NRC को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन का दौरा जारी है. इसे लेकर कई राजनीतिक पार्टियां अब मुखर रूप से अपनी बात रख रहे हैं. इस सूची में अब एक और नाम जुड़ गया है, यह नाम है जगन मोहन रेड्डी का. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का विरोध करती है और इसे राज्य में लागू नहीं करेगी. कडप्पा में विकास कार्यों का उद्घाटन करने के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार एनआरसी के खिलाफ है. सीएम रेड्डी ने कहा कि सोमवार को मेरे यहां पहुंचने के बाद, अल्पसंख्यक समुदाय के कई सदस्यों ने मुझसे मुलाकात की और गुजारिश की कि मैं एनआरसी पर बयान दूं. मैंने उन्हें साफ-साफ कह दिया है कि राज्य इसका समर्थन नहीं करेगी.
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उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री अमजत बाशा ने कुछ दिन पहले इस मुद्दे पर एक बयान दिया था. जगन ने अल्पसंख्यकों को कहा कि हम एनआरसी के खिलाफ हैं और इसको समर्थन करने का सवाल ही नहीं है. बता दें कि जगन रेड्डी ने कुछ समय पहले ही एनआरसी को लेकर प्रशांत किशोर से मुलाकात की. प्रशांत किशोर से बात के बाद ही उन्होंने इसके खिलाफ जाने का फैसला किया है.
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) को लेकर देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं. संसद में नीतीश कुमार की पार्टी जनता जल यूनाइटेड (JDU) ने इस बिल का समर्थन किया था, हालांकि JDU के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) इसका विरोध करते आए हैं. अब नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स ऑफ इंडिया (NRC) के मुद्दे पर भी किशोर ने अपनी बात रखी है. NDTV के साथ खास बातचीत में उन्होंने कहा, 'मैं इसकी मंशा के पीछे नहीं जा रहा हूं. हकीकत में जब इस तरह के कानून लागू होते हैं तो वह गरीब ही होते हैं जो सबसे ज्यादा इससे प्रताड़ित होते हैं. जैसे नोटबंदी, इसे लागू करने का मकसद था कि जिन लोगों के पास कालाधन है, उन लोगों पर चोट की जाए. अमीरों के पास ही कालाधन होता है. आखिरकार किसने इसकी कीमत चुकाई, गरीब आदमी ने इसकी कीमत चुकाई जिसके पास कालाधन था भी नहीं. उन्हें लाइन में लगना पड़ा.'
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प्रशांत किशोर ने आगे कहा, 'NRC की बात करें तो अपनी नागरिकता साबित करने के लिए हर किसी को अपने दस्तावेज दिखाने होंगे. बहुत से लोगों के पास दस्तावेज नहीं होंगे या उन्हें वो हासिल नहीं कर पाएंगे. अगर दस्तावेज हैं भी तो इसके लिए लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने होंगे. इससे वो प्रताड़ित होंगे, भ्रष्टाचार बढ़ेगा व अन्य कई तकलीफें पैदा होंगी. 20 करोड़ लोगों के पास अपना घर नहीं है, वो लोग अपनी नागरिकता कैसे साबित करेंगे.'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं