ऐसे समय जब पड़ोसी देश श्रीलंका, भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है, भारत उसकी मदद के लिए आगे आया है. भारत की ओर से 24 घंटों में श्रीलंका में 76 हजार टन ईंधन भेजा गया है.श्रीलंका का आर्थिक संकट कितना गहरा चुका है, इसका अंदाजा इसी बात से लगायाा जा सकता है कि वहां ईंधन, रसोई गैस के लिए लंबी लाइनें लग रही हैं. पेट्रोल पंप पर पेट्रोल-डीजल के लिए लोग कई घंटों तक इंतजार करने के लिए मजबूर है. आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित हुई है और और घंटों की बिजली कटौती से जनता तंग आ चुकी है.
श्रीलंका भोजन और ईंधन की कमी के साथ एक गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है जिससे देशभर में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हो रहे हैं. जबकि COVID-19 महामारी ने पहले ही काम-धंधा चौपट कर दिया है. नतीजतन श्रीलंका को विदेशी मुद्रा की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है, जिसने संयोगवश, खाद्य और ईंधन आयात करने की उसकी क्षमता को प्रभावित किया है, जिससे देश में लंबे वक्त तक बिजली कटौती हुई है.
आवश्यक वस्तुओं की कमी ने श्रीलंका को मित्र देशों से सहायता लेने के लिए मजबूर किया. आर्थिक संकट को लेकर बढ़ते जन आक्रोश के बीच श्रीलंका के 26 सदस्यीय कैबिनेट मंत्रियों ने रविवार को इस्तीफा दे दिया. इस बीच, श्रीलंका पर शनिवार शाम छह बजे लगाया गया 36 घंटे का कर्फ्यू सोमवार सुबह छह बजे हटा लिया गया लेकिन देश में अभी भी आपातकाल की स्थिति है.
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