
कड़कड़डूमा कोर्ट का चैंबर नंबर 56। लोगों से खचाखच भरा पड़ा। भीड़ में जोर अजमाइश करते अरविंद और मनीष सिसोदिया दाखिल हुए। लोगों ने कुर्सी दी और एक कोने में बैठ गए। फिर धक्का मुक्की के बीच बाल बाल गिरने से बचते योगेंद्र यादव का आना हुआ।
मामला 2013 का है जब ये सब साथ साथ थे लिहाजा इन तीनों का वकील तो एक ही है, लेकिन वक्त ने दूरियां इतनी बढ़ा दी कि साथ-साथ आने के बजाए अदालत में अलग-अलग पहुंचे।
लेकिन भीड़ से योगेंद्र यादव के कानों तक जोर से एक आवाज आई, अरविंद और मनीष भी आए हुए हैं। योगेंद्र ने अपने सधे अंदाज में कहा- अच्छा। और फिर एक कुर्सी मनीष और अरविंद के बगल में योगेंद्र यादव के लिए खाली कराई गई। योगेंद्र ने पहुंचते ही सबसे पहले अरविंद केजरीवाल से हाल पूछा। जवाब तो हाव भाव से समझ में आया कि अरविंद ने कहा कि मैं ठीक हूं।
फिर योगेंद्र ने मनीष सिसोदिया से हाय हेल्लो किया। इसके बाद लोगों ने फटाफट अपने मोबाइल निकाले और तस्वीरें भी खिंचनी शुरू कर दी। कोर्ट रूम के भीतर वकील भी फोटोग्राफी करते नजर आए। फिर भीड़ से एक आवाज आई- आपलोग साथ-साथ अच्छे लगते हैं। इतना सुनते ही ये लोग मुस्कुराने लगे और लोगों ने ठहाके भी लगाए। गुफ्तगू का ये सिलसिला करीब दो मिनट तक चला फिर अदालती कामकाज शुरू हो गया। पर सवाल करीब बैठने का नहीं बल्कि मन की मौजूदा दूरी का है। वो भला कैसे मिटे।
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