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This Article is From Jan 11, 2019

क्या लाल बहादुर शास्त्री की मौत के पीछे CIA का हाथ था?

वरिष्ठ पत्रकार और ब्लॉगर विष्णु शर्मा ने अपनी हालिया किताब में शास्त्री जी की मौत के पीछे सीआईए कनेक्शन पर चर्चा की है.

क्या लाल बहादुर शास्त्री की मौत के पीछे CIA का हाथ था?
विष्णु शर्मा ने अपनी हालिया किताब में शास्त्री जी की मौत के पीछे सीआईए कनेक्शन पर चर्चा की है.
नई दिल्ली:

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं. खुद उनका परिवार शास्त्री जी की मौत के पीछे साजिश की आशंका जताता रहा है. अक्सर सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्ट वायरल होती हैं, जिसमें दावा किया जाता है कि लाल बहादुर शास्त्री को जहर दिया गया था. तो कभी दावा किया जाता है कि उनकी मौत के पीछे अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए का हाथ था. हालांकि लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मौत से तो पर्दा नहीं उठ सका, लेकिन वरिष्ठ पत्रकार और ब्लॉगर विष्णु शर्मा ने अपनी हालिया किताब में  शास्त्री जी की मौत के पीछे सीआईए कनेक्शन पर जरूर चर्चा की है.

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प्रभात प्रकाशन से 'इतिहास के 50 वायरल सच' नाम से प्रकाशित अपनी किताब में विष्णु शर्मा लिखते हैं कि 90 के दशक में जब ग्रेगरी डगलस नाम के एक अमेरिकी पत्रकार की किताब आई तो अमेरिका के साथ-साथ भारत में भी हंगामा मच गया. जो लाजिमी भी था. दरअसल, यह किताब सीआईए के एक ऐसे जासूस से बातचीत के बाद लिखी गई थी, जिसे खुफिया ऑपरेशंस में विशेषज्ञता हासिल थी. उस जासूस का नाम था रॉबर्ट ट्रम्बुल क्राउले. किताब में क्राउले के हवाले से लाल बहादुर शास्त्री की मौत के पीछे सीआईए का हाथ होने का इशारा मिलता है. 

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विष्णु शर्मा ने अपनी किताब में अमेरिकी पत्रकार द्वारा सीआईए एजेंट रॉबर्ट ट्रम्बुल क्राउले से पूछे गए उन दो सवालों और उनके जवाब को भी ज्यों का त्यों रखा है. क्राउले के जवाब में लाल बहादुर शास्त्री का जिक्र है. शास्त्री जी की मौत के अलावा इस किताब में ऐसी तमाम घटनाओं की विस्तार से पड़ताल की गई है, जिसका अक्सर हमसे पाला पड़ता रहता है और एक निश्चित अंतराल के बाद सोशल मीडिया से लेकर वाट्सएप के इनबॉक्स में 'वायरल मैसेज' के रूप में दिख ही जाती हैं. मसलन, जवाहरलाल नेहरू और गयासुद्दीन गाजी के बीच संबंध, भगत सिंह की फांसी का वेलेंटाइन डे से नाता या जिन्ना का वो राज, जिसकी वजह से बंटवारा रुक सकता था. 'फेक न्यूज' के इस दौर में यह किताब एक जरूरी हस्तक्षेप की तरह है. 

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