कैग ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण 61 सड़कों के निर्माण में अत्यधिक देर होने पर सख्त ऐतराज जताया था...
नई दिल्ली:
भारत-चीन सीमा पर सामरिक सड़कों के निर्माण में अत्यधिक देर पर चिंता जताते हुए रक्षा मंत्रालय ने परियोजनाओं को शीघ्रता से पूरा करने के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को और अधिक प्रशासनिक एवं वित्तीय शक्तियां दी हैं. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण 61 सड़कों का बीआरओ द्वारा भारत-चीन सीमा सड़क (आईसीबीआर) परियोजना के तहत निर्माण में अत्यधिक देर होने पर सख्त ऐतराज जताया था, जिसके कुछ महीने बाद बीआरओ को अतिरिक्त शक्तियां देने का फैसला लिया गया है. इन सड़कों की कुल लंबाई 3,409 किलोमीटर है.
रक्षा मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि यह बीआरओ में बहुत बड़ा बदलाव लाने का इरादा रखता है ताकि कार्य की गति को बेहतर किया जा सके और सेना की जरूरत के मुताबिक वांछित नतीजे प्राप्त किए जा सकें. मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने बीआरओ को अतिरिक्त प्रशासनिक शक्तियां देने के अलावा स्वदेशी एवं आयातित निर्माण मशीन एवं उपकरण की खरीद के लिए बीआरओ महानिदेशक की वित्तीय शक्तियां बढ़ाकर 100 करोड़ रुपया तक कर दिया है.
पढ़ें: डोकलाम मुद्दे पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूं और इसलिये कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता’
अब से पहले महानिदेशक को 7.5 करोड़ रुपये तक के स्वदेशी उपकरण और तीन करोड़ रूपये के आयातित उपकरण खरीदने की शक्ति प्राप्त थी. रक्षा मंत्रालय ने टर्नकी आधार पर सड़क परियोजनाओं के काम में बड़ी कंपनियों को लगाने की बीआरओ को इजाजत देने के लिए नीतिगत दिशानिर्देश को भी मंजूरी दी है. डोकलाम को लेकर भारत और चीन की सेनाओं के बीच तकरार होने के मद्देनजर बीआरओ को ये शक्तियां दी गई हैं.
पढ़ें: लद्दाख में भारतीय सेना ने चीनी घुसपैठ को रोका, VIDEO में देखें उसके बाद कैसे शुरू हुई पत्थरबाजी...
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारत-चीन सीमा पर उन सड़कों के निर्माण में देर होने को लेकर भारतीय थल सेना नाखुश है और रक्षा मंत्रालय से परियोजना में तेजी लाने का अनुरोध किया था जिन्हें मूल रूप से 2012 में पूरा होना था. मंत्रालय ने कहा कि बीआरओ का एक चीफ इंजीनियर अब 50 करोड़ रुपये तक का, अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) 75 करोड़ रुपये तक का और महा निदेशक 100 करोड़ रुपये तक के ठेकों के लिए प्रशासनिक मंजूरी दे सकता है.
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इन परियोजनाओं को विभागीय या अनुबंधीय प्रणाली के तौर पर पूरा किया जा सकता है. साथ ही, जवाबदेही तय करने को लेकर कार्य की प्रगति की ऑनलाइन निगरानी के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
रक्षा मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि यह बीआरओ में बहुत बड़ा बदलाव लाने का इरादा रखता है ताकि कार्य की गति को बेहतर किया जा सके और सेना की जरूरत के मुताबिक वांछित नतीजे प्राप्त किए जा सकें. मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने बीआरओ को अतिरिक्त प्रशासनिक शक्तियां देने के अलावा स्वदेशी एवं आयातित निर्माण मशीन एवं उपकरण की खरीद के लिए बीआरओ महानिदेशक की वित्तीय शक्तियां बढ़ाकर 100 करोड़ रुपया तक कर दिया है.
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अब से पहले महानिदेशक को 7.5 करोड़ रुपये तक के स्वदेशी उपकरण और तीन करोड़ रूपये के आयातित उपकरण खरीदने की शक्ति प्राप्त थी. रक्षा मंत्रालय ने टर्नकी आधार पर सड़क परियोजनाओं के काम में बड़ी कंपनियों को लगाने की बीआरओ को इजाजत देने के लिए नीतिगत दिशानिर्देश को भी मंजूरी दी है. डोकलाम को लेकर भारत और चीन की सेनाओं के बीच तकरार होने के मद्देनजर बीआरओ को ये शक्तियां दी गई हैं.
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आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारत-चीन सीमा पर उन सड़कों के निर्माण में देर होने को लेकर भारतीय थल सेना नाखुश है और रक्षा मंत्रालय से परियोजना में तेजी लाने का अनुरोध किया था जिन्हें मूल रूप से 2012 में पूरा होना था. मंत्रालय ने कहा कि बीआरओ का एक चीफ इंजीनियर अब 50 करोड़ रुपये तक का, अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) 75 करोड़ रुपये तक का और महा निदेशक 100 करोड़ रुपये तक के ठेकों के लिए प्रशासनिक मंजूरी दे सकता है.
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इन परियोजनाओं को विभागीय या अनुबंधीय प्रणाली के तौर पर पूरा किया जा सकता है. साथ ही, जवाबदेही तय करने को लेकर कार्य की प्रगति की ऑनलाइन निगरानी के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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