नई दिल्ली:
NDTV इंडिया के बाद सरकार ने एक उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों के बाद असम के भी एक समाचार चैनल 'न्यूज़ टाइम असम' को एक दिन के लिए प्रसारण बंद करने का आदेश दिया है. समिति ने महसूस किया कि चैनल ने एक से अधिक बार ‘प्रोग्रामिंग दिशा-निर्देशों’ का उल्लंघन किया. इसके अलावा मंत्रालय ने एक और चैनल 'केयरवर्ल्ड टीवी' को भी 9 नवंबर से सात दिन के लिए बैन करने का आदेश दिया है. चैनल पर आपत्तिजनक कंटेंट दिखाने का आरोप है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दो नवंबर के आदेश में चैनल ‘न्यूज टाइम असम’ को नौ नवंबर को एक दिन के लिए प्रसारण बंद करने को कहा है. चैनल के खिलाफ आरोपों में से एक आरोप है कि उसने एक कार्यक्रम का प्रसारण किया जिसने एक नाबालिग लड़की की पहचान का खुलासा किया जिसे घरेलू सेवक के तौर पर काम करने के दौरान बर्बर यातना दी गई थी. इसके अलावा चैनल पर शवों को दिखाने का आरोप भी है.
चैनल द्वारा प्रसारित दृश्यों में बच्ची की निजता और गरिमा से समझौता किए जाने की बात महसूस करते हुए चैनल को अक्टॅबर 2013 में एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. चैनल के पक्ष को सुनने के बाद अंतर मंत्रालयीन समिति, जिसने मामले की जांच की, उसने महसूस किया कि चैनल को एक दिन के लिए प्रसारण बंद करने को कहा जा सकता है.
बता दें कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एनडीटीवी के द्वारा कवरेज किए गए पठानकोट हमले पर सवाल उठाते हुए नोटिस भेजकर यह हिदायत दी है कि 9 नवंबर के दिन एनडीटीवी इंडिया का प्रसारण एक दिन के लिए स्थगित किया जाए. एनडीटीवी का जवाब है कि ये दुखद है कि सिर्फ़ एनडीटीवी को इस तरह निशाना बनाया गया जबकि सभी समाचार चैनलों और अखबारों की कवरेज एक जैसी ही थी. वास्तविकता में NDTV की कवरेज विशेष रूप से संतुलित थी. आपातकाल के काले दिनों के बाद जब प्रेस को बेड़ियों से जकड़ दिया गया था, उसके बाद से NDTV पर इस तरह की कार्रवाई अपने आप में असाधारण घटना है. इसके मद्देनजर NDTV इस मामले में सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दो नवंबर के आदेश में चैनल ‘न्यूज टाइम असम’ को नौ नवंबर को एक दिन के लिए प्रसारण बंद करने को कहा है. चैनल के खिलाफ आरोपों में से एक आरोप है कि उसने एक कार्यक्रम का प्रसारण किया जिसने एक नाबालिग लड़की की पहचान का खुलासा किया जिसे घरेलू सेवक के तौर पर काम करने के दौरान बर्बर यातना दी गई थी. इसके अलावा चैनल पर शवों को दिखाने का आरोप भी है.
चैनल द्वारा प्रसारित दृश्यों में बच्ची की निजता और गरिमा से समझौता किए जाने की बात महसूस करते हुए चैनल को अक्टॅबर 2013 में एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. चैनल के पक्ष को सुनने के बाद अंतर मंत्रालयीन समिति, जिसने मामले की जांच की, उसने महसूस किया कि चैनल को एक दिन के लिए प्रसारण बंद करने को कहा जा सकता है.
बता दें कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एनडीटीवी के द्वारा कवरेज किए गए पठानकोट हमले पर सवाल उठाते हुए नोटिस भेजकर यह हिदायत दी है कि 9 नवंबर के दिन एनडीटीवी इंडिया का प्रसारण एक दिन के लिए स्थगित किया जाए. एनडीटीवी का जवाब है कि ये दुखद है कि सिर्फ़ एनडीटीवी को इस तरह निशाना बनाया गया जबकि सभी समाचार चैनलों और अखबारों की कवरेज एक जैसी ही थी. वास्तविकता में NDTV की कवरेज विशेष रूप से संतुलित थी. आपातकाल के काले दिनों के बाद जब प्रेस को बेड़ियों से जकड़ दिया गया था, उसके बाद से NDTV पर इस तरह की कार्रवाई अपने आप में असाधारण घटना है. इसके मद्देनजर NDTV इस मामले में सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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