
अखिलेश के नए विज्ञापनों में मुलायम सिंह को तरजीह दी जा रही है.
लखनऊ:
पिता से अपने संबंधों को सुधारने की कोशिशों के तहत अखिलेश यादव के नए सोशल मीडिया अभियान में मुलायम सिंह(77) को तरजीह दी जा रही है. इन विज्ञापनों में पिता को सम्मान देने के साथ उनकी फोटो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बड़ी दिखाई दे रही है. एक विज्ञापन में कहा गया है-'साथ रहें.' वहीं दूसरे में कहा गया है कि 'आगे बढ़े.' इन विज्ञापनों के माध्यम से पिता और पुत्र को एक साथ होने के संदेश के साथ आगे बढ़ने का संदेश निहित है. इससे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी यह संदेश दिया जा रहा है कि पिछले कई महीनों से जारी संघर्ष के खात्मा हो गया है और पिता-पुत्र फिर से एक साथ एक मंच पर हैं.
विश्लेषक इन विज्ञापनों को अखिलेश यादव की ब्रांडिंग से भी जोड़कर देख रहे हैं. विशेष रूप से ऐसे बुजुर्ग मतदाताओं को इसके माध्यम से आकर्षित करने की कोशिश की जा रही है जिनको यह लगता है कि अखिलेश ने गलत तरीके से पिता को हटाकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद हासिल किया. ऐसे में इन विज्ञापनों के माध्यम से यह जताने की कोशिश की जा रही है कि अखिलेश यादव पहले की तरह ही पिता के आज्ञाकारी पुत्र हैं और वह उनके करियर और पार्टी में योगदान का बेहद सम्मान करते हैं.

उल्लेखनीय है कि पार्टी में पिछले दिनों मचे घमासान के बीच पार्टी मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के खेमों में विभाजित हो गई थी. उसके बाद पार्टी पर वर्चस्व और सिंबल साइकिल पर दावेदारी का मसला चुनाव आयोग की दहलीज तक पहुंचा. उसकी परिणति सोमवार शाम आयोग के अखिलेश के पक्ष में फैसला सुनाने के रूप में हुई. उसके तत्काल बाद अखिलेश यादव पिता से मिलने भी पहुंचे. उन्होंने पिता के साथ एक फोटो भी ट्वीट किया जिस पर बाद में उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि यह फोटो पुराना था लेकिन यह दर्शाने के लिए उन्होंने इसे पेश किया था कि अब दोनों पक्षों के बीच की दूरियां मिट गई हैं.
उसके बाद मंगलवार को भी पिता-पुत्र में मुलाकात हुई और उसके बाद कलह समाप्त होती दिखाई दी. सूत्रों के मुताबिक मुलायम अब इस बात के लिए मान गए हैं कि वह अलग से अपने प्रत्याशी नहीं उतारेंगे लेकिन उन्होंने 38 प्रत्याशियों की सूची अखिलेश को दी.

विश्लेषक इन विज्ञापनों को अखिलेश यादव की ब्रांडिंग से भी जोड़कर देख रहे हैं. विशेष रूप से ऐसे बुजुर्ग मतदाताओं को इसके माध्यम से आकर्षित करने की कोशिश की जा रही है जिनको यह लगता है कि अखिलेश ने गलत तरीके से पिता को हटाकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद हासिल किया. ऐसे में इन विज्ञापनों के माध्यम से यह जताने की कोशिश की जा रही है कि अखिलेश यादव पहले की तरह ही पिता के आज्ञाकारी पुत्र हैं और वह उनके करियर और पार्टी में योगदान का बेहद सम्मान करते हैं.

उल्लेखनीय है कि पार्टी में पिछले दिनों मचे घमासान के बीच पार्टी मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के खेमों में विभाजित हो गई थी. उसके बाद पार्टी पर वर्चस्व और सिंबल साइकिल पर दावेदारी का मसला चुनाव आयोग की दहलीज तक पहुंचा. उसकी परिणति सोमवार शाम आयोग के अखिलेश के पक्ष में फैसला सुनाने के रूप में हुई.

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