दिल्ली समेत भारत के कई राज्यों में कोरोनावायरस के हॉटस्पॉट्स की पहचान कर उन्हें सील कर दिया गया है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, जो कि कोरोनावायरस के खिलाफ जंग में नोडल संस्था का काम कर रही है, ने इन हॉटस्पॉट्स में टेस्टिंग की शुरुआत कर दी है. अभी हॉटस्पॉट्स में जिन लोगों की कोरोनावायरस को लेकर टेस्टिंग की जा रही है जिनमें कोरोनावायरस के लक्षण 1 हफ्ते से दिखाई दे रहे हैं. भले ही वे कोरोना पॉजीटिव मरीजों से संपर्क में आए हो या नहीं. बता दें कि पिछले 20 दिनों में लोगों की पांच श्रेणियों के मुताबिक ही टेस्ट किए जा रहे हैं.
जिन लोगों को टेस्ट किया जा रहा है उनमें वे लोग शामिल है पिछले 14 दिन में जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय यात्रा की है, कोरोना संक्रमित लोगों के संपर्क में आए हैं, जिन स्वास्थ्यकर्मियों में कोरोनावायरस के लक्षण नजर आ रहे हैं, जिन मरीजों को सांस लेने संबंधी बीमारी है या वे लोग जो सीधे तौर पर कोरोना पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आए या जिन्हें सबसे ज्यादा कोरोना होने का खतरा है.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने अपनी योजना बदली है और वह अब बुखार, जुकाम,गला खराब,खासी के मामलों की भी टेस्टिंग कर रही है. टेस्ट के दायरे को इसलिए भी बढ़ाया गया है क्योंकि सरकार इस पर विचार कर रही है कि लॉकडाउन को हटाया जाए या नहीं जो कि 15 अप्रैल को खत्म हो रहा है.
कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के साथ राज्यों ने लॉकडाउन को बढ़ाने के सुझाव दिए हैं. एक साथ अर्थव्यवस्था और खेती के मौसम को ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन हटाने पर भी विचार किया जा रहा है. उम्मीद की जा रही है कि लॉकडाउन चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा और हॉटस्पॉट सील ही रहेंगे.
विशेषज्ञों की राय है कि कोरोनावायरस को लेकर जितने टेस्ट किए जाए उतने कम हैं. भारत में 133 करोड़ की आबादी में से सिर्फ 1,27,000 लोगों के टेस्ट किए गए हैं.
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