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This Article is From Dec 19, 2013

अन्ना के आंदोलन ने लोकतंत्र के नए आयाम खोले हैं : राष्ट्रपति

अन्ना के आंदोलन ने लोकतंत्र के नए आयाम खोले हैं : राष्ट्रपति
अन्ना हजारे की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:

संसद द्वारा लोकपाल विधेयक पारित किए जाने के एक दिन बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को कहा कि अन्ना हजारे ने जिस तरह का आंदोलन किया, उस तरह के आंदोलनों ने लोकतांत्रिक ढांचों के नए आयाम खोले हैं, जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती।

खुफिया ब्यूरो के एक सालाना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने लोकतंत्र के पारंपरिक विचार की ओर इशारा किया, जिसका मतलब निश्चित अंतराल पर चुनाव और सरकार के कामकाज की समीक्षा करना होता था पर अब इसमें काफी बदलाव आ गया है।

राष्ट्रपति ने कहा, महज 10 साल पहले कोई सामाजिक कार्यकर्ताओं, गैर-सरकारी संगठनों के बारे में सोचता तक नहीं था...अब वे सिर्फ यही मांग नहीं करते कि लोगों के हित की रक्षा के लिए खास तरह का कानून लागू कीजिए, बल्कि वे इस बात पर भी जोर देते हैं कि आपको किस तरह का मॉडल या किस तरह का ढांचा अपनाना है।

लोकपाल विधेयक पारित होने की ओर इशारा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, हमें राजी होना पड़ता है और यदि हम ऐसा नहीं कर पाते...तो उसे दबाकर रख दीजिए... हम इस तरह की चुनौतियों का आज सामना कर रहे हैं। गौरतलब है कि लोकपाल विधेयक के लिए अन्ना हजारे पिछले दो साल से भी ज्यादा समय से मुहिम चला रहे थे।

अन्ना हजारे के आंदोलन के बाबत अपना अनुभव साझा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि दो साल पहले जब यह चरम पर था, तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अन्ना से बातचीत करने के लिए गठित मंत्री-समूह की अध्यक्षता करने को कहा था। प्रणब ने बताया कि वियतनाम दौरे के दौरान भी उनसे पूछा गया कि वह आंदोलन से किस तरह निपटेंगे।

राजनीति के एक छात्र के तौर पर पेश आने की बात करते हुए प्रणब ने कहा, यह हमारे लोकतांत्रिक ढांचों में नए आयाम खोल रहे हैं, जिसका हमें निदान करना होगा और वह नया आयाम आखिर है क्या। प्रणब ने कहा कि पहले सोचा जाता था कि लोकतंत्र का मतलब होता है कि लोग अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करेंगे, जो उनके लिए कानून बनाएंगे और उन्हें लागू कराएंगे। निर्धारित अवधि के अंत में हमें उन्हें हिसाब देना होगा कि हम सफल हुए या नहीं।

बहरहाल, राष्ट्रपति ने कहा कि न तो निराशावाद के लिए कोई जगह है और न ही आत्म-संतोष के लिए। उन्होंने कहा, हम ऐसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। राष्ट्रीय एकता और अखंडता...125 करोड़ लोग...हमें सबको साथ रखना है। तेलंगाना के गठन की ओर इशारा करते हुए प्रणब ने कहा कि नए राज्यों का गठन और उनके लिए की जाने वाली मांगों से राजनीतिक, प्रशासनिक और बौद्धिक तौर पर निपटना होगा। लोगों को सशक्त करने के बाबत प्रणब ने कहा कि यह तत्काल मौके और चुनौतियां पैदा कर देते हैं।

प्रणब ने कहा, मैं इस बात से सहमत हूं कि सशक्तिकरण प्रदान कर हमारी विकास से जुड़ी रणनीति में बड़े बदलाव की जरूरत है। सिर्फ इरादा जाहिर करने से सशक्तिकरण नहीं किया जा सकता, बल्कि इसके लिए कानूनी व्यवस्था के समर्थन की जरूरत है। अपने इस तर्क को सही ठहराने के लिए उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून का प्रभावी इस्तेमाल करने वाले लोग सरकार की पोल खोल देते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा, कभी इस धारा को संशोधित करके, कभी उस धारा को संशोधित करके हम अल्पकाल के लिए समस्या सुलझाने की कोशिश करते हैं, पर लोग अधिकारों का आनंद उठाते हैं। कभी-कभी गलत इस्तेमाल भी होता है, पर चुनौतियां आ रही हैं और उन चुनौतियों से निपटना होगा।

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