NDTV से बातचीत करतीं शीला दीक्षित...
नई दिल्ली:
कांग्रेस की ओर से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद की प्रत्याशी के रूप में प्रस्तुत की गईं दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री 78-वर्षीय शीला दीक्षित ने बुधवार को NDTV से कहा कि समाजवादी पार्टी के नेता तथा यूपी के मौजूदा मुख्यमंत्री "अखिलेश यादव इस पद के लिए मुझसे कहीं बेहतर प्रत्याशी हैं", और वह अखिलेश के लिए रास्ता छोड़ देने में 'खुशी' महसूस करेंगी.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और राज्य में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में गठबंधन की चर्चाओं के बीच शीला दीक्षित ने हालांकि यह भी कहा कि उनसे किसी भी स्तर पर फिलहाल संभावित गठबंधन के बारे में कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया है.
पिछले साल जुलाई में कांग्रेस ने रिटायरमेंट की जीवन व्यतीत कर रहीं शीला दीक्षित को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया था. वैसे, मौजूदा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस वक्त अपनी समाजवादी पार्टी पर नियंत्रण के लिए अपने पिता मुलायम सिंह यादव से दो-दो हाथ करते नज़र आ रहे हैं.
हालांकि दोनों पक्षों - मुलायम तथा अखिलेश - के बीच मंगलवार को पार्टी को टूटने से बचाने पर विचार-विमर्श के लिए बैठक हुई थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया था. वैसे दोनों ही पक्षों ने समाजवादी पार्टी के चुनाव चिह्न 'साइकिल' पर अपना-अपना दावा पेश किया है, सो, यह भी स्पष्ट है कि पूरी तरह हार मानने के लिए कोई भी पक्ष तैयार नहीं है.
भले ही यादव परिवार के बीच झगड़ा खत्म नहीं हो रहा है, लेकिन कांग्रेस इस वक्त अखिलेश यादव गुट के साथ साझीदारी करने की इच्छुक है, क्योंकि वह मुलायम सिंह के गुट से ज़्यादा बड़ा और ताकतवर नज़र आ रहा है. इससे पहले, अखिलेश यादव कह भी चुके हैं कि उनके विचार से कांग्रेस के साथ गठबंधन करना फायदेमंद हो सकता है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और राज्य में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में गठबंधन की चर्चाओं के बीच शीला दीक्षित ने हालांकि यह भी कहा कि उनसे किसी भी स्तर पर फिलहाल संभावित गठबंधन के बारे में कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया है.
पिछले साल जुलाई में कांग्रेस ने रिटायरमेंट की जीवन व्यतीत कर रहीं शीला दीक्षित को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया था. वैसे, मौजूदा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस वक्त अपनी समाजवादी पार्टी पर नियंत्रण के लिए अपने पिता मुलायम सिंह यादव से दो-दो हाथ करते नज़र आ रहे हैं.
हालांकि दोनों पक्षों - मुलायम तथा अखिलेश - के बीच मंगलवार को पार्टी को टूटने से बचाने पर विचार-विमर्श के लिए बैठक हुई थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया था. वैसे दोनों ही पक्षों ने समाजवादी पार्टी के चुनाव चिह्न 'साइकिल' पर अपना-अपना दावा पेश किया है, सो, यह भी स्पष्ट है कि पूरी तरह हार मानने के लिए कोई भी पक्ष तैयार नहीं है.
भले ही यादव परिवार के बीच झगड़ा खत्म नहीं हो रहा है, लेकिन कांग्रेस इस वक्त अखिलेश यादव गुट के साथ साझीदारी करने की इच्छुक है, क्योंकि वह मुलायम सिंह के गुट से ज़्यादा बड़ा और ताकतवर नज़र आ रहा है. इससे पहले, अखिलेश यादव कह भी चुके हैं कि उनके विचार से कांग्रेस के साथ गठबंधन करना फायदेमंद हो सकता है.
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