प्रतीकात्मक तस्वीर
मुंबई:
मुंबई का संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान दुनिया का ऐसा अनोखा नेशनल पार्क है जो शहर में बसा है। और अब पता चला है कि इसमें 35 तेंदुए रहते हैं जिन्होंने अपना-अपना इलाका बांट रखा है। ये खुलासा तकरीबन 7 महीने के सर्वेक्षण के बाद हुआ है। वर्ना अब तक यही माना जाता था कि नेशनल पार्क के जंगल में कम से कम 21 तेंदुए हैं।
नेशनल पार्क कुल 104 वर्ग किलोमीटर में फैला है और अगर इसमें नागला ब्लॉक और आरे कॉलोनी का जंगल भी जोड़ दिया जाये तो ये इलाका 140 वर्ग किलोमीटर का हो जाता है। इतना बड़ा नेशनल पार्क शायद ही दुनिया के किसी शहर के करीब हो।
पार्क के डायरेक्टर विकास गुप्ता के मुताबिक ये पार्क अपने आप में अनोखा है। पक्षियों, जानवरों और पेड़ पौधों की सैकड़ों प्रजातियों से अटा पड़ा है। लेकिन वृहद और वैज्ञानिक तरीके से कभी पार्क का सर्वेक्षण नहीं हुआ था।
पहली बार भारतीय वन्यजीव संस्थान के साथ मिलकर तेंदुए, उनके शिकार और रहने का एक नियोजनबद्ध सर्वेक्षण किया गया। दिसंबर 2014 से जून 2015 तक चले इस सर्वेक्षण से तेंदुओं की संख्या के अलावा भी कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं। मसलन तेंदुओं के मल के अध्ययन से पता चला है कि उसमे 57 फिसदी जंगली जानवरों का अवशेष है और 43 फिसदी पालतू जानवरों का है जिसमें अकेले कुत्ते का हिस्सा 24 फिसदी है।
विकास गुप्ता का ये भी दावा है कि जंगल में सिर्फ तेंदुए ही नही बड़ी संख्या मे हिरन, सांभर, चीतल, बंदर जैसे शिकार होने वाली कुल 13 प्रजातियां हैं।
सर्वेक्षण करने में अहम भूमिका निभाने वाले भारतीय वन्यजीव संस्थान के विद्यार्थी निकित सुर्वे के मुताबिक सर्वेक्षण के लिये पूरे पार्क को 3 भागों में वर्गीकृत किया गया और हर भाग में 10 से 15 लोकेशन चुनकर वहां कैमरा ट्रैप लगाये गये। सेंसर वाले उन कैमरों की खासियत है कि जैसे ही कोई जानवर उसके सामने से गुजरता है उसकी तस्वीर क्लिक कर लेता है।
तकरीबन 5 महीने की मशक्कत के बाद सभी तस्वीरों का कंप्यूटर के जरिये मिलान किया गया। निकित के मुताबिक जिस तरंह हर इंसान की उंगलियों का निशान एक जैसा नही होता उसी तरहं तेंदुओं के रोजेट यानी शरीर पर बने धब्बों के गुच्छे कभी एक जैसे नहीं होते।
नेशनल पार्क में आजाद घूम रहे 35 तेंदुओं के अलावां 15 दूसरे तेंदुओं भी जिन्हे अलग-अलग ठिकानों से पकड़ कर लाया गया है। उनमें से कुछ घायल थे तो कुछ के नरभक्षी होने का शक है। इसलिये उन सभी को अलग से बने रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है।
नेशनल पार्क कुल 104 वर्ग किलोमीटर में फैला है और अगर इसमें नागला ब्लॉक और आरे कॉलोनी का जंगल भी जोड़ दिया जाये तो ये इलाका 140 वर्ग किलोमीटर का हो जाता है। इतना बड़ा नेशनल पार्क शायद ही दुनिया के किसी शहर के करीब हो।
पार्क के डायरेक्टर विकास गुप्ता के मुताबिक ये पार्क अपने आप में अनोखा है। पक्षियों, जानवरों और पेड़ पौधों की सैकड़ों प्रजातियों से अटा पड़ा है। लेकिन वृहद और वैज्ञानिक तरीके से कभी पार्क का सर्वेक्षण नहीं हुआ था।
पहली बार भारतीय वन्यजीव संस्थान के साथ मिलकर तेंदुए, उनके शिकार और रहने का एक नियोजनबद्ध सर्वेक्षण किया गया। दिसंबर 2014 से जून 2015 तक चले इस सर्वेक्षण से तेंदुओं की संख्या के अलावा भी कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं। मसलन तेंदुओं के मल के अध्ययन से पता चला है कि उसमे 57 फिसदी जंगली जानवरों का अवशेष है और 43 फिसदी पालतू जानवरों का है जिसमें अकेले कुत्ते का हिस्सा 24 फिसदी है।
विकास गुप्ता का ये भी दावा है कि जंगल में सिर्फ तेंदुए ही नही बड़ी संख्या मे हिरन, सांभर, चीतल, बंदर जैसे शिकार होने वाली कुल 13 प्रजातियां हैं।
सर्वेक्षण करने में अहम भूमिका निभाने वाले भारतीय वन्यजीव संस्थान के विद्यार्थी निकित सुर्वे के मुताबिक सर्वेक्षण के लिये पूरे पार्क को 3 भागों में वर्गीकृत किया गया और हर भाग में 10 से 15 लोकेशन चुनकर वहां कैमरा ट्रैप लगाये गये। सेंसर वाले उन कैमरों की खासियत है कि जैसे ही कोई जानवर उसके सामने से गुजरता है उसकी तस्वीर क्लिक कर लेता है।
तकरीबन 5 महीने की मशक्कत के बाद सभी तस्वीरों का कंप्यूटर के जरिये मिलान किया गया। निकित के मुताबिक जिस तरंह हर इंसान की उंगलियों का निशान एक जैसा नही होता उसी तरहं तेंदुओं के रोजेट यानी शरीर पर बने धब्बों के गुच्छे कभी एक जैसे नहीं होते।
नेशनल पार्क में आजाद घूम रहे 35 तेंदुओं के अलावां 15 दूसरे तेंदुओं भी जिन्हे अलग-अलग ठिकानों से पकड़ कर लाया गया है। उनमें से कुछ घायल थे तो कुछ के नरभक्षी होने का शक है। इसलिये उन सभी को अलग से बने रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है।
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