओं के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी.) पर बिक्री सुनिश्चित कर सकते हैं.

इन दोनों वस्तुओं के संबंध में राज्य अपने शासकीय राजपत्र में अब केंद्रीय आदेश को अधिसूचित कर सकते हैं और इसके लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अपने स्वयं के आदेश भी जारी कर सकते हैं. संबंधित राज्य वहां की परिस्थितियों के अनुसार कार्रवाई कर सकते हैं. आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत, केंद्र सरकार की शक्तियां वर्ष 1972 से 1978 के आदेशों के माध्यम से राज्यों को पहले ही दी जा चुकी हैं. इसलिए राज्य/संघ राज्य क्षेत्र आवश्यक वस्तु अधिनियम और चोरबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम के तहत उल्लंघनकर्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई कर सकते हैं.

आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत किसी उल्लंघनकर्ता को सात वर्ष के कारावास अथवा जुर्माने अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है तथा चोरबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम के तहत, उसे अधिकतम 6 माह के लिए नजरबंद किया जा सकता है.

राज्यों को उक्त दोनों वस्तुओं के संबंध में उपभोक्ताओं द्वारा शिकायतें दर्ज कराने के लिए राज्य उपभोक्ता हेल्पलाइन का प्रचार करने की सलाह भी दी गई है. इस संबंध में उपभोक्ता अपनी शिकायतें राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन नम्बर 1800-11-4000 पर तथा ऑनलाइन शिकायतें www.consumerhelpline.gov.in, विभाग की वेबसाइट www.consumeraffairs.nic.in, dsadmin-ca@nic.in और dirwm-ca@nic.in, secy.doca@gov.in पर भी दर्ज करा सकते हैं.

VIDEO : मास्क और सैनिटाइजर के अवैध स्टाक पर छापा

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