वाराणसी:
पूरा उत्तर भारत इन दिनों गर्मी की चपेट में है. सूरज की तपिश से सभी लोग बेहाल हैं. गर्मी से बचने के लिए तरह तरह के उपाय भी कर रहे हैं. सड़कों पर महिलाएं छाता लेकर निकल रही हैं तो वहीं प्यास बुझाने के लिए लोग आम का पना और लस्सी जैसे पेय पदार्थों का सहारा ले रहे हैं. सिर्फ इंसान ही नहीं आग उगलते इस सूरज से बेजुबान जानवर भी परेशान हैं. इन्हें तरावट सिर्फ पानी से ही मिलती है लिहाजा जहां पानी दिखता है पक्षी उसमें नहाने लगते हैं. बन्दर अपनी प्यास बुझाने के लिए नल के नीचे बैठ जाते हैं तो वहीं मोर पेड़ की छांव में ठंडक लेने की कोशिश कर रहे हैं.
वाराणसी से एनडीटीवी के संवाददाता अजय सिंह गर्मी के हालात का जायजा लेने निकलने तो उन्होंने देखा कि एक मोर गर्मी से बचने के लिए पेड़ की छांव में आराम फरमा रहा है. बाहर गर्मी के हालात आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि कैमरे के नजदीक जाने के बाद भी ये पेड़ की छांव छोड़ना नहीं चाहता. गर्मी से ठंडक पाने के लिए सिर्फ मोर ही नहीं मैना (पक्षी) को भी ज़रा-सा पानी जमीन पर नजर आया तो उसमे नहा कर अपने शरीर में तरावट लाने की जी भर कोशिश कर रही है. बंदरों का भी यही हाल है. गला तर करने के लिए जहां कहीं भी नल नजर आया उसे खोल कर अपनी प्यास बुझाने लगे हैं. गर्मी से बेहाल मनोज मिश्रा कहते है कि गर्मी तो बहुत ज्यादा बढ़ गई है इससे निजात पाने के लिए चने का सत्तू, नींबू पानी और लस्सी का सेवन कर रहे हैं.
यही नहीं जहां हर समय चहल पहल बनी रहती है, उन बनारस के घाटों को भी सूरज ने अपनी तपिश से खाली कर दिया है. गंगा का किनारा भी लोगों को ठंडक नहीं दे पा रहा है. सडकों पर भी आग बरस रही है. इस तपिस की लहर ऐसी लगती है मानो दूर पानी है, लेकिन नजदीक जाने पर वहां सिर्फ गर्म हवा के थपेड़े होते हैं. घरों में भी लोग इससे बेहाल है, लिहाजा बहुतों ने तो अपनी दिनचर्या को बदल दिया है. गृहिणी विभा कपूर बताती हैं कि गर्मी इतनी ज्यादा हो रही है कि लोग अपने घर के जरूरी काम भी नहीं कर पा रहे हैं. हम लोग अपने ज्यादातर काम सुबह ही कर रहे हैं. दोपहर को लोग घर से नहीं निकलते.
मौसम चाहे जैसा हो पर उससे जिंदगी की रफ्तार नहीं थम सकती, लिहाजा लोग काम पर तो निकल रहे हैं पर पूरे बचाव के साथ. महिलाएं छाता लेकर बाहर निकल रही हैं तो पुरुष सिर पर गमछा बांध कर गर्मी से बचने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले कई वर्षों से गर्मी में इजाफा हो रहा है. जानकार कहते हैं कि इस गर्मी की वजह मौसम तो है ही लेकिन ज़्यादा बड़ी वजह शहरों का कंक्रीट के जंगल में बदलना है, जिससे पेड़-पौधे न के बराबर रह गए हैं.
हालांकि गर्म मौसम में परेशानी तो होती है लेकिन हर मौसम के अपने फायदे भी होते हैं. और हर मौसम एक-दूसरे से जुड़ा होता है, यानी ज़्यादा गर्मी पड़ने पर ज्यादा बारिश का अनुमान होता है. साथ ही उस मौसम के फल से लेकर पेय पदार्थ का मजा भी अपना होता है. गर्मी के भी अपने तरावट देने वाले अपने पेय पदार्थ हैं, जिसमें लोग अपनी प्यास बुझाते नजर आते हैं.
वाराणसी से एनडीटीवी के संवाददाता अजय सिंह गर्मी के हालात का जायजा लेने निकलने तो उन्होंने देखा कि एक मोर गर्मी से बचने के लिए पेड़ की छांव में आराम फरमा रहा है. बाहर गर्मी के हालात आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि कैमरे के नजदीक जाने के बाद भी ये पेड़ की छांव छोड़ना नहीं चाहता. गर्मी से ठंडक पाने के लिए सिर्फ मोर ही नहीं मैना (पक्षी) को भी ज़रा-सा पानी जमीन पर नजर आया तो उसमे नहा कर अपने शरीर में तरावट लाने की जी भर कोशिश कर रही है. बंदरों का भी यही हाल है. गला तर करने के लिए जहां कहीं भी नल नजर आया उसे खोल कर अपनी प्यास बुझाने लगे हैं. गर्मी से बेहाल मनोज मिश्रा कहते है कि गर्मी तो बहुत ज्यादा बढ़ गई है इससे निजात पाने के लिए चने का सत्तू, नींबू पानी और लस्सी का सेवन कर रहे हैं.
यही नहीं जहां हर समय चहल पहल बनी रहती है, उन बनारस के घाटों को भी सूरज ने अपनी तपिश से खाली कर दिया है. गंगा का किनारा भी लोगों को ठंडक नहीं दे पा रहा है. सडकों पर भी आग बरस रही है. इस तपिस की लहर ऐसी लगती है मानो दूर पानी है, लेकिन नजदीक जाने पर वहां सिर्फ गर्म हवा के थपेड़े होते हैं. घरों में भी लोग इससे बेहाल है, लिहाजा बहुतों ने तो अपनी दिनचर्या को बदल दिया है. गृहिणी विभा कपूर बताती हैं कि गर्मी इतनी ज्यादा हो रही है कि लोग अपने घर के जरूरी काम भी नहीं कर पा रहे हैं. हम लोग अपने ज्यादातर काम सुबह ही कर रहे हैं. दोपहर को लोग घर से नहीं निकलते.
मौसम चाहे जैसा हो पर उससे जिंदगी की रफ्तार नहीं थम सकती, लिहाजा लोग काम पर तो निकल रहे हैं पर पूरे बचाव के साथ. महिलाएं छाता लेकर बाहर निकल रही हैं तो पुरुष सिर पर गमछा बांध कर गर्मी से बचने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले कई वर्षों से गर्मी में इजाफा हो रहा है. जानकार कहते हैं कि इस गर्मी की वजह मौसम तो है ही लेकिन ज़्यादा बड़ी वजह शहरों का कंक्रीट के जंगल में बदलना है, जिससे पेड़-पौधे न के बराबर रह गए हैं.
हालांकि गर्म मौसम में परेशानी तो होती है लेकिन हर मौसम के अपने फायदे भी होते हैं. और हर मौसम एक-दूसरे से जुड़ा होता है, यानी ज़्यादा गर्मी पड़ने पर ज्यादा बारिश का अनुमान होता है. साथ ही उस मौसम के फल से लेकर पेय पदार्थ का मजा भी अपना होता है. गर्मी के भी अपने तरावट देने वाले अपने पेय पदार्थ हैं, जिसमें लोग अपनी प्यास बुझाते नजर आते हैं.
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