उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत का फाइल फोटो
देहरादून:
भागीरथी पारिस्थतिकी संवेदनशील क्षेत्र से जुड़ी राज्य सरकार की जोन मास्टर योजना को खारिज किए जाने को राज्य के हितों पर बड़ा प्रहार करार देते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 5 जनवरी को दिल्ली में एक दिन का उपवास रखने का ऐलान किया है. उधर, भाजपा ने उनके इस प्रस्तावित उपवास पर उल्टा रावत पर प्रहार किया है.
भागीरथी पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) पर उत्तराखंड की मास्टर योजना खारिज कर दिए जाने के खिलाफ मुख्यमंत्री हरीश रावत के प्रस्तावित उपवास को लेकर विपक्षी भाजपा ने उन पर करारा प्रहार किया है. भाजपा ने उन पर आरोप लगाया कि जब उत्तरकाशी जिले में भागीरथी में 100 किलोमीटर क्षेत्र को ईएसजेड के रूप में अधिसूचित किया गया था तब उन्होंने बतौर मंत्री कुछ नहीं किया.
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने यहां संवाददाताओं से कहा कि जब मनमोहन सिंह सरकार ने चुपचाप ईएसजेड अधिसूचना जारी की तब रावत क्या कर रहे थे? वह उस समय केंद्रीय जल संसाधन मंत्री थे. वह इसे रोकने या स्थगित करने के लिए कुछ करने की स्थिति में थे. उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया.
चौहान ने कहा कि राज्य सरकार की मास्टर योजना खारिज कर दी गई, क्योंकि वह ईएसजेड अधिसूचना के अनुरूप नहीं थी. राज्य सरकार ने दो साल से भी कम की निर्धारित अवधि के बहुत बाद मास्टर योजना सौंपी और यह कि अधिसूचना से प्रभावित होने वाले स्थानीय बाशिंदों या संबंधित पक्षों की राय भी नहीं सुनी, जबकि ऐसा करना जरूरी थी.
भागीरथी पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) पर उत्तराखंड की मास्टर योजना खारिज कर दिए जाने के खिलाफ मुख्यमंत्री हरीश रावत के प्रस्तावित उपवास को लेकर विपक्षी भाजपा ने उन पर करारा प्रहार किया है. भाजपा ने उन पर आरोप लगाया कि जब उत्तरकाशी जिले में भागीरथी में 100 किलोमीटर क्षेत्र को ईएसजेड के रूप में अधिसूचित किया गया था तब उन्होंने बतौर मंत्री कुछ नहीं किया.
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने यहां संवाददाताओं से कहा कि जब मनमोहन सिंह सरकार ने चुपचाप ईएसजेड अधिसूचना जारी की तब रावत क्या कर रहे थे? वह उस समय केंद्रीय जल संसाधन मंत्री थे. वह इसे रोकने या स्थगित करने के लिए कुछ करने की स्थिति में थे. उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया.
चौहान ने कहा कि राज्य सरकार की मास्टर योजना खारिज कर दी गई, क्योंकि वह ईएसजेड अधिसूचना के अनुरूप नहीं थी. राज्य सरकार ने दो साल से भी कम की निर्धारित अवधि के बहुत बाद मास्टर योजना सौंपी और यह कि अधिसूचना से प्रभावित होने वाले स्थानीय बाशिंदों या संबंधित पक्षों की राय भी नहीं सुनी, जबकि ऐसा करना जरूरी थी.
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