चार राज्यों में 18 विधानसभा सीटों के लिए गुरुवार को हुए उपचुनाव में बड़ी संख्या में मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इन चुनावों को लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा की पहली बड़ी परीक्षा माना जा रहा है। वहीं, बिहार में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और जदयू के नीतीश कुमार के नए गठबंधन की भी परीक्षा होगी।
बिहार में दस सीटों के लिए मतदान हुआ और चारों राज्यों में सबसे कम मतदान यहीं हुआ जो 46.42 प्रतिशत रहा। वहीं कर्नाटक की तीन विधानसभा सीटों के लिए 72 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में तीन सीटों के लिए 70 फीसदी और पंजाब में दो सीटों के लिए 66 प्रतिशत मतदान हुआ।
मतगणना 25 अगस्त को होगी।
उपचुनावों में भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है क्योंकि वह 18 सीटों में से अधिकतर पर किस्मत आजमा रही है और साबित करना चाहती है कि नरेंद्र मोदी का जादू अभी कमजोर नहीं पड़ा है।
बिहार में भाजपा की शक्ति परीक्षा अधिक चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि 2010 के विधानसभा चुनावों में उसने 10 में से छह सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद लालू और नीतीश के लिए अपनी खोई हुई जमीन को पाने का मौका है।
बिहार का नतीजा अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की जनता के मिजाज की बानगी पेश कर सकता है।
कर्नाटक में चिक्कोडी-सदालगा, बेल्लारी ग्रामीण और शिकारीपुरा सीटों पर भाजपा और सत्तारूढ़ कांग्रेस के बीच करीबी संघर्ष है।
राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की प्रतिष्ठा दांव पर है क्योंकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद उन्हें अपनी लोकप्रियता को साबित करने का एक और मौका मिला है।
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