जंतर-मंतर पर भारतीय किसान यूनियन के लोग
नई दिल्ली:
देशभर से आए हजारों किसानों ने शुक्रवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर जोरदार प्रदर्शन किया। भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले आयोजित इस रैली में शामिल किसानों ने सरकार से मांग की है कि बुंदेलखंड पर श्वेत पत्र जारी किया जाए। किसानों ने राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन भी भेजा है।
रैली में किसानों को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के बुंदेलखंड के क्षेत्रीय अध्यक्ष शिवनारायण सिंह परिहार ने कहा कि पिछले 6 महीने में बुंदेलखंड के किसानों की आत्महत्या के मामलों को देखकर वहां की भयावह स्थिति के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसान खेती में अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहा है।
उन्होंने कहा कि गर्मियां आने वाली हैं और पानी को लेकर यहां हाहाकार मचने लगा है। लेकिन, समस्या के समाधान का कोई उपाय सूझ नहीं रहा है। पहले भारत सरकार की तरफ से एकमुश्त मदद मिल जाया करती थी लेकिन दो सालों से वह भी बंद है।
सिंह ने किसानों के लिए खेतों में पानी और गांव में बढ़ती बेरोजगारी का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि पानी की कमी के चलते इलाके में भयावह स्थिति बनी हुई है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड के छह जिले मध्य प्रदेश में और सात जिले उत्तर प्रदेश में आते हैं। इस वजह से बुंदेलखंड की समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कार्ययोजना बनाने में दिक्कत आती है। किसानों की ओर से राष्ट्रपति को प्रेषित ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की राज्य सरकारें सूखे और गरीबी से निपटने के लिए जो भी प्रयास कर रही हैं उससे बुंदेलखंड की स्थिति में अब तक कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है। सभी 13 जिलों में पेयजल संकट गंभीर हालत में पहुंच गया है। राष्ट्रपति को दो सूत्रीय मांगपत्र में बुंदेलखंड पर श्वेतपत्र जारी करवाने और बुंदेलखंड के लिए आपातकालीन विशेष सहायता जारी करवाने की मांग शामिल है।
रैली में किसानों को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के बुंदेलखंड के क्षेत्रीय अध्यक्ष शिवनारायण सिंह परिहार ने कहा कि पिछले 6 महीने में बुंदेलखंड के किसानों की आत्महत्या के मामलों को देखकर वहां की भयावह स्थिति के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसान खेती में अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहा है।
शिवनारायण सिंह परिहार
उन्होंने कहा कि गर्मियां आने वाली हैं और पानी को लेकर यहां हाहाकार मचने लगा है। लेकिन, समस्या के समाधान का कोई उपाय सूझ नहीं रहा है। पहले भारत सरकार की तरफ से एकमुश्त मदद मिल जाया करती थी लेकिन दो सालों से वह भी बंद है।
सिंह ने किसानों के लिए खेतों में पानी और गांव में बढ़ती बेरोजगारी का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि पानी की कमी के चलते इलाके में भयावह स्थिति बनी हुई है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड के छह जिले मध्य प्रदेश में और सात जिले उत्तर प्रदेश में आते हैं। इस वजह से बुंदेलखंड की समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कार्ययोजना बनाने में दिक्कत आती है। किसानों की ओर से राष्ट्रपति को प्रेषित ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की राज्य सरकारें सूखे और गरीबी से निपटने के लिए जो भी प्रयास कर रही हैं उससे बुंदेलखंड की स्थिति में अब तक कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है। सभी 13 जिलों में पेयजल संकट गंभीर हालत में पहुंच गया है। राष्ट्रपति को दो सूत्रीय मांगपत्र में बुंदेलखंड पर श्वेतपत्र जारी करवाने और बुंदेलखंड के लिए आपातकालीन विशेष सहायता जारी करवाने की मांग शामिल है।
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