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This Article is From Apr 25, 2020

Lockdown: सैकड़ों किलोमीटर का पैदल सफर करके लड़खड़ाते हुए घर लौट रहे बिहार के प्रवासी मजदूर

Bihar Lockdown: दूसरे प्रदेशों में काम करने गए प्रवासी मजदूरों के सामने जब रोजी-रोटी का संकट आया तो उन्हें बिहार में अपने आशियाने की ओर लौटने पर विवश होना पड़ा

Lockdown: सैकड़ों किलोमीटर का पैदल सफर करके लड़खड़ाते हुए घर लौट रहे बिहार के प्रवासी मजदूर
COVID-19 Lockdown: बिहार के प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों से लौट रहे हैं.
पटना:

Bihar Lockdown: ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर पर पैदल चलते मजदूर... गोपालगंज के साधु चौक पर बैठे मजदूर... मजदूरों को बिस्किट देते लोग... बस से राहत केंद्र जाते प्रवासी मजदूर... साइकिल से घर लौटते बिहार के अलग-अलग जिलों के प्रवासी मजदूर...बिहार में इन दिनों यही दृश्य सभी जगह दिखाई दे रहे हैं. लॉकडाउन में गाड़ियों का परिचालन बंद होने से बिहार के प्रवासी मजदूरों का पैदल घर लौटने का सिलसिला जारी है. रोजी-रोटी की तलाश में घर छोड़कर दूसरे प्रदेशों में काम करने गए प्रवासी मजदूरों के सामने जब भूख-प्यास का संकट आया तो उन्हें बिहार में अपने आशियाने की ओर लौटने पर विवश होना पड़ा.

कोई पैदल जा रहा है, तो कोई साइकिल से निकल पड़ा है. यूपी के फिरोजाबाद, अलीगढ़, कानपुर से कोई सात दिन में पैदल बिहार-यूपी की सीमा तक पहुंचा, तो किसी ने साइकिल से पांच दिनों में आठ सौ किलोमीटर की दूरी तय की. पैदल चलकर पहुंचे कई ऐसे भी मजदूर थे, जिनके पांव जवाब दे रहे थे. पैरों में सूजन होने के बाद भी लड़खड़ाते कदम ईस्ट एंड वेस्ट कॉरिडोर पर नहीं रुक रहे थे. लॉकडाउन की वजह से इन मजदूरों के अंदर कितने दर्द छिपे थे, चेहरे बयां कर रहे थे. अभी इनकी मंजिल बाकी थी कि गोपालगंज प्रशासन ने इन्हें क्वारेंटाइन कर दिया. 

पैदल चलकर बिहार के गोपालगंज में पहुंचे खगड़िया, अररिया, सहरसा के प्रवासी मजदूरों की विवशता ह्रदयविदारक कहानी कह रही. भूखे प्यासे अपनी मंजिल पर पहुंचने का जज्बा भी दिख रहा है. फिर भी दर्द के पीछे छिपी कहानी कुछ और कह रही है. यूपी-बिहार की सीमा पर पकड़े न जाएं इसके लिए ग्रामीण इलाके की सड़कों को अपना मार्ग चुना. फिर भी 61 प्रवासी मजदूर प्रशासनिक व्यवस्थाओं में गोपालगंज के आपदा राहत केंद्र पहुंच गए. 

अररिया के प्रवासी मजदूर सुरेन्द्र राम ने कहा कि फिरोजाबाद से पैदल आ रहे हैं. वहां खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं थी. आलू स्टोर में काम करते थे. वहां काम खत्म हो गया. मालिक नहीं था. बिहार के अररिया जिले के नरपतगंज जा रहे हैं. भूखे प्यासे चार रोज से पैदल चल रहे हैं. घर भी टूट गया है. बच्चे बाहर रहते हैं. बारिश का मौसम भी आ गया है. इसलिए हम सभी पैदल ही घर जाने को मजबूर हैं. 

खगड़िया के प्रवासी मजदूर विनोद कुमार यादव कहते हैं कि फिरोजाबाद से पैदल चल रहे हैं. पांच दिन हो गए. पैर फूल गए हैं, चला नहीं जा रहा है. भूखे मर रहे हैं. कोई गाड़ी मिल जाती तो अच्छा होता. 

सहरसा के प्रवासी मजदूर रवींद्र यादव ने बताया कि यूपी से आए हैं. काम रोजगार सब ठप हो गया. लॉकडाउन पर लॉकडाउन हो रहा है. 22 मार्च से बिल्कुल बैठे हैं. लास्ट में इधर-उधर से कर्ज लेकर पैदल आ रहे थे. बाद में बस वाले ने चढ़ाकर यहां उतार दिया. आठ दिन लगा पैदल आने में. कुछ खाने को भी नहीं मिला. अभी सहरसा जिले तक जाना है.  

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गोपालगंज के एसडीएम उपेंद्र कुमार पाल ने बताया कि बॉर्डर पर जो चेकपोस्ट बनाया गया है, उस चेक पोस्ट पर प्रतिदिन पैदल या साइकिल से आने वाले लोगों को रोक लिया जाता है. वहां उनकी स्क्रीनिंग की जाती है. स्क्रीनिंग करने के पश्चात सीमा राहत केंद्र पर लाया जाता है. आज बॉर्डर से हथुआ के सेंटर पर कुल 61 लोगों को भेजा गया है.

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