अखिलेश और शिवपाल यादव की मीटिंग : कुछ बर्फ पिघली तो है

अखिलेश और शिवपाल यादव की मीटिंग : कुछ बर्फ पिघली तो है

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (फाइल फोटो)

खास बातें

  • मुलायम सिंह यादव ने खुद दोनों से मीटिंग कर झगड़ा निपटाने के लिए कहा था
  • मीटिंग के बाद शिवपाल ने कहा, मुख्यमंत्री को कब्जों के बारे में जानकारी दी
  • मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के विलय के बारे में भी बातचीत हुई
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच शुक्रवार को कई घंटे चली मीटिंग के बाद रिश्तों में जमी बर्फ कुछ पिघली है. कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव ने खुद दोनों से मीटिंग कर झगड़ा निपटाने के लिए कहा था.

यह मीटिंग मुख्यमंत्री के सरकारी बंगले में हुई, जहां स्टाफ को जाने की इजाजत नहीं थी. पता चला कि मीटिंग में दोनों ने एक-दूसरे से शिकायतों की फेहरिश्त पेश की. बाद में शिवपाल यादव ने कहा, 'परिवार में कोई झगड़ा नहीं है. रक्षाबंधन के दिन मैं शहर में नहीं था, इसलिए आज परिवार के लोग साथ बैठे और आपस में बातचीत हुई.'

चंद दिनों पहले शिवपाल यादव ने मैनपुरी में कह दिया था कि पार्टी के लोग गरीबों की जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन उनके आदेश के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. यही हाल रहा तो वो इस्तीफा दे देंगे. इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने 15 अगस्त को झंडा फहराने के कार्यक्रम में देश की आजादी पर कम परिवार के झगड़े पर ज्यादा बोला.

उन्होंने कहा, 'शिवपाल के साथ साजिश हो रही है और वह जानते हैं कि इसके पीछे कौन है. अगर शिवपाल ने इस्तीफा दे दिया तो बवाल मच जाएगा.' और वाकई इसके बाद सियासी भूचाल आ गया.

शुक्रवार सुबह 10.30 बजे जब शिवपाल मुख्यमंत्री के बंगले 5 कालिदास मार्ग पहुंचे तो अचानक सियासी अफवाहों का बाजार गर्म हो गया. पता चला है कि शिवपाल यादव ने अखिलेश से मैनपुरी से पार्टी के एक विधायक और एक एमएलसी की शिकायत की.

उन्हें बताया कि उनके खिलाफ बड़ी तादात में गरीबों की जमीन पर कब्जा करने और नकली शराब बिकवाने के इल्जाम हैं. सबूत के लिए शिवपाल अपने साथ दस्तावेज ले गए थे, जिन्हें उन्होंने अखिलेश को सौंप दिया. ये दोनों नेता मुलायम के चचेरे रामगोपाल यादव के करीबी माने जाते हैं. बाद में शिवपाल ने कहा, 'मुख्यमंत्री को कब्जों के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि हर मामले में कार्रवाई होगी.'

पता चला है कि मीटिंग में मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के विलय के बारे में भी बातचीत हुई. शिवपाल यादव की निजी राय थी कि मुख्तार की पूर्वांचल के कुछ जिलों में गरीबों में रॉबिनहुड जैसी छवि है. उनकी पार्टी का विलय कर उसे रद्द करने का वहां गलत संदेश गया है.

अखिलेश का कहना था कि इस मुद्दे पर वो एक बड़ा स्टैंड ले चुके हैं. उसे बदलने से उनकी छवि धूल में मिल जाएगी. यही नहीं, मुख्तार को बीजेपी साम्प्रदायिक ध्रुविकरण के लिए इस्तेमाल कर सकती है. ऐसे में विलय से फायदा कम नुकसान ज्यादा होगा. फिर इस मुद्दे को मुलायम सिंह के लिए छोड़ दिया गया.

चुनाव से पहले यादव खानदान में झगड़ों को दूर करने, कम से कम उन्हें ठंडे बस्ते में डाल देने की कवायद शुरू हुई है. क्योंकि चुनाव में परिवार के हर सदस्य की जरूरत है. देखना है कि ये कोशिश कितना रंग लाती है.


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