नई दिल्ली:
बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने तेलंगाना राज्य बनाने में विलंब करने के लिए संप्रग की आलोचना करते हुए बुधवार को कहा कि नए राज्यों के गठन की मांगों पर विचार करने के लिए राज्य पुनर्गठन आयोग का फिर से गठन किया जाना चाहिए।
सिंह ने कहा, ‘‘काश, जिन युवाओं ने पृथक तेलंगाना राज्य के लिए अपनी कुर्बानी दी वे भी इसके गठन को देख पाते। हमें इसका दुख है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि यह निर्णय समय पर नहीं किया गया।’’
विभिन्न समूहों द्वारा विभिन्न पृथक राज्य बनाए जाने की मांगों के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि नए राज्य पुनर्गठन आयोग का फिर गठन होना चाहिए जो सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट दे।
उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों से बात करके केन्द्र को राज्य पुनर्गठन आयोग गठन करने के बारे में निर्णय करना चाहिए।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने मंगलवार को कहा था, ‘‘जहां तक हमारा संबंध है, हमारी पार्टी का संबंध है, अगर हमारे द्वारा तीन राज्य गठित किए जाते समय तेलंगाना राज्य नहीं बन सका तो इसलिए कि हमने अपने गठबंधन सहयोगी का सम्मान किया। अन्यथा हमने तब ही ऐसा कर दिया होता।’’
उनका आशय तेलंगाना राज्य बनाने को लेकर तेलगु देशम पार्टी के विरोध से था जो उस समय राजग सरकार का समर्थन कर रही थी।
पार्टी की अन्य वरिष्ठ नेता उमा भारती ने भी यहां मांग की कि राज्य पुनर्गठन आयोग का फिर से गठन करके ‘बुंदेलखंड राज्य’ सहित पृथक राज्य बनाने के सभी प्रस्तावों पर विचार किया जाए।
उमा ने कहा, ‘‘राज्य पुनर्गठन आयोग को फिर से बनाया जाए और अलग राज्य बनाने के जितने भी अन्य प्रस्ताव फैसले से वंचित रह गए हैं, उन पर भी विचार किया जाए।’’
उन्होंने कहा कि इनमें मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्रों को मिलाकर उसे पृथक राज्य बनाने और उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में बांटने के बसपा प्रमुख मायावती के प्रस्ताव सहित ऐसी सभी मांगों पर विचार हो।
मायावती की मांग को हालांकि उन्होंने ‘‘राजनीति से प्रेरित’’ बताते हुए कहा कि जब चुनाव करीब होते हैं, तभी वह ऐसी मांग उठाती हैं। लोकसभा चुनाव करीब आता देख उन्होंने यह मांग की है और इससे पहले यूपी के अपने शासन के अंतिम दिनों में उन्होंने उत्तर प्रदेश को ‘पूर्वांचल, पश्चिम प्रदेश, अवध प्रदेश और बुंदेलखंड’ में बांटने का प्रस्ताव पारित कराया था।
बीजेपी नेता ने कहा, बहरहाल जिस भी उद्देश्य से पृथक राज्यों की मांग की गई हों, अच्छा यही होगा कि राज्य पुनर्गठन आयोग का फिर से गठन हो और उसमें अलग राज्यों के सभी प्रस्तावों पर विचार के बाद संसद में उन पर व्यापक चर्चा से अंतिम फैसला किया जाए।
तेलंगाना राज्य बनाने के संप्रग के निर्णय पर उमा ने कहा, ‘‘इस फैसले से बीजेपी को प्रसन्नता के साथ शंका और चिंता भी है, क्योंकि एक तो कांग्रेस में ही इसे लेकर फूट है और दूसरे यह कि इस मुद्दे पर यह पार्टी बार-बार धोखाधड़ी करती आई है।
सिंह ने कहा, ‘‘काश, जिन युवाओं ने पृथक तेलंगाना राज्य के लिए अपनी कुर्बानी दी वे भी इसके गठन को देख पाते। हमें इसका दुख है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि यह निर्णय समय पर नहीं किया गया।’’
विभिन्न समूहों द्वारा विभिन्न पृथक राज्य बनाए जाने की मांगों के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि नए राज्य पुनर्गठन आयोग का फिर गठन होना चाहिए जो सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट दे।
उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों से बात करके केन्द्र को राज्य पुनर्गठन आयोग गठन करने के बारे में निर्णय करना चाहिए।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने मंगलवार को कहा था, ‘‘जहां तक हमारा संबंध है, हमारी पार्टी का संबंध है, अगर हमारे द्वारा तीन राज्य गठित किए जाते समय तेलंगाना राज्य नहीं बन सका तो इसलिए कि हमने अपने गठबंधन सहयोगी का सम्मान किया। अन्यथा हमने तब ही ऐसा कर दिया होता।’’
उनका आशय तेलंगाना राज्य बनाने को लेकर तेलगु देशम पार्टी के विरोध से था जो उस समय राजग सरकार का समर्थन कर रही थी।
पार्टी की अन्य वरिष्ठ नेता उमा भारती ने भी यहां मांग की कि राज्य पुनर्गठन आयोग का फिर से गठन करके ‘बुंदेलखंड राज्य’ सहित पृथक राज्य बनाने के सभी प्रस्तावों पर विचार किया जाए।
उमा ने कहा, ‘‘राज्य पुनर्गठन आयोग को फिर से बनाया जाए और अलग राज्य बनाने के जितने भी अन्य प्रस्ताव फैसले से वंचित रह गए हैं, उन पर भी विचार किया जाए।’’
उन्होंने कहा कि इनमें मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्रों को मिलाकर उसे पृथक राज्य बनाने और उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में बांटने के बसपा प्रमुख मायावती के प्रस्ताव सहित ऐसी सभी मांगों पर विचार हो।
मायावती की मांग को हालांकि उन्होंने ‘‘राजनीति से प्रेरित’’ बताते हुए कहा कि जब चुनाव करीब होते हैं, तभी वह ऐसी मांग उठाती हैं। लोकसभा चुनाव करीब आता देख उन्होंने यह मांग की है और इससे पहले यूपी के अपने शासन के अंतिम दिनों में उन्होंने उत्तर प्रदेश को ‘पूर्वांचल, पश्चिम प्रदेश, अवध प्रदेश और बुंदेलखंड’ में बांटने का प्रस्ताव पारित कराया था।
बीजेपी नेता ने कहा, बहरहाल जिस भी उद्देश्य से पृथक राज्यों की मांग की गई हों, अच्छा यही होगा कि राज्य पुनर्गठन आयोग का फिर से गठन हो और उसमें अलग राज्यों के सभी प्रस्तावों पर विचार के बाद संसद में उन पर व्यापक चर्चा से अंतिम फैसला किया जाए।
तेलंगाना राज्य बनाने के संप्रग के निर्णय पर उमा ने कहा, ‘‘इस फैसले से बीजेपी को प्रसन्नता के साथ शंका और चिंता भी है, क्योंकि एक तो कांग्रेस में ही इसे लेकर फूट है और दूसरे यह कि इस मुद्दे पर यह पार्टी बार-बार धोखाधड़ी करती आई है।
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