पेड्डाकुंटा (तेलंगाना):
हिन्दुस्तान की जनता को गड्ढों से भरी खतरनाक सड़कों, और उन पर होने वाली दुर्घटनाओं से जुड़ी ख़बरें पढ़ने की आदत हो चुकी है, लेकिन तेलंगाना में एक गांव ऐसा भी है, जिसे उसके बीच से गुज़रते और 'किलर रोड' कहलाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग (नेशनल हाईवे) की वजह से एक खास पहचान मिली है - विधवाओं का गांव...
दरअसल, नेशनल हाईवे नंबर 44 की वर्ष 2006 में बनाई गई एक बाईपास रोड पेड्डाकुंटा गांव के बीच से गुज़री, जिससे गांववालों के घर एक तरफ रह गए, और वह हेडक्वार्टर दूसरी तरफ पहुंच गया, जहां वे मासिक पेंशन लेने और दूसरे गांवों में काम पाने की उम्मीद में जाते हैं।
पूरे गांव में बचा है सिर्फ एक वयस्क पुरुष
बस, इसके बाद से बीसियों गांववासियों की मौत का कारण बन चुकी इस सड़क की वजह से पेड्डाकुंटा को 'हाईवे विधवाओं का गांव' कहा जाने लगा है, क्योंकि अब वहां बसे 35 परिवारों में सिर्फ एक वयस्क पुरुष बचा है। बाकी सभी परिवारों में सिर्फ महिलाएं, बच्चे और लाचार बुज़ुर्ग रह गए हैं।
स्थानीय लोगों के मुताबिक पेड्डाकुंटा में अब तक लगभग 35 पुरुष गांववासी सड़क पार करने के दौरान हादसों में मारे जा चुके हैं।
अपने मरहूम पति की तस्वीर दिखाते हुए 23-वर्षी कुर्रा अस्ली का कहना है, "मेरे पति की मौत भी यहीं सड़क हादसे में हुई, और मेरे भाई और पिता की भी... अब हमारे घर में देखभाल करने वाला कोई मर्द नहीं रहा है..."
गांव में रहने वाली एक अन्य विधवा ने अपने पति की लाश की तस्वीर ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर दिखाई, जो हादसे के बाद बाईपास पर खींची गई थी, और जिसमें उनका बायां पैर पूरी तरह कुचला हुआ दिखाई दे रहा था।
पुल या सुरंग बनाने की मांग
स्थानीय लोगों ने चार लेन के हाईवे को सुरक्षित तरीके से पार करने के लिए कई बार पैदलों के लिए पुल या भूमिगत सुरंग बनाने की मांग की है, लेकिन विधवाओं का कहना है कि कोई सुनवाई नहीं हुई।
38-वर्षीय के. मानी मिट्टी से बनी अंगीठी पर खाना पकाते-पकाते कहती हैं, "कोई हमारी मदद नहीं करता... सब आते हैं, फोटो-वीडियो खींचते हैं, और चले जाते हैं..." तीन बच्चों की मां के. मानी ने बताया, "मेरे घर में गुसलखाना तक नहीं है, और मेरे पास गैस चूल्हा भी नहीं है... और मेरी मदद करने वाला भी कोई नहीं..."
भारत में सड़क हादसों में हर साल होती हैं 2,30,000 लोगों की मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत में हर साल लगभग 2,30,000 लोगों की मौत होती है, और यातायात विश्लेषणों में इन मौतों के सबसे बड़े कारणों में खराब सड़कों, गलत तरीके से प्रशिक्षित ड्राइवरों और अंधाधुंध गाड़ी चलाने को शुमार किया जाता है। वैसे, सरकार ने सड़कों को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से मौजूदा नर्म यातायात कानूनों को कड़ा बनाते हुए नया कानून लाने का प्रस्ताव किया है।
दरअसल, नेशनल हाईवे नंबर 44 की वर्ष 2006 में बनाई गई एक बाईपास रोड पेड्डाकुंटा गांव के बीच से गुज़री, जिससे गांववालों के घर एक तरफ रह गए, और वह हेडक्वार्टर दूसरी तरफ पहुंच गया, जहां वे मासिक पेंशन लेने और दूसरे गांवों में काम पाने की उम्मीद में जाते हैं।
पूरे गांव में बचा है सिर्फ एक वयस्क पुरुष
बस, इसके बाद से बीसियों गांववासियों की मौत का कारण बन चुकी इस सड़क की वजह से पेड्डाकुंटा को 'हाईवे विधवाओं का गांव' कहा जाने लगा है, क्योंकि अब वहां बसे 35 परिवारों में सिर्फ एक वयस्क पुरुष बचा है। बाकी सभी परिवारों में सिर्फ महिलाएं, बच्चे और लाचार बुज़ुर्ग रह गए हैं।
स्थानीय लोगों के मुताबिक पेड्डाकुंटा में अब तक लगभग 35 पुरुष गांववासी सड़क पार करने के दौरान हादसों में मारे जा चुके हैं।
अपने मरहूम पति की तस्वीर दिखाते हुए 23-वर्षी कुर्रा अस्ली का कहना है, "मेरे पति की मौत भी यहीं सड़क हादसे में हुई, और मेरे भाई और पिता की भी... अब हमारे घर में देखभाल करने वाला कोई मर्द नहीं रहा है..."
गांव में रहने वाली एक अन्य विधवा ने अपने पति की लाश की तस्वीर ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर दिखाई, जो हादसे के बाद बाईपास पर खींची गई थी, और जिसमें उनका बायां पैर पूरी तरह कुचला हुआ दिखाई दे रहा था।
पुल या सुरंग बनाने की मांग
स्थानीय लोगों ने चार लेन के हाईवे को सुरक्षित तरीके से पार करने के लिए कई बार पैदलों के लिए पुल या भूमिगत सुरंग बनाने की मांग की है, लेकिन विधवाओं का कहना है कि कोई सुनवाई नहीं हुई।
38-वर्षीय के. मानी मिट्टी से बनी अंगीठी पर खाना पकाते-पकाते कहती हैं, "कोई हमारी मदद नहीं करता... सब आते हैं, फोटो-वीडियो खींचते हैं, और चले जाते हैं..." तीन बच्चों की मां के. मानी ने बताया, "मेरे घर में गुसलखाना तक नहीं है, और मेरे पास गैस चूल्हा भी नहीं है... और मेरी मदद करने वाला भी कोई नहीं..."
भारत में सड़क हादसों में हर साल होती हैं 2,30,000 लोगों की मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत में हर साल लगभग 2,30,000 लोगों की मौत होती है, और यातायात विश्लेषणों में इन मौतों के सबसे बड़े कारणों में खराब सड़कों, गलत तरीके से प्रशिक्षित ड्राइवरों और अंधाधुंध गाड़ी चलाने को शुमार किया जाता है। वैसे, सरकार ने सड़कों को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से मौजूदा नर्म यातायात कानूनों को कड़ा बनाते हुए नया कानून लाने का प्रस्ताव किया है।
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