तीन तलाक पर अध्यादेश लाने में जल्दबाजी न करे केंद्र सरकार: मुस्लिम लीग

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर ने कहा कि तीन तलाक इस्लामिक रीति-रिवाजों का अभिन्न हिस्सा है और इसे संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है.

तीन तलाक पर अध्यादेश लाने में जल्दबाजी न करे केंद्र सरकार: मुस्लिम लीग

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला.

खास बातें

  • 11 से 18 मई तक हुई है रोजाना इस केस की सुनवाई
  • इसे शादी तोड़ने का सबसे खराब तरीका बताया
  • पापी प्रथा आस्था का विषय कैसे हो सकती है
तिरुवनंतपुरम:

सुप्रीम कोर्ट की ओर से तीन तलाक को 'असंवैधानिक' करार दिए जाने के बाद केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार को तीन तलाक पर अध्यादेश लाने में बेवजह जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए. आईयूएमएल के वरिष्ठ नेता और मलाप्पुरम से लोकसभा सदस्य पी.के. कुन्हालिकुट्टी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए छह महीने का समय दिया है. इसे देखते हुए केंद्र को इस पर अध्यादेश लाने में जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए और इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए.

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कुन्हालिकुट्टी ने कहा, "संसद को इस मुद्दे पर बहस और चर्चा करनी चाहिए..इसके लिए छह महीने का समय है."

पांच न्यायाधीशों की सदस्यता वाली संविधान पीठ ने मंगलवार को दो के मुकाबले तीन मतों से फैसला सुनाते हुए कहा कि तीन तलाक को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त नहीं है.

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न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ, न्यायमूर्ति रोहिंगटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति उमेश ललित ने कहा कि तीन तलाक इस्लाम का मौलिक रूप से हिस्सा नहीं है, यह कानूनी रूप से प्रतिबंधित है और इसे शरीयत से भी मंजूरी नहीं है.

वहीं, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर ने कहा कि तीन तलाक इस्लामिक रीति-रिवाजों का अभिन्न हिस्सा है और इसे संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है.

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न्यायमूर्ति खेहर ने अपने फैसले में संसद से इस मामले में कानून बनाने की अपील की.

हालांकि, उन्होंने मुस्लिम पुरुषों को अगले छह माह के लिए तीन तलाक से रोकते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों से अपील की कि वे अपने मतभेदों को भूलकर इससे संबंधित कानून बनाएं.

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लोकसभा सदस्य ई.टी. मोहम्मद बशीर ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस मुद्दे पर चर्चा करेगा.

इनपुट: IANS

 


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