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This Article is From Jun 20, 2017

मसूद अजहर और न्यूक्लियर ग्रुप के मुद्दे पर भारत की राह में चीन फिर अटकाएगा रोड़ा

चीन का कहना है कि जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के खिलाफ कदम उठाने के लिए ठोस सबूतों की जरूरत है.

मसूद अजहर और न्यूक्लियर ग्रुप के मुद्दे पर भारत की राह में चीन फिर अटकाएगा रोड़ा
जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: चीन ने जहां एक बार फिर साफ तौर पर कह दिया है कि वह परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में प्रवेश को लेकर उसके रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है. चीन के इस बयान से भारत के 48-सदस्यीय एनएसजी में समूह की अगले सप्ताह होने वाली बैठक में प्रवेश की संभावना को फिर झटका पहुंचा है. अब चीन ने पाकिस्तान स्थित जैश-ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध को एक बार फिर बाधित करने का संकेत दिया है. चीन का कहना है कि जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया के खिलाफ कदम उठाने के लिए ठोस सबूतों की जरूरत है. भारत का कहना है कि उसने अजहर पर प्रतिबंध के लिए 'ठोस सबूत' पेश किए हैं और उसमें पाक स्थित इस आतंकवादी की गतिविधियों का पूरा ब्योरा है.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग की टिप्पणियां संयुक्त राष्ट्र की 1267 समिति की अगले माह होने जा रही समीक्षा से पहले अजहर के मुद्दे पर पूछे गए सवाल के जवाब में आईं. गेंग ने बीजिंग में संवाददाताओं से कहा, 'अपने रुख के बारे में हम कई बार बात कर चुके हैं. हमारा मानना है कि लक्ष्य एवं पेशेवर तथा न्याय संबंधी सिद्धांतों को बरकरार रखा जाए.' संवाददाताओं ने गेंग से पूछा था कि अजहर पर संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंध लगाने के भारत के कदम पर चीन द्वारा बार-बार लगाई जाने वाली तकनीकी रोक को लेकर क्या कोई अग्रगामी कदम है.

उन्होंने कहा 'वर्तमान में, इस सूचीबद्ध मामले को लेकर कुछ सदस्यों में असहमति बरकरार है. चीन इस मुद्दे पर सामयिक पक्षों के साथ सहयोग और संवाद के लिए तैयार है.'

फरवरी में चीनी अधिकारियों के साथ रणनीतिक वार्ता कर चुके विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा, 'अजहर के मामले में, जैश खुद 1267 के तहत निषिद्ध है, इसलिए सबूत तो 1267 समिति की कार्रवाई में है. इस मामले में जो कुछ भी उसने किया है, उसकी गतिविधियों का विस्तृत ब्योरा है.' उन्होंने कहा, 'ऐसा नहीं है कि समझाने के लिए सबूत का जिम्मा भारत का ही है. प्रायोजक (अमेरिका और अन्य देश) भी इस बात से सहमत प्रतीत होते हैं, अन्यथा वे प्रस्ताव पेश करने की पहल नहीं करते' जयशंकर का इशारा अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा अजहर के खिलाफ कार्रवाई पर जोर दिए जाने के संबंध में था.

अजहर के मुद्दे पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के बयान से पहले ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की दो-दिवसीय बैठक हुई थी, जिसमें आतंकवाद से निपटने और इसकी रोकथाम के लिए एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाने पर कड़ा रुख अपनाया गया था. बैठक में हिस्सा लेने वाले विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने कहा था कि अच्छे और बुरे आतंकवादी पर अस्पष्टता खत्म करते हुए ब्रिक्स को संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद पर एक व्यापक घोषणापत्र का समर्थन करना चाहिए.
(इनपुट एजेंसी से)

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