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This Article is From Feb 04, 2016

भारतीय नौसेना दिखा रही है अपनी ताकत... चीन यहां मौजूद है, पाकिस्तान नहीं

भारतीय नौसेना दिखा रही है अपनी ताकत... चीन यहां मौजूद है, पाकिस्तान नहीं
विशाखापट्टनम: बंगाल की खाड़ी में शांत लहरें आज शांत नहीं हैं, क्योंकि यहां रह-रहकर एडवांस्ड जेट ट्रेनरों (हॉक एजेटी) की गर्जना सुनाई दे रही है, जो आसमान का सीना चीरते हुए उड़े जा रहे हैं। हमारे ठीक सामने दिख रहा है एलसीवीपी (Landing Craft, Vehicles and Personnel), जो 'अंतिम हमले' की तैयारी में किनारे की ओर बढ़ा चला जा रहा है। यह 'अंतिम हमला' दरअसल एक प्रदर्शन है, जिसे देखने के लिए इस सप्ताह के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां मौजूद होंगे।

पास ही नज़र आ रहा है आईएनएस विक्रमादित्य, जिसे आमतौर पर 'नौसेना का सम्मान' कहा जाता है। पूर्व में 'एडमिरल गोर्शकोव' के नाम से जाना जाने वाला 45,400 टन वज़न का कैरियर पोत आईएनएस विक्रमादित्य भी सामने ही नज़र आ रहा है, जो भारत का सबसे बड़ा नौसैनिक जहाज़ है, और इसे 2013 में सेना में शामिल किया गया था। यहां आईएनएस विक्रमादित्य पूरे जलाल में दिख रहा है, जिस पर से मिग-29-के/केयूबी विमान उड़ान भर रहे हैं।
 

उसके ठीक पीछे दिखाई दे रहा है नौसेना का दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विराट, और यह लगभग निश्चित रूप से उसकी आखिरी यात्रा है, क्योंकि उसे इसी साल डी-कमीशन किया जाना है।

हम विशाखापट्टनम के तट के निकट एक टग बोट में सवार हैं, और इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू (आईएफआर) का पूर्वाभ्यास देख रहे हैं। यह भारत के इतिहास में कुल दूसरा मौका है, जब यहां ग्लोबल रिव्यू हो रहा है। चार दिन तक चलने वाले इस रिव्यू में 50 देशों के 100 जहाज़, 24 विदेशी युद्धपोत तथा 4,000 नौसैनिक हिस्सा लेंगे। भारतीय नौसेना की ताकत और तैयारी का मुज़ाहिरा करने के लिए आयोजित इस रिव्यू में कुछ देशों की मौजूदगी और कुछ की गैर-मौजूदगी भी अपनी अलग ही कहानी बयान कर रही है।

पाकिस्तान यहां नहीं है, जबकि चीन पहली बार यहां है। पाकिस्तान में बलोचिस्तान प्रांत के ग्वादार पोर्ट, श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट और बांग्लादेश के सोनादिया डीपवॉटर पोर्ट में चीन के निवेश को विश्लेषक साफ-साफ दक्षिण एशिया में भारतीय प्रभुत्व के खिलाफ प्रभाव बढ़ाने की चीनी कोशिशों के रूप में देखते हैं। इसलिए चीन की रिव्यू में मौजूदगी खासतौर से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि यहां भारत उसके सामने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर सकता है।
 
इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू के महत्व तथा हिन्द महासागर में प्रभाव बढ़ाने की चीन की कोशिशों के संदर्भ में हमने भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आरके धवन से एक्सक्लूसिव बातचीत की।

NDTV: जो लोग नौसेना से परिचित नहीं हैं, जिनकी पृष्ठभूमि फौजी नहीं है, उनके लिए फ्लीट रिव्यू ब्रिटिश काल की परंपरा है, क्योंकि सम्राट या साम्राज्ञी अपने फ्लीट का रिव्यू किया करते थे। भारतीय संदर्भ में इसका क्या महत्व है, और ऐसा सिर्फ दूसरी बार क्यों हो रहा है?

नौसेना प्रमुख : जैसा आपने कहा, यह पुरानी परंपरा है, और कुल मिलाकर यह 11वां रिव्यू है। पहला रिव्यू 1953 में हुआ था। हर राष्ट्रपति अपने कार्यकाल में एक बार फ्लीट रिव्यू किया करते हैं। जैसा आपने कहा, यह दूसरा इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू है। पहली बार यह 2001 में मुंबई में हुआ था, जहां 29 नौसेनाओं ने भाग लिया था, जबकि इस बार दुनिया के 50 देश दोस्ती के पुलों को मजबूत करने आए हैं।
 

NDTV: 22 नौसेना प्रमुख, बहुत-से देशों से आए 4,000 नाविक और हमारे मिलाकर लगभग 100 जहाज़... बेशक, बहुत शानदार लगता है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि कुछ देश यहां हैं, और कुछ नहीं हैं। क्या हमें इस बात से हैरानी होनी चाहिए कि पाकिस्तान यहां नहीं हैं?

नौसेना प्रमुख : जैसा मैंने कहा, यह रिव्यू है, जिसमें दुनियाभर से बहुत-से देशों की नौसेनाएं भाग ले रही हैं। यहां बहुत-से नौसेना प्रमुख हैं, शिष्टमंडलों के 26 अध्यक्ष हैं, अन्य नौसेनाओं के 24 युद्धपोत हैं, और 50 देशों का प्रतिनिधित्व किया जा रहा है। कुल मिलाकर लगभग 100 जहाज़ भाग लेंगे, जिनमें 71 भारतीय नौसेना के हैं, 24 विदेशी युद्धपोत हैं, और उनके अलावा कोस्ट गार्ड, मर्चेंट नेवी तथा निगरानी पोत भी शामिल हैं। यह दरअसल इशारा है कि हमारी नौसैन्य क्षमता कितनी और कैसी है। भारत की सीमाएं समुद्र से सटी हैं, और अपनी क्षमताएं प्रदर्शित करने का एक तरीका यह रिव्यू है, जब हम अपने सुप्रीम कमांडर, यानी राष्ट्रपति, के सामने अपनी क्षमताएं दिखाते हैं। हां, यहां बहुत देश हैं, और कुछ नहीं हैं। पाकिस्तान नहीं है, चीन है, और चीन उन चंद देशों में से है, जिसने जहाज़ भी भेजे हैं, और शिष्टमंडल भी।
 

NDTV: मैं चीन के बारे में कुछ देर बाद बात करना चाहूंगी, लेकिन क्या यह कहना सही होगा पाकिस्तान एकमात्र देश है, जिसे न्योता दिया गया था, लेकिन जो शामिल नहीं हुआ?

नौसेना प्रमुख : बात यह है कि हमें यह जानकारियां हमारे दूतावासों से मिलती है, और मैंने जो बताया, वह उन्हीं पर आधारित है कि पाकिस्तान शामिल नहीं हुआ है।
 

 

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