कोलकाता:
अपनी प्रधानाचार्य और कुछ अन्य शिक्षिकाओं को 21 घंटे से भी अधिक समय तक स्कूल के ही एक कमरे में बंधक बनाए रखने वाली 29 छात्राओं ने अध्यापिकाओं को उच्चाधिकारियों द्वारा यह वादा किए जाने के बाद अंततः आज़ाद कर दिया है कि उनकी उत्तरपुस्तिकाएं दोबारा जांची जाएंगी। हालांकि स्कूल की अध्यापिकाओं ने नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि फेल हो चुकी छात्राओं की उत्तरपुस्तिकाएं दोबारा जांचे जाने का फैसला गलत उदाहरण पेश करेगा, और यह काफी अपमानजनक भी है।
समस्या सोमवार को दोपहर बाद लगभग तीन बजे शुरू हुई थी, जब दक्षिणी कोलकाता के ऋषि अरविन्दो बालिका विद्यालय की 12वीं कक्षा की प्री-बोर्ड परीक्षा में फेल होने वाली 29 छात्राओं ने अपनी प्रधानाचार्य श्रीमती घोष और कुछ अन्य शिक्षकों को घेरकर एक कमरे में बंद कर ताला लगा दिया। छात्राओं की मांग थी कि उन्हें प्री-बोर्ड परीक्षा में उत्तीर्ण होने लायक अंक दिए जाएं, और बोर्ड की परीक्षा में बैठने दिया जाए। यह परीक्षा इस स्कूल की 105 छात्राओं ने दी थी, जिनमें से 76 पास हो गई थीं। फेल होने वाली छात्राओं का आरोप है कि उन्हें गलत तरीके से नंबर दिए गए, और इनमें से कुछ के माता-पिता ने भी अपनी बच्चियों का साथ दिया।
इसके बाद प्रधानाचार्य श्रीमती घोष ने कहा था कि इन छात्राओं को स्कूल की ओर से पास नहीं किया जाएगा, जब तक राज्य शिक्षा बोर्ड के उच्चाधिकारी उन्हें ऐसा करने का आदेश नहीं देते। प्रधानाचार्य ने राज्य के शिक्षामंत्री कार्यालय सहित सभी संबंधित अधिकारियों को फोन के जरिये मामले की पूरी जानकारी दे दी थी, लेकिन शिक्षामंत्री ने भी हस्तक्षेप नहीं किया था। पुलिस भी सोमवार को ही स्कूल पहुंच गई थी, और सारी रात बाहर खड़ी रही, लेकिन उन्होंने भी छात्राओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी।
मंगलवार पूर्वाह्न 11 बजे पश्चिम बंगाल हायर सेकेंडरी काउंसिल के दो अधिकारी स्कूल पहुंचे और प्रधानाचार्य तथा अध्यापिकाओं के साथ बैठक की, जिसके लगभग एक घंटे बाद हायर सेकेंडरी काउंसिल के सचिव अचिंत्य पाल ने घोषणा की कि फेल की गई छात्राओं की उत्तरपुस्तिकाएं दोबारा जांची जाएंगी, और तय किया जाएगा कि इनमें से कितनी छात्राओं को उत्तीर्ण होने लायक नंबर दिए जा सकते हैं। सभी फेल हुई छात्राओं से बुधवार पूर्वाह्न 11:30 बजे काउंसिल कार्यालय में पहुंचने के लिए कहा गया। छात्राएं भी इस पर सहमत हो गईं, और उन्होंने अपनी शिक्षिकाओं को आज़ाद कर दिया।
सारा मामला निपटने के बाद हालांकि अचिंत्य पाल ने दावा किया कि इस मामले को प्रधानाचार्य के अधिकारों को कम नहीं किया गया है, लेकिन प्रधानाचार्य श्रीमती घोष तथा अन्य अध्यापिकाओं ने कहा कि काउंसिल का यह फैसला अपमानजनक है, तथा इससे गलत उदाहरण पेश होगा। दरअसल, जैसे ही 12वीं कक्षा की इन छात्राओं ने शिक्षिकाओं को आज़ाद किया, उसी वक्त बताया गया कि 10वीं कक्षा की छात्राएं भी अपनी उत्तरपुस्तिकाओं की दोबारा जांच कराने की मांग कर रही हैं।
इस पूरे मामले को शिक्षाविदों ने कतई गलत बताया है। जानकारी मिली है कि इससे पहले भी छात्र-छात्राओं द्वारा अपनी मांगों को लेकर कॉलेजों के प्रिंसिपल आदि का घेराव किया जाता रहा है, लेकिन किसी स्कूल में ऐसा किया जाना अभूतपूर्व है।
समस्या सोमवार को दोपहर बाद लगभग तीन बजे शुरू हुई थी, जब दक्षिणी कोलकाता के ऋषि अरविन्दो बालिका विद्यालय की 12वीं कक्षा की प्री-बोर्ड परीक्षा में फेल होने वाली 29 छात्राओं ने अपनी प्रधानाचार्य श्रीमती घोष और कुछ अन्य शिक्षकों को घेरकर एक कमरे में बंद कर ताला लगा दिया। छात्राओं की मांग थी कि उन्हें प्री-बोर्ड परीक्षा में उत्तीर्ण होने लायक अंक दिए जाएं, और बोर्ड की परीक्षा में बैठने दिया जाए। यह परीक्षा इस स्कूल की 105 छात्राओं ने दी थी, जिनमें से 76 पास हो गई थीं। फेल होने वाली छात्राओं का आरोप है कि उन्हें गलत तरीके से नंबर दिए गए, और इनमें से कुछ के माता-पिता ने भी अपनी बच्चियों का साथ दिया।
इसके बाद प्रधानाचार्य श्रीमती घोष ने कहा था कि इन छात्राओं को स्कूल की ओर से पास नहीं किया जाएगा, जब तक राज्य शिक्षा बोर्ड के उच्चाधिकारी उन्हें ऐसा करने का आदेश नहीं देते। प्रधानाचार्य ने राज्य के शिक्षामंत्री कार्यालय सहित सभी संबंधित अधिकारियों को फोन के जरिये मामले की पूरी जानकारी दे दी थी, लेकिन शिक्षामंत्री ने भी हस्तक्षेप नहीं किया था। पुलिस भी सोमवार को ही स्कूल पहुंच गई थी, और सारी रात बाहर खड़ी रही, लेकिन उन्होंने भी छात्राओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी।
मंगलवार पूर्वाह्न 11 बजे पश्चिम बंगाल हायर सेकेंडरी काउंसिल के दो अधिकारी स्कूल पहुंचे और प्रधानाचार्य तथा अध्यापिकाओं के साथ बैठक की, जिसके लगभग एक घंटे बाद हायर सेकेंडरी काउंसिल के सचिव अचिंत्य पाल ने घोषणा की कि फेल की गई छात्राओं की उत्तरपुस्तिकाएं दोबारा जांची जाएंगी, और तय किया जाएगा कि इनमें से कितनी छात्राओं को उत्तीर्ण होने लायक नंबर दिए जा सकते हैं। सभी फेल हुई छात्राओं से बुधवार पूर्वाह्न 11:30 बजे काउंसिल कार्यालय में पहुंचने के लिए कहा गया। छात्राएं भी इस पर सहमत हो गईं, और उन्होंने अपनी शिक्षिकाओं को आज़ाद कर दिया।
सारा मामला निपटने के बाद हालांकि अचिंत्य पाल ने दावा किया कि इस मामले को प्रधानाचार्य के अधिकारों को कम नहीं किया गया है, लेकिन प्रधानाचार्य श्रीमती घोष तथा अन्य अध्यापिकाओं ने कहा कि काउंसिल का यह फैसला अपमानजनक है, तथा इससे गलत उदाहरण पेश होगा। दरअसल, जैसे ही 12वीं कक्षा की इन छात्राओं ने शिक्षिकाओं को आज़ाद किया, उसी वक्त बताया गया कि 10वीं कक्षा की छात्राएं भी अपनी उत्तरपुस्तिकाओं की दोबारा जांच कराने की मांग कर रही हैं।
इस पूरे मामले को शिक्षाविदों ने कतई गलत बताया है। जानकारी मिली है कि इससे पहले भी छात्र-छात्राओं द्वारा अपनी मांगों को लेकर कॉलेजों के प्रिंसिपल आदि का घेराव किया जाता रहा है, लेकिन किसी स्कूल में ऐसा किया जाना अभूतपूर्व है।
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