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यूपीए सरकार के दौर में हुए इन सौदों से खजाने को ‘भारी’ नुकसान का आरोप
111 विमानों की खरीद के सरकार के फैसले पर कैग ने 2011 में सवाल उठाया था
सीबीआई ने फैसलों की जांच के लिए तीन FIR और एक प्रारंभिक जांच दर्ज की
सीबीआई ने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में इन दोनों कंपनियों के संबंध में किए गए विवादास्पद फैसलों की जांच के लिए तीन एफआईआर और एक प्रारंभिक जांच दर्ज की है. इसमें मुनाफे वाले मार्गों को निजी विमानन कंपनियों के लिए छोड़ने का मामला भी शामिल है.
सीबीआई के प्रवक्ता आरके गौड़ ने कहा कि एयर इंडिया व नागर विमानन मंत्रालय के अज्ञात अधिकारियों और अन्य के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी तथा भ्रष्टाचार के आरोप में मामले दर्ज किए गए हैं. प्रवक्ता ने कहा कि ये मामले यूपीए सरकार के कार्यकाल में मंत्रालय द्वारा लिए गए फैसलों से संबंधित हैं, जिससे सरकार को हजारों करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ.
पहली एफआईआर के बारे में उन्होंने कहा कि आरोप राष्ट्रीय विमानन कंपनियों द्वारा 111 विमानों की खरीद के बारे में हैं जिनकी लागत 70,000 करोड़ रुपये थी. आरोप है कि इसमें विदेशी विमान विनिर्माताओं को फायदा पहुंचा. इस तरह की खरीद से पहले से ही संकट से गुजर रही राष्ट्रीय विमानन कंपनियों को वित्तीय घाटा हुआ. कैग ने 2011 में सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया था.
दूसरा मामला बड़ी संख्या में विमानों को लीज पर दिए जाने से जुड़ा है. तीसरा मामला मुनाफे वाले मार्ग विदेशी कंपनियों के लिए छोड़ने का है. एयर इंडिया के इस फैसले से कंपनी को भारी नुकसान हुआ. एजेंसी दोनों कंपनियों के विलय के सौदे के विभिन्न पहलुओं की भी जांच करेगी.
सीबीआई ने यह कदम सुप्रीम कोर्ट के 5 जनवरी के एक निर्देश के मद्देनजर उठाया है. सीबीआई सूत्रों ने कहा कि दोनों सरकारी विमानन कंपनियों के विलय के संबंध में 'सभी भागीदार' उसकी 'निगरानी' में हैं. उल्लेखनीय है कि इन कंपनियों के विलय की प्रक्रिया तत्कालीन नागर विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने 16 मार्च, 2006 को शुरू की थी.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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