प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को हरियाणा में एक चुनावी रैली में कहा था कि भ्रष्टाचार एक कैंसर है, लेकिन उनकी अपनी ही सरकार ने एक शानदार ट्रैक रिकॉर्ड वाले ईमानदार अफसर को बिना कारण बताए पद से हटा दिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एम्स के चीफ विजिलेंस ऑफिसर संजीव चतुर्वेदी को पद से हटा दिया। चतुर्वेदी ने एम्स में भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया था। हर्षवर्धन ने कहा है कि चतुर्वेदी इस पद के योग्य नहीं थे और इस मुद्दे को ज्यादा तूल न दिया जाए।
पिछली सरकार के वक्त आदेश आया था कि चतुर्वेदी का तबादला बिना पीएमओ की रजामंदी के नहीं हो सकता है, यानी साफ है कि उन्हें पद से हटाने के लिए पीएमओ की मंजूरी ली गई।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक आदेश के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्री की मंजूरी के साथ एम्स, नई दिल्ली के सीवीओ का कामकाज तत्काल प्रभाव से तीन महीने की अवधि के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव और सीवीओ को सौंपने का फैसला किया गया है। हरियाणा कैडर के 2002 बैच के वन सेवा के अधिकारी चतुर्वेदी का कार्यकाल जून, 2016 में पूरा होता। सूत्रों के मुताबिक संजीव चतुर्वेदी ने खुद को हटाए जाने की सीबीआई जांच की मांग की है।
दरअसल, संजीव पहले हरियाणा में तैनात थे और वह वहां भी अपनी ईमानदारी की वजह से नेताओं के निशाने पर रहे। इसके बाद उनकी तैनाती एम्स में की गई और यहां भी अपनी ईमानदारी की वजह से वह सुर्खियों में रहे।
आइए जानते हैं कि संजीव चतुर्वेदी बतौर सीवीओ एम्स में किन-किन मामलों की जांच कर रहे थे-
एम्स में दवाओं की फर्जी बिक्री की जांच
महंगे उपकरणों की खरीद की जांच
गार्ड भर्ती घोटाले की जांच
टेंडर से जुड़े मामलों की जांच
पूर्व अधिकारी विनीत चौधरी के खिलाफ जांच
यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच
इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय ने एनडीटीवी को इस मुद्दे पर सफाई दी है। मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि एम्स में सतर्कता अधिकारी का पद स्थायी नहीं है।
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