प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
पिछले साल जनवरी में भारी तादात में हथियारों से लैस कुछ आतंकी पंजाब के पठानकोट स्थित एयरफोर्स बेस में घुस आए थे और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी, जिसमें 7 लोगों की मौत हुई थी. करीब 80 घंटे तक सुरक्षाबलों के ऑपरेशन के बाद उन आतंकियों को मार गिराया गया था. सुरक्षा में चूक की जांच के बाद पता चला कि देशभर के 3000 से भी ज्यादा संवेदनशील सैन्य ठिकानों में सुरक्षा और पुख्ता किए जाने की सख्त जरूरत है, जिसके लिए 2000 करोड़ रुपये की मांग की गई. लेकिन सूत्रों के अनुसार अभी तक इस मामले में सरकार ने एक रुपये की भी मंजूरी नहीं दी है.
पठानकोट आतंकी हमले के बाद लेफ्टिनेंट जनरल फिलिप कंपोस के नेतृत्व वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसके जरिए सबसे ज्यादा संवेदनशील सैन्य ठिकानों की पहचान की गई, जहांं सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद किए जाने की जरूरत थी. थल सेना के तीन सदस्य और वायुसेना एवं नौसेना के एक-एक सदस्य इस समिति का हिस्सा थे. सेना के तीनों अंगों ने करीब 2000 करोड़ रुपये की जरूरत बताई, जिसमें थल सेना ने 1000 करोड़ रुपये की तत्काल जरूरत बताई ताकि काम शुरू किया जा सके, लेकिन पठानकोट हमले के 14 महीने बीत जाने के बाद भी सैन्यबलों को पैसों का इंतजार है.
रिपोर्ट के अनुसार, सेना ने सैन्य ठिकानों की बाउंड्री और संतरी पोस्टों को मजबूत करने, सेंसर्स लगाने, कैमरा, प्रवेश बैरियर और मेटल डिटेक्टर लगाने का काम शुरू करने के लिए अपने आंतरिक फंड से करीब 325 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
सूत्र कहते हैं कि सेना की योजना तो तैयार है, लेकिन बिना पैसों के वह उस पर कार्रवाई नहीं कर सकती. इनमें से कुछ हैं सभी सैन्य इकाइयों का सुरक्षा ऑडिट, बहु स्तरीय सुरक्षा, स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर स्थापित करना, सुरक्षा योजना में फैमिली क्वार्टर को भी शामिल करना, बहु स्तरीय और कहीं बेहतर परिधि सुरक्षा शामिल हैं.
भारत ने पठानकोट हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर, उसके भाई अब्दुल रऊ असगर और दो अन्य को जिम्मेदार ठहराया है.
एक और वजह जिससे आतंकियों को फायदा पहुंचा, वो थी एयरबेस के 24 किलोमीटर की परिधि की अपर्याप्त निगरानी और एक 10 फीट ऊंची दीवार जिसके ऊपर कंटीले तार लगे थे.
पठानकोट आतंकी हमले के बाद लेफ्टिनेंट जनरल फिलिप कंपोस के नेतृत्व वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसके जरिए सबसे ज्यादा संवेदनशील सैन्य ठिकानों की पहचान की गई, जहांं सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद किए जाने की जरूरत थी. थल सेना के तीन सदस्य और वायुसेना एवं नौसेना के एक-एक सदस्य इस समिति का हिस्सा थे. सेना के तीनों अंगों ने करीब 2000 करोड़ रुपये की जरूरत बताई, जिसमें थल सेना ने 1000 करोड़ रुपये की तत्काल जरूरत बताई ताकि काम शुरू किया जा सके, लेकिन पठानकोट हमले के 14 महीने बीत जाने के बाद भी सैन्यबलों को पैसों का इंतजार है.
रिपोर्ट के अनुसार, सेना ने सैन्य ठिकानों की बाउंड्री और संतरी पोस्टों को मजबूत करने, सेंसर्स लगाने, कैमरा, प्रवेश बैरियर और मेटल डिटेक्टर लगाने का काम शुरू करने के लिए अपने आंतरिक फंड से करीब 325 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
सूत्र कहते हैं कि सेना की योजना तो तैयार है, लेकिन बिना पैसों के वह उस पर कार्रवाई नहीं कर सकती. इनमें से कुछ हैं सभी सैन्य इकाइयों का सुरक्षा ऑडिट, बहु स्तरीय सुरक्षा, स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर स्थापित करना, सुरक्षा योजना में फैमिली क्वार्टर को भी शामिल करना, बहु स्तरीय और कहीं बेहतर परिधि सुरक्षा शामिल हैं.
भारत ने पठानकोट हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर, उसके भाई अब्दुल रऊ असगर और दो अन्य को जिम्मेदार ठहराया है.
एक और वजह जिससे आतंकियों को फायदा पहुंचा, वो थी एयरबेस के 24 किलोमीटर की परिधि की अपर्याप्त निगरानी और एक 10 फीट ऊंची दीवार जिसके ऊपर कंटीले तार लगे थे.
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