
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आखिरकार जहां से चले थे, वापस वहीं आ गए। केजरीवाल ने आखिरकार सेंट्रल दिल्ली के तिलक लेन के उस सरकारी आवास से अपना सामान समेट लिया, जहां पर वह जनवरी में बतौर दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर रहने आए थे। अरविंद केजरीवाल अब अपने पूरे परिवार के साथ वापिस गिरनार अपार्टमेंट, कौशांबी, गाज़ियाबाद यूपी के उसी फ्लैट में लौट गए हैं जहां से वह आए थे।
अरविंद केजरीवाल फरवरी में सरकार से इस्तीफ़ा देने के बाद से हर महीने 85,000 रुपये किराया देकर रह रहे थे, सरकारी आवास पर नैतिकता का हवाला देकर सवाल उठ रहे थे, आखिर जब केजरीवाल सीएम नहीं तो सरकारी आवास खाली क्यों नहीं कर रहे हैं।
पहले केजरीवाल चुनाव में व्यस्त थे, बाद में उन्होंने बेटी की परीक्षा का हवाला दिया और जब परीक्षा भी हो गई तो समस्या सामने आई कि उनको दिल्ली में मकान हीं नहीं मिल रहा था।
एक मकान मयूर विहार में मिला, लेकिन बाद में उसके लिए भी न करनी पड़ी क्योंकि उस मकान में अवैध निर्माण था।
दिल्ली के सिविल लाइंस में एक मकान को किराए पर लेने की डील आधिकारिक तौर पर हो भी गई, लेकिन बाद में वह दो भाइयों के प्रॉपर्टी विवाद में फंस गया और केजरीवाल उससे पीछे हट गए।
असल में कुछ और भी वजह थी, जिसकी वजह से अरविंद केजरीवाल अपने परिवार के लिए दिल्ली में किराए का मकान नहीं तलाश पाए। पहला यह कि अरविंद केजरीवाल को ध्यान रखना था कि जहां वह रहें वो जगह आसानी से पहुंचने लायक हो। साथ ही वहां के आसपास के लोग और माहौल ऐसा हो कि भीड़भाड़ होने पर लोगों को दिक्कत न हो।
अरविंद के परिवार में कुल छह सदस्य हैं इसलिए 3−4 कमरों का मकान अनिवार्य था। बात यह भी रही कि केजरीवाल अब पूर्व मुख्यमंत्री होने के साथ ही एक पार्टी प्रमुख भी हैं और प्रतिष्ठित नई दिल्ली विधानसभा सीट से विधायक भी हैं, इसलिए उनको घर में ही एक ऑफिस भी रखना होगा जिसके लिए जगह होनी चीहिए। और सबसे बड़ी बात मकान ऐसा हो कि केजरीवाल को आलोचना का शिकार न होना पड़े।
अब इतनी सारी शर्तों, विवादों और परिस्थितियों में केजरीवाल कम से कम दिल्ली में किराए का मकान नहीं ढूंढ पाए और लौट गए वहीं जहां से आए थे।
ये फ्लैट केजरीवाल की आईआरएस पत्नी के नाम पर आवंटित हुआ है और पहले भी ऐसे ही था, वैसे उनके करीबी उनके कौशांबी निवास को उनके लिए शुभ मानते हैं क्योंकि वहीं रहकर उन्होंने सूचना का अधिकार कानून, लोकपाल आंदोलन जैसे मुद्दों पर काम किया जिससे उनको खूब शोहरत मिली। आम आदमी पार्टी बनाई। पार्टी नें पहली ही बार में 28 सीट जीतकर सबको चौंकाया और देखते ही देखते केजरीवाल दिल्ली के सीएम बन गए।
जबकि तिलक लेन में जाने के बाद आलोचना, विवाद हावी रहे और सरकार से इस्तीफा, पार्टी की लोकसभा में करारी हार जैसी घटनाएं हुई जिससे केजरीवाल और पार्टी का मनोबल और जनता में भरोसा टूटा।
अब देखना होगा कि क्या वापस कौशांबी, यूपी में लौटना केजरीवाल के लिए शुभ होगा?
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