जर्जर बिजली के तारों की चपेट में आकर यूपी में रोजाना दो लोगों की मौत होती है
लखनऊ:
घरों का रोशन के करने वाली बिजली किसी के जीवन में अंधेरे की वजह भी हो सकती है. उत्तर प्रदेश में तो इस बिजली की वजह से एक-दो नहीं बल्कि हजारों घरों के साथ लोगों के जीवन में भी अंधेरा छा गया है. यूपी विद्युत उपभोक्ता परिषद ने मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री से बिजली के कारण बढ़ती दुर्घटनाएं रोकने के उपाय करने की गुहर लगाई है. परिषद के मुताबिक, बीते चार साल में कुल 4789 विद्युत दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 2533 लोगों की मौत हो चुकी है.
परिषद का कहना है कि वर्ष 2015-16 में कुल अग्निकांड की संख्या 262 रही, जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर फसलों का नुकसान हुआ. गर्मी शुरू होते ही बिजली का तार टूटने व गेहूं की फसल जलने की घटनाएं आम हो जाती हैं, जिससे किसानों की मेहनत की कमाई पानी में फिर जाती है. दूसरी ओर, प्रदेश में बड़े पैमाने पर जनहानि भी हो रही है. सरकार को सबसे पहले जर्जर तारों को बदलने, जीआई वायर बदलने एवं लंबी स्पैन के बीच अतिरिक्त खंभे लगाने एवं सेफ्टी डिवाइस को कार्यक्षम का निर्देश बिजली कंपनियों को देना होगा.
ग्रामीण इलाकों में बिजली की लाइनें झूल रही हैं, तेज हवा चलने से आपस में टकराती है और उनसे निकली चिंगारी आग का रूप ले लेती हैं और फसलों के जलने व जनहानि होने की घटनाएं होती हैं. वर्ष 2015-16 में बिजली से होने वाले अग्निकांड पर नजर डालें, तो इसकी कुल संख्या प्रदेश में 262 रही है, जिसका मुख्य कारण विद्युत लाइनों के ढीले तारों का आपस में टकराना और चिंगारी से आग लगना है. इसी तरह जनहानि की घटनाओं पर नजर डालें, तो उसमें भी बेहिसाब इजाफा हुआ है.
वर्ष 2013-14 में जहां विद्युत दुर्घटनाओं से मरने वाले व्यक्तियों की संख्या 570 हुआ करती थी, वहीं अब वह वर्ष 2015-16 में बढ़कर 723 हो गई है. मतलब 2 व्यक्ति रोज प्रदेश में विद्युत दुर्घटना से मर रहे हैं. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व विश्व ऊर्जा कौंसिल के स्थाई सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने मुख्यमंत्री से इस संवेदनशील प्रकरण पर हस्तक्षेप करने की मांग की है.
(इनपुट आईएएनएस से)
परिषद का कहना है कि वर्ष 2015-16 में कुल अग्निकांड की संख्या 262 रही, जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर फसलों का नुकसान हुआ. गर्मी शुरू होते ही बिजली का तार टूटने व गेहूं की फसल जलने की घटनाएं आम हो जाती हैं, जिससे किसानों की मेहनत की कमाई पानी में फिर जाती है. दूसरी ओर, प्रदेश में बड़े पैमाने पर जनहानि भी हो रही है. सरकार को सबसे पहले जर्जर तारों को बदलने, जीआई वायर बदलने एवं लंबी स्पैन के बीच अतिरिक्त खंभे लगाने एवं सेफ्टी डिवाइस को कार्यक्षम का निर्देश बिजली कंपनियों को देना होगा.
ग्रामीण इलाकों में बिजली की लाइनें झूल रही हैं, तेज हवा चलने से आपस में टकराती है और उनसे निकली चिंगारी आग का रूप ले लेती हैं और फसलों के जलने व जनहानि होने की घटनाएं होती हैं. वर्ष 2015-16 में बिजली से होने वाले अग्निकांड पर नजर डालें, तो इसकी कुल संख्या प्रदेश में 262 रही है, जिसका मुख्य कारण विद्युत लाइनों के ढीले तारों का आपस में टकराना और चिंगारी से आग लगना है. इसी तरह जनहानि की घटनाओं पर नजर डालें, तो उसमें भी बेहिसाब इजाफा हुआ है.
वर्ष 2013-14 में जहां विद्युत दुर्घटनाओं से मरने वाले व्यक्तियों की संख्या 570 हुआ करती थी, वहीं अब वह वर्ष 2015-16 में बढ़कर 723 हो गई है. मतलब 2 व्यक्ति रोज प्रदेश में विद्युत दुर्घटना से मर रहे हैं. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व विश्व ऊर्जा कौंसिल के स्थाई सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने मुख्यमंत्री से इस संवेदनशील प्रकरण पर हस्तक्षेप करने की मांग की है.
(इनपुट आईएएनएस से)
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