एपीजे अब्दुल कलाम : सपने तभी सच होते हैं, जब हम सपने देखना शुरू करते हैं (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भारत के 11वें राष्ट्रपति अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम यानी कि एपीजे अब्दुल कलाम साल 2002 में राष्ट्रपति चुने गए थे. 15 अक्टूबर 1931 को हुआ और वह 27 जुलाई 2015 को गुजर गए. मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है. बच्चों के बीच ही नहीं बल्कि समस्त देशवासियों के बीच प्रख्यात डॉक्टर कलाम जाने माने वैज्ञानिक थे. उनके प्रेरक बोल आज भी लोगों के जीवन में बड़ी प्रेरणा के तौर पर आते हैं. एक मछुआरे के बेटे का दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का राष्ट्रपति बन जाना यूं ही नहीं हुआ होगा, इसलिए लिए अथक परिश्रम और पॉजिटिव सोच रही होगी जिसे उन्होंने पग पग पर जीवन में उतारा.
आइए आज उनकी पुण्यतिथि पर उनके महान विचारों से रूबरू हों :
सपने तभी सच होते हैं, जब हम सपने देखना शुरू करते हैं.
सबके जीवन में दुख आते हैं, बस इन दुखों में सबके धैर्य की परीक्षा ली जाती है.
जीवन में सुख का अनुभव तभी प्राप्त होता है जब इन सुखों को कठिनाईओं से प्राप्त किया जाता है.
शिखर तक पहुंचने के लिए ताकत चाहिए होती है, चाहे वह माउन्ट एवरेस्ट का शिखर हो या कोई दूसरा लक्ष्य.
अगर हम अपने सफलता के रास्ते पर निराशा हाथ लगती है इसका मतलब यह नहीं है कि हम कोशिश करना छोड़ दें क्योंकि हर निराशा और असफलता के पीछे ही सफलता छिपी होती है.
सपने हमारे तभी तभी सच हो सकते हैं, जब सपनों को पूरा करने के लिए अपनी नींद तक का त्याग कर दें.
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आइए आज उनकी पुण्यतिथि पर उनके महान विचारों से रूबरू हों :
सपने तभी सच होते हैं, जब हम सपने देखना शुरू करते हैं.
सबके जीवन में दुख आते हैं, बस इन दुखों में सबके धैर्य की परीक्षा ली जाती है.
जीवन में सुख का अनुभव तभी प्राप्त होता है जब इन सुखों को कठिनाईओं से प्राप्त किया जाता है.
शिखर तक पहुंचने के लिए ताकत चाहिए होती है, चाहे वह माउन्ट एवरेस्ट का शिखर हो या कोई दूसरा लक्ष्य.
अगर हम अपने सफलता के रास्ते पर निराशा हाथ लगती है इसका मतलब यह नहीं है कि हम कोशिश करना छोड़ दें क्योंकि हर निराशा और असफलता के पीछे ही सफलता छिपी होती है.
सपने हमारे तभी तभी सच हो सकते हैं, जब सपनों को पूरा करने के लिए अपनी नींद तक का त्याग कर दें.
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