फाइल फोटो
नई दिल्ली:
जलवायु परिवर्तन से प्रशांत महासागर क्षेत्र और एशिया के देशों में भयानक प्रभाव पड़ सकता है. यह चेतावनी एक नई रिपोर्ट में दी गई है और कहा गया है कि 2030 के दशक में दक्षिण भारत में धान के पैदावार में पांच प्रतिशत तक की गिरावट देखी जा सकती है. एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और पोटस्डम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च (पीआईके) ने रिपोर्ट में दावा किया है कि असंतुलित जलवायु परिवर्तन से वर्तमान में होने वाले विकास के विपरीत इन देशों का विकास भविष्य में गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है और जीवन की गुणवत्ता में कमी आएगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया विशेषकर चीन, भारत, बंग्लादेश और इंडोनेशिया में भारी संख्या में लोग रहते हैं जिससे जनसंख्या विस्फोट की आशंका है. इसमें कहा गया है कि इस बीच बुरी से बुरी परिस्थितियों में बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान के निचले तटीय इलाके में 13 करोड़ लोगों के समक्ष इस सदी के अंत तक विस्थापित होने का खतरा है.
इसमें बताया गया है, ''भारत के उत्तरी राज्यों में चावल की पैदावार बढ़ सकती है जबकि दक्षिणी राज्यों में 2030 के दशक में इसमें पांच प्रतिशत, 2050 के दशक में 14.5 प्रतिशत और 2080 के दशक में 17 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है.''
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया विशेषकर चीन, भारत, बंग्लादेश और इंडोनेशिया में भारी संख्या में लोग रहते हैं जिससे जनसंख्या विस्फोट की आशंका है. इसमें कहा गया है कि इस बीच बुरी से बुरी परिस्थितियों में बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान के निचले तटीय इलाके में 13 करोड़ लोगों के समक्ष इस सदी के अंत तक विस्थापित होने का खतरा है.
इसमें बताया गया है, ''भारत के उत्तरी राज्यों में चावल की पैदावार बढ़ सकती है जबकि दक्षिणी राज्यों में 2030 के दशक में इसमें पांच प्रतिशत, 2050 के दशक में 14.5 प्रतिशत और 2080 के दशक में 17 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है.''
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