आजम खां ने विधायकों-मंत्रियों को तोहफे में भेजी 'झाडू और कलम'

फाइल फोटो

लखनऊ:

कभी चुटीली तो कभी तलवार सी चोटीली टिप्पणियों के लिए चर्चा और विवाद में रहने वाले उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री आजम खां इस बार मंत्रियों और विधायकों को 'सरप्राइज़ गिफ्ट' भेजने को लेकर चर्चा में हैं। खां ने तोहफे में झाडू और कलम भेजा है।

आजम खां ने विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन विधायकों और सरकार के मंत्रियों को 'अमेरिकन टूरिस्टर' कंपनी का स्ट्राली बैग तोहफे में भेजा है। हालांकि उनके तोहफे का राज बैग के भीतर बंद है। खां ने बैग के अंदर एक झाडू और कलम के साथ-साथ एक चिट्ठी भी रखी है।

हालांकि कुछ विधायकों तक यह तोहफा अभी तक नहीं पहुंचा है, लेकिन जिन्हें मिला है वह इसके रहस्य और संदेश का अर्थ निकालने में लगे हैं।

आजम ने विधायकों को सरप्राइज़ गिफ्ट के साथ भेजे गए 'सारगर्भित' पत्र में लिखा है, प्रिय साथी, 'एक बार फिर आपके साथ चलने वाले बोझ की व्यवस्था करने का सौभाग्य मुझे मिल रहा है। ...मुझे आपने देखा भी है, परखा भी है। मैं वो नहीं हूं जो फिजाएं कहती हैं, मैं वो हूं जो आपका धड़कता हुआ दिल कहता है। मुझे मालूम है, आप सच्चे हैं और सच की परख आपको खूब है।'

पत्र का आखिरी जुमला है, 'आपके समक्ष दो उपहार (झाडू और कलम) और यह तय कर लें कि इनमें से कौन सा उपहार समाज के कोढ़ को दूर कर सकता है और कौन आपको याद दिलाता है कि फक़त नारे बीमार समाज का इलाज नहीं कर सकते।'

कुछ विधायक आजम की भेजी झाडू को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की झाडू पर व्यंग्य के रूप में देख रहे हैं, जबकि कुछ इसे व्यंग्यात्मक लहजे में मोदी की झाडू का प्रचार बता कर इसे 'बीजेपी और सपा के बीच सांठ-गांठ की स्वीकारोक्ति बता रहे हैं।'

आजम खां ने विधानसभा सत्र के दौरान प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करते हुए कहा था कि उन्होंने लोगों के हाथ से कलम छीनकर झाडू थमा दिया है। बीजेपी के राधा मोहन दास अग्रवाल बहरहाल आजम के तोहफे पर कहते हैं कि प्रधानमंत्री ने सफाई अभियान चलाकर समाज को स्वच्छता का महत्व बताने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसे आजम खां पचा नहीं पा रहे हैं। उन्होंने तंज करने के लहजे में कहा, 'आजम कहना जो भी चाह रहे हों, उन्होंने एक तरीके से मोदी की विचारधारा का प्रचार ही किया है।'

बसपा विधायक राम प्रसाद चौधरी ने आजम की तरफ से भेजे बैग में झाडू और कलम के साथ चिट्ठी मिलने की बात तो स्वीकारी लेकिन बड़ी साफगोई से कहा, 'पत्र अभी तक पढ़ा नहीं है।'

वहीं कांग्रेस विधायक नदीम जावेद ने टिप्पणी की कि आजम का तोहफा एक तरीके से समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच अंदरूनी सांठ-गांठ का कबूलनामा है अब लोग इसका क्या अर्थ निकालते है उन पर निर्भर है।

आजम के पत्र के अंत में एक नज्म़ है :-

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मंजिल पे ना पहुंचे उसे रास्ता नहीं कहते।
दो चार कदम चलने को चलना नहीं कहते।
एक हम हैं कि गैरों को भी कह देते हैं अपना।
एक वो हैं जो अपनो को भी अपना नहीं कहते।
माना कि मियां हम तो बुरों से भी बुरे हैं।
कुछ लोग तो अच्छे को भी अच्छा नहीं कहते।