कोलकाता में झुग्गियों के 40 फीसदी बच्चे टीके से वंचित, दिल्ली में हाल ज्यादा बुरा

कोलकाता में झुग्गियों के 40 फीसदी बच्चे टीके से वंचित, दिल्ली में हाल ज्यादा बुरा

प्रतीकात्मक तस्वीर

कोलकाता:

एक सर्वेक्षण से पता चला है कि कोलकाता की झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले 40 फीसदी बच्चे संपूर्ण प्रतिरक्षा कार्यक्रम के दायरे से बाहर छूट गए हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का हाल और भी बुरा है। वहां महज 31 फीसदी बच्चों तक टीकाकरण कार्यक्रम का लाभ पहुंच पाया है। स्वयंसेवी संस्था चाइल्ड राइट्स एंड यू (सीआरवाई) ने दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरू और मुंबई की झुग्गी बस्तियों में इस बारे में सर्वेक्षण किया कि संक्रामक रोगों से प्रतिरक्षा के लिए चलाए जाने वाले टीकाकरण कार्यक्रम से एक से छह वर्ष तक की आयु के कितने बच्चों को लाभ पहुंचा है।

कोलकाता के सर्वे में पाया गया कि 58 फीसदी बच्चों को अनुशंसित (रिकमंडेड) टीकों में से कम से कम एक टीका जरूर लगा है। यानि, 42 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जिन्हें किसी भी रोग से बचाने का कोई टीका नहीं लगा।

सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि एक से तीन वर्ष तक के बच्चे-बच्चियों को सभी तरह के टीके लगने के मामले में लैंगिक असमानता भी है। यह पाया गया कि सभी तरह के टीके लगवाने में सफल रहने वालों में 61.2 फीसदी बच्चे हैं और 56.5 फीसदी बच्चियां हैं।

सर्वेक्षण के मुताबिक, सबसे बुरा हाल दिल्ली का है। यहां एक से तीन वर्ष तक के महज 31 फीसदी बच्चों को ही सभी तरह के टीके लगाए गए हैं। सर्वे में पाया गया कि 87 फीसदी अभिभावक समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) से 'अपेक्षाकृत संतुष्ट' हैं।

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सर्वेक्षण में पाया गया कि 76 फीसदी अभिभावकों ने कहा कि उन्हें आंगनबाड़ी केंद्रों से कभी भी यह नहीं बताया गया कि उनकी संतान कम वजन की शिकार है और उसे अस्पताल या अन्य स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाना चाहिए।