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This Article is From Jul 11, 2019

अयोध्या विवाद: SC ने मांगी मध्यस्थता पैनल से स्टेटस रिपोर्ट, कहा- रिपोर्ट देखने के बाद हर दिन सुनवाई पर होगा फैसला

Ayodhya Case: सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल से 25 जुलाई तक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा. साथ ही कहा कि मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट देखने के बाद ही हर दिन सुनवाई पर फैसला होगा.

Ayodhya Case Hearing: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल से 25 जुलाई तक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा.

नई दिल्ली:

देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ में अयोध्या भूमि विवाद मामले में जल्द सुनवाई की अर्ज़ी पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, "हमने मध्यस्थता पैनल बनाया है. हमें उसकी रिपोर्ट का इंतज़ार करना होगा. मध्यस्थों को रिपोर्ट दाखिल करने दें.' सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल से 25 जुलाई तक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा. साथ ही कहा कि मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट देखने के बाद ही हर दिन सुनवाई पर फैसला होगा. उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) एफ एम आई कलीफुल्ला तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल के अध्यक्ष हैं

बता दें, अयोध्या में राम जन्म- भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में एक मूल वादकार ने याचिका दाखिल करके मामले की शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया था. वादकार गोपाल सिंह विशारद का कहना है कि उच्चतम न्यायालय ने इस विवाद का सर्वमान्य समाधान खोजने के लिये आठ मार्च को शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की थी लेकिन इसमें बहुत कुछ नहीं हो रहा है.

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विशारद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस नरसिम्हा ने कोर्ट से इस मामले का उल्लेख करते हुये था कहा कि मालिकाना हक के इस विवाद को शीघ्र सुनवाई के लिये न्यायालय में सूचीबद्ध किये जाने की आवश्यकता है. नरसिम्हा ने कहा था कि तीन सदस्यीय समिति को न्यायालय द्वारा सौंपे गये भूमि विवाद के इस मामले में अधिक कुछ नहीं हो रहा है. इस पर पीठ ने कहा था, ‘हम देखेंगे.'

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यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मध्यस्थता के लिये बनाई गयी इस समिति का कार्यकाल 10 मई को 15 अगस्त तक के लिये बढ़ा दिया था ताकि वह अपनी कार्यवाही पूरी कर सके. पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि यदि मध्यस्थता करने वाले परिणामों के बारे में आशान्वित हैं और 15 अगस्त तक का समय चाहते हैं तो समय देने में क्या नुकसान है? यह मुद्दा सालों से लंबित है. इसके लिये हमें समय क्यों नहीं देना चाहिए?

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मध्यस्थता के लिये गठित समिति में न्यायमूर्ति कलीफुल्ला के अलावा अध्यात्मिक गुरू और आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर तथा जाने माने मध्यस्थता विशेषज्ञ एवं वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू को इसका सदस्य बनाया गया था. शीर्ष अदालत ने आठ मार्च के आदेश में मध्यस्थता के लिये बनी इस समिति को आठ सप्ताह के भीतर अपना काम पूरा करने के लिये कहा था. इस समिति को अयोध्या से करीब सात किलोमीटर दूर फैजाबाद में अपना काम करना था. इसके लिये राज्य सरकार को पर्याप्त बंदोबस्त करने के निर्देश दिये गये थे.

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