
बीएसपी सुप्रीमो मायावती (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आज़मगढ़ पहुंच कर बसपा अध्यक्ष मायावती ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया. मुलायम सिंह यादव के चुनाव क्षेत्र में अपनी महारैली में उन्होंने कहा कि जब से बीजेपी की सरकार आई है, मुसलमानों को आतंकवाद के नाम पर शिकार बनाया जा रहा है और लव जिहाद और गौरक्षा के नाम पर उन पर जुल्म हो रहा है. मायावती ने हर हफ्ते एक महारैली करने का सिलसिला शुरू किया है. पिछले इतवार को आगरा में पहली रैली थी और आज आज़मगढ़ में इस सिलसिले की दूसरी रैली है.
मायावती जिस इलाके में लोगों से मुख़ातिब थीं, वहां तकरीबन हर चौथा शख्स मुसलमान है और अपने जिले पे दहशतगर्दी का टैग लगने से नाराज़ है. यह सही है कि अहमदाबाद धमाकों से दिल्ली धमाकों तक, और इंडियन मुजाहिद्दीन से आईएसआईएस तक से जुड़े कई लोगों के पते यहीं मिलते हैं. लेकिन यह भी सच है कि यह कैफी आज़मी, राहुल संकृत्यायन और अलम्मा शिब्ली नौमानी की भी सरज़मीं है. लेकिन आज वह कम याद किए जाते हैं इसलिए आज यहां का मुसलमान बेचैन है. 
मायावती ने उनकी दुखती रग छूने की कोशिश की और कहा 'जब से मोदी सरकार आई है मुसलमान दहशत में है. उनके साथ सौतेला बर्ताव हो रहा है. पूरे प्रदेश में सांप्रदायिक ताकतों के मज़बूत होने से लव जिहाद, गोरक्षा, हिंदु राष्ट्र के नाम पर मुसलमानों का शोषण हो रहा है. आतंकवाद के नाम पर मुसलमान को शक की नज़र से देखा जा रहा है जिसका हमारी पार्टी विरोध करती है.'
मायावती ने करीब घंटे भर लंबे भाषण में पूरे पौन घंटे मोदी और बीजेपी पर हमले किए. कहते हैं कि वह सबसे ज्यादा बीजेपी से लड़ती हुई दिखना चाहती हैं ताकि मुसलमान वोट खींच सकें. उन्होंने 100 से ज्यादा टिकट मुसलमानों को दे दिए हैं. यही नहीं, आज़मगढ़ की 10 में से 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार का ऐलान कर चुकी हैं जिनमें से 3 मुसलमान हैं.

उन्होंने ललित मोदी कांड, माल्या कांड, पूंजीपतियों की कर्ज माफी, सरकारी संस्थाओं में आरएसएस के लोगों की भर्ती के लिए मोदी सरकार पर हमले किए. मायावती ने बीएसपी से निकले लोगों के बीजेपी में जाने पर कहा 'बीजेपी की हालत तो इतनी ज्यादा खराब है कि अब यह पार्टी बीएसपी के रिजेक्टेड माल को भी लेने में शरमाती नहीं और उनके गले में अमित शाह पट्टा पहनाते हैं. दलित वोट के लिए सेंध लगाने के लिए भी बीजेपी के लोग घिनौनी चाल चल रहे हैं.'
मायावती ने पूर्वांचल के पिछड़ेपन का मुद्दा उठाया और सफाई दी कि 'तिलक तराजू और तलवार' वाला नारा उनका नहीं था. वह ऊंची जाति के साथ हैं. उन्होंने मुजफ्फरनगर, दादरी, मथुरा और बुलंदशहर कांड गिनाए और प्रदेश सरकार पर अराजकता और जातिवाद का इल्ज़ाम लगाया. बीएसपी छोड़ने के मुद्दे पर कहा 'यह लोग प्रचार कर रहे हैं कि बीएसपी में भगदड़ मची है. यह भी कह रहे हैं कि टिकट बेचे जा रहे हैं. मैं पूछना चाहती हूं कि जब बीएसपी में भगदड़ मची है तो फिर ऐसी खराब हालत में इस पार्टी का टिकट कौन खरीद रहा है.'
सन 2012 के विधानसभा चुनावों ने मायावती से यूपी की सत्ता छीन ली और 2014 के लोकसभा चुनावों ने उन्हें यहां एक भी सीट नहीं दी. अब 2017 के विधानसभा चुनाव उनके लिए करो या मरो की जंग है जिसके लिए वह मैदान में निकल पड़ी हैं. अब 4 सितंबर को उनकी तीसरी रैली इलाहाबाद में होगी.
मायावती जिस इलाके में लोगों से मुख़ातिब थीं, वहां तकरीबन हर चौथा शख्स मुसलमान है और अपने जिले पे दहशतगर्दी का टैग लगने से नाराज़ है. यह सही है कि अहमदाबाद धमाकों से दिल्ली धमाकों तक, और इंडियन मुजाहिद्दीन से आईएसआईएस तक से जुड़े कई लोगों के पते यहीं मिलते हैं. लेकिन यह भी सच है कि यह कैफी आज़मी, राहुल संकृत्यायन और अलम्मा शिब्ली नौमानी की भी सरज़मीं है. लेकिन आज वह कम याद किए जाते हैं इसलिए आज यहां का मुसलमान बेचैन है.

मायावती ने उनकी दुखती रग छूने की कोशिश की और कहा 'जब से मोदी सरकार आई है मुसलमान दहशत में है. उनके साथ सौतेला बर्ताव हो रहा है. पूरे प्रदेश में सांप्रदायिक ताकतों के मज़बूत होने से लव जिहाद, गोरक्षा, हिंदु राष्ट्र के नाम पर मुसलमानों का शोषण हो रहा है. आतंकवाद के नाम पर मुसलमान को शक की नज़र से देखा जा रहा है जिसका हमारी पार्टी विरोध करती है.'
मायावती ने करीब घंटे भर लंबे भाषण में पूरे पौन घंटे मोदी और बीजेपी पर हमले किए. कहते हैं कि वह सबसे ज्यादा बीजेपी से लड़ती हुई दिखना चाहती हैं ताकि मुसलमान वोट खींच सकें. उन्होंने 100 से ज्यादा टिकट मुसलमानों को दे दिए हैं. यही नहीं, आज़मगढ़ की 10 में से 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार का ऐलान कर चुकी हैं जिनमें से 3 मुसलमान हैं.

उन्होंने ललित मोदी कांड, माल्या कांड, पूंजीपतियों की कर्ज माफी, सरकारी संस्थाओं में आरएसएस के लोगों की भर्ती के लिए मोदी सरकार पर हमले किए. मायावती ने बीएसपी से निकले लोगों के बीजेपी में जाने पर कहा 'बीजेपी की हालत तो इतनी ज्यादा खराब है कि अब यह पार्टी बीएसपी के रिजेक्टेड माल को भी लेने में शरमाती नहीं और उनके गले में अमित शाह पट्टा पहनाते हैं. दलित वोट के लिए सेंध लगाने के लिए भी बीजेपी के लोग घिनौनी चाल चल रहे हैं.'
मायावती ने पूर्वांचल के पिछड़ेपन का मुद्दा उठाया और सफाई दी कि 'तिलक तराजू और तलवार' वाला नारा उनका नहीं था. वह ऊंची जाति के साथ हैं. उन्होंने मुजफ्फरनगर, दादरी, मथुरा और बुलंदशहर कांड गिनाए और प्रदेश सरकार पर अराजकता और जातिवाद का इल्ज़ाम लगाया. बीएसपी छोड़ने के मुद्दे पर कहा 'यह लोग प्रचार कर रहे हैं कि बीएसपी में भगदड़ मची है. यह भी कह रहे हैं कि टिकट बेचे जा रहे हैं. मैं पूछना चाहती हूं कि जब बीएसपी में भगदड़ मची है तो फिर ऐसी खराब हालत में इस पार्टी का टिकट कौन खरीद रहा है.'
सन 2012 के विधानसभा चुनावों ने मायावती से यूपी की सत्ता छीन ली और 2014 के लोकसभा चुनावों ने उन्हें यहां एक भी सीट नहीं दी. अब 2017 के विधानसभा चुनाव उनके लिए करो या मरो की जंग है जिसके लिए वह मैदान में निकल पड़ी हैं. अब 4 सितंबर को उनकी तीसरी रैली इलाहाबाद में होगी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
मायावती, मुलायम सिंह यादव, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, Mayawati, UP Polls 2017, Mulayam Singh Yadav, नरेंद्र मोदी, Narendra Modi