नई दिल्ली:
अन्ना हजारे के अनशन के सामने सरकार झुक गई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अन्ना को चिट्ठी लिखकर अनशन तोड़ने की अपील की है तो दूसरी ओर प्रणब मुखर्जी को बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इससे पूर्व, अंबिका सोनी ने सवर्दलीय बैठक के पहले संसदीय समिति बनाने और नए लोकपाल ड्राफ्ट में प्रधानमंत्री को लाने की बात कही। सरकार की ओर से शुरुआती दौर में अन्ना के मामले से जिस तरह निपटा गया उससे सरकार के बड़े खेमे में नाराज़गी है। टीम मनोमहन की ओर से चिदंबरम और कपिल सिब्बल जैसे लोगों ने तकनीकी ग़लतियां की जिसके चलते मामला बिगड़ गया। अब सरकार के लोग भी मान रहे हैं ग़लती हुई। मनीष तिवारी जैसे नेताओं को भी चुप रहने की सलाह दी गई है। अब पूरे मामले को सियासी तरीके से निपटाने की कवायद हो रही है। सरकार का कहना है कि स्टैंडिग कमेटी के सामने सरकार और अन्ना दोनों के बिल हैं। कमेटी के पास ये अधिकार भी है कि सुझावों के मुताबिक बिल में बदलाव कर सकें। वहीं अब सरकार विदेश में इलाज करा रहीं सोनिया गांधी को भी हर नए कदम की जानकारी दे रही है।
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