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This Article is From Aug 25, 2016

बिहार बाढ़ अपडेट : 7 और लोगों की मौत, 29.71 लाख आबादी प्रभावित

बिहार बाढ़ अपडेट : 7 और लोगों की मौत, 29.71 लाख आबादी प्रभावित
पटना: बिहार में गंगा सहित अन्य नदियों में हाल में आयी बाढ़ से पिछले 24 घंटे के दौरान 7 और लोगों की मौत होने के साथ 29.71 लाख आबादी प्रभावित है. बिहार आपदा प्रबंधन विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक हाल में आयी बाढ़ से पिछले 24 घंटे के दौरान 7 और लोगों की मौत के साथ इससे मरने वालों की संख्या अब 29 हो गयी है.

पिछले 24 घंटे के दौरान बाढ़ से समस्तीपुर जिले में पांच और खगड़ि‍या एवं नालंदा जिला में एक-एक व्यक्ति की मौत हो गयी है. हाल में आयी बाढ़ से भोजपुर जिला में 12, वैशाली में 6, भागलपुर में 2 और बक्सर एवं लखीसराय जिला में एक-एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है. उल्लेखनीय है कि इस मौसम में दो चरणों में अब तक आयी बाढ़ से प्रदेश के कुल 24 जिला की 63.80 लाख आबादी प्रभावित हुई और अब तक कुल 127 लोगों की जान जा चुकी है.

बिहार में इन दिनों गंगा नदी के बढ़े हुए जल स्तर एवं तेज जल प्रवाह के कारण इस नदी के किनारे अवस्थित जिलों यथा बक्सर, भोजपुर, पटना, वैशाली, सारण, बेगूसराय, समस्तीपुर, लखीसराय, खगड़िया, मुंगेर, भागलपुर एवं कटिहार जिलों में कमोबेस बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी है.

पटना, वैशाली, भोजपुर एवं सारण जिला के दियारा क्षेत्र (नदी किनारे वाले इलाके) बाढ़ से अधिक प्रभावित हैं. इन 12 जिलों की 29.71 लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित है जिनमें से 2 लाख 82 हजार लोग 943 लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है तथा इनमें एक लाख 15 हजार लोग सरकार द्वारा चलाए जा रहे 262 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं.

बिहार में फिर से आई बाढ़ से प्रभावित जिलों में राहत एवं बचाव कार्य जारी है. प्रभावित लोगों को दियारा क्षेत्र से सुरक्षित निकालकर राहत शिविरों में लाया जा रहा है, जहां उनके लिए पका हुआ भोजन, पीने का पानी, महिला एवं पुरुषों के लिए अलग-अलग शौचालय, स्वास्थ्य जांच, जरूरी दवाएं, साफ-सफाई एवं प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था की गयी है.

बाढ़ प्रभावित इलाकों से लोगों को निकालने के लिए 115 मोटरबोट, 1258 सरकारी नावों तथा 2209 निजी नावें परिचालित की जा रही हैं तथा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत एवं बचाव कार्य में लगी हुई हैं. बुधवार को भी गंगा नदी का जलस्तर चार स्थानों बक्सर, मुंगेर, भागलपुर और कहलगांव में उच्चतम स्तर पर बने रहने के कारण प्रदेश में बाढ़ की स्थिति विकट बनी रही. केन्द्रीय जल आयोग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक बुधवार सुबह 6 बजे गंगा नदी का जलस्तर बक्सर जिला (61.24 मीटर), मुंगेर (40.01 मीटर), भागलपुर (34.62 मीटर) और कहलगांव में (32.70 मीटर) उच्चतम स्तर पर रहा.

गंगा नदी का जलस्तर सुबह 6 बजे पटना जिला के दीघाघाट पर 51.71 मीटर, गांधी घाट पर 50.16 और हाथीदह में 43.08 मीटर रहा. गंगा नदी का जलस्तर बक्सर, दीघाघाट, गांधीघाट, हाथीदाह, मुंगेर, भागलपुर और कहलगांव में खतरे के निशान से क्रमश: 92 सेमी, 126 सेमी, 156 सेमी, 132 सेमी, 68 सेमी 94 सेमी और 1161 सेमी ऊपर था. उल्लेखनीय है कि गांधीघाट में वर्ष 1994 में उच्चतम जलस्तर 50.27 मीटर, हाथीदह में वर्ष 1971 में 43.15 मीटर एवं कहलगांव में वर्ष 2003 में उच्चतम जलस्तर 32.87 मीटर मापा गया था जबकि भागलपुर में वर्ष 2013 में उच्चतम जलस्तर 34.50 मीटर मापा गया था. बुधवार सुबह 6 बजे भागलपुर में गंगा नदी का जलस्तर पूर्व के उच्चतम जलस्तर से 12 सेमी ऊपर था. इसके जलस्तर में गुरुवार शाम चार बजे तक 7 सेमी वृद्धि होने की संभावना है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार गुरुवार को सुबह तक बिहार की सभी नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में हल्की वर्षा होने कि सम्भावना है. सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि प्रदेश में बाढ़ की स्थिति की 24 घंटे नजर रखी जा रही है तथा राहत एवं बचाव कार्य की सतत निगरानी की जा रही है. नीतीश ने पटना में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने राहत शिविरों में शरण लिए हुए लोगों के बीच भोजन वितरण के साथ मुख्यमंत्री राहत कोष से उन्हें बर्तन सहित अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराए जाने का निर्देश दिया है.

इसबीच भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया है कि बाढ पीड़ि‍तों के बीच राहत वितरण में अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फरक्का बराज और गाद प्रबंधन नीति का मुद्दा उठा रहे हैं. सुशील ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मुख्यमंत्री पर भ्रम पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने नई दिल्ली में जल संसाधन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत के बाद बताया कि फरक्का बराज की वजह से बिहार में बाढ़ आई है, इसका वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.

उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री का यह बयान भी बेबुनियाद है कि बिहार सरकार के आग्रह पर फरक्का बराज के गेट खोले गए, हकीकत है कि मॉनसून के मौसम में बराज के सभी गेट हमेशा खुले रहते हैं. बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री स्वयं अभियंता हैं उन्हें भ्रामक बयान देने के बजाय भारत सरकार की संस्था की अध्ययन रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए जिसे बिहार सरकार ने ही फरक्का बराज के प्रभाव और गंगा के प्रवाह व गाद आदि के अध्ययन के लिए अधिकृत किया गया है.

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने भी अप्रैल 2016 में सेंट्रल वाटर पावर रिसर्च स्टेशन के निदेशक डॉ. एम के सिन्हा की अध्यक्षता में गंगा व ब्रहमपुत्र में कटाव व गाद के अध्ययन के लिए एक समिति का गठन किया है. सुशील ने कहा कि नीतीश कुमार को फरक्का बराज को तोड़ने का तर्क देने से पहले नीतीश कुमार को एक बार ममता बनर्जी से पूछ लेना चाहिए. फरक्का बराज का निर्माण 1975 में 38 किमी लम्बी फीडर कैनाल के जरिए हुगली में पानी डायवर्ट करने के लिए किया गया था ताकि कलकत्ता बंदरगाह पर आवागमन की सुगमता बनी रहे.

दरअसल बराज कोई भंडारण निर्माण नहीं है बल्कि इसके जरिए पानी के प्रवाह को डायवर्ट किया जाता है. ऐसे में इस बराज की वजह से बाढ़ आने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि दरअसल बिहार में बाढ़ से बचाव व राहत कार्य की पूर्व से कोई तैयारी नहीं थी इसलिए मुख्यमंत्री भ्रामक बयानों के जरिए लोगों का ध्यान भटका रहे हैं जबकि उन्हें लाखों बाढ़ पीड़ि‍तों को त्वरित राहत व उनके बचाव पर ध्यान देना चाहिए.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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