सुप्रीम कोर्ट तक जाकर सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों के ख़िलाफ़ बक़ाया वसूली का जो मुक़दमा जीता, क्या अब वो ख़ुद उसमें कुछ ढील देने की तैयारी कर रही है? सूत्रों के मुताबिक इसके लिए बाक़ायदा सचिवों की एक समिति बनाई जा रही है. भारती एयरटेल पर भारत सरकार के 23,000 करोड़ बक़ाया हैं जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 3 महीनों में चुकाए जाने हैं. इसी तरह अलग-अलग टेलीकॉम कंपनियों से कुल 92,000 करोड़ रुपये भारत सरकार को वसूलने हैं. सूत्रों के मुताबिक एयरटेल के प्रमुख सुनील भारती मित्तल और राजेंद्र मित्तल कल टेलीकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद से मिले. इन्होंने कहा कि इतना भारी बक़ाया देना टेलीकॉम कंपनियों के लिए आसान नहीं है. इसके बाद सरकार ने कैबिनेट सचिव के मातहत सचिवों की समिति बनाने का फ़ैसला किया है. ये कमेटी टेलीकॉम सेक्टर पर वित्तीय बोझ कम करने के लिए सुझाव देगी. टेलीकॉम कंपनियां चाहती हैं कि अगले दो साल तक उनसे लिया जाने वाला सस्पेक्ट्रम ऑक्शन पेमेंट टाल दिया जाए. स्पेक्ट्रम इस्तेमाल का चार्ज कम करने की दूरसंचार कंपनियों की मांग पर भी विचार किया जा सकता है.
इन टेलीकॉम कंपनियों ने सरकार को चुकाया स्पेक्ट्रम का बकाया 4,500 करोड़ रुपये
डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकम्यूनिकेशन के मुताबिक पिछले दो साल में टेलीकॉम कंपनियों का ग्रॉस रेवेनुए घटा है जिस वजह से टेलीकॉम सेक्टर संकट में है. सूत्रों के मुताबिक सचिवों की समिति इस बात पर विचार करेगी की टेलीकॉम सेक्टर में कॅश फ्लो कैसे इम्प्रूव किया जाये.
टेलीकॉम विशेषज्ञ महेश उप्पल ने एनडीटीवी से कहा, "अगर इस भुगतान को कुछ दिन के लिए टाला जाता है तो टेलीकॉम को थोड़ी राहत मिलेगी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मौजूदा टेलीकॉम लाइसेंस राज पर फिर से विचार करने की ज़रूरत है."
सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक टेलीकॉम सेक्टर पर करीब 4 लाख करोड़ का कर्ज़ का बोझ है. शायद मंदी के इस दौर में सरकार इनको और संकट में डालना नहीं चाहती.
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