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This Article is From Feb 07, 2011

'नए अंतरिक्ष उत्पाद विकसित करेगा भारत'

बेंगलुरू: रक्षा मंत्री एके एंटनी ने सोमवार को कहा कि भारत अपनी सुरक्षा जरूरतों की पूर्ति के लिए नई अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं उत्पाद विकसित करेगा। एंटनी ने यहां अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा, "हमने अपने सशस्त्र बलों की जरूरतें पूरी करने के लिए कई चुनौतीपूर्ण अंतरिक्ष कार्यक्रम विकसित करने का एक महत्वाकांक्षी खाका तैयार किया है।" सरकारी रक्षा इकाइयों को गुणवत्ता सुधारने एवं सशस्त्र बलों के साथ आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए झकझोरते हुए एंटनी ने कहा कि यह समय की जरूरत है कि सुरक्षा सम्बंधी चिंताओं एवं अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए घरेलू प्रणालियों का प्रतिशत बढ़ाया जाए। विकसित किए जाने वाले अंतरिक्ष कार्यक्रमों में उन्नत किस्म के मध्यम लड़ाकू विमान (एमसीए), एयरोस्टैट, मानवरहित लड़ाकू विमान (यूसीए) वायुजनित पूर्व चेतावनी एवं नियंत्रण प्रणाली (एईडब्ल्यू एंड सीएस), मध्यम ऊंचाई लम्बी दूरी वाला मानवरहित विमान रुस्तम और गैस टर्बाइन इंजन कावेरी शामिल हैं। एंटनी ने संगोष्ठी में उपस्थित लगभग 800 प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा, "यद्यपि यह खाका रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठानों एवं निजी उद्योग के लिए अपार अवसर उपलब्ध कराता है, लेकिन ज्यादा महत्वपूर्ण बात स्वदेशीकरण एवं आत्मनिर्भरता है, क्योंकि यहां तक कि कोई मित्र देश भी सामरिक उद्देश्यों के लिए अपनी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को नहीं देना चाहता।" घरेलू स्तर पर विकसित किए गए हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस, प्रक्षेपास्त्र प्रणाली आकाश, मानवरहित विमान निशांत, पायलटरहित टार्गेट विमान लक्ष्य एवं वायुजनित पूर्व चेतावनी प्रणाली (एईडब्ल्यूएस) के विकास के लिए अंतरिक्ष उद्योग की प्रशंसा करते हुए एंटनी ने कहा कि इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर विकास की गति बनाए रखने के लिए स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर सहयोग आवश्यक है। एंटनी ने कहा, "यद्यपि अधिक विलम्ब के लिए तेजस की अक्सर आलोचना हुई है, लेकिन हमने एक विश्वस्तरीय विमान बनाने की कोशिश की है। दुनियाभर में जहां उत्पाद के पहले प्रौद्योगिकी सामने आती है, वहीं हमने एलसीए के मामले में दोनों काम एक साथ करने की कोशिश की, क्योंकि हमें प्रौद्योगिकी देने से इनकार कर दिया गया था और हमें कठिन तरीके से समस्या का समाधान करना करना था।" इस अवसर पर रक्षा राज्य मंत्री एमएम पल्लम राजू, भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल पीवी नाइक, रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार वीके सारस्वत और सरकार संचालित रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं के प्रमुख नियंत्रक प्रहलाद ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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