
वीरभद्र सिंह अपनी सीट बचाने में तो कामयाब रहे, लेकिन कांग्रेस को नहीं बचा पाए
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वीरभद्र सिंह ने चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार स्वीकार कर ली है
प्रचार में कमी के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को दोषी ठहराया
वीरभद्र ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर दोष लगाने से इनकार कर दिया
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छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र ने प्रचार अभियान में कमी के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को दोषी ठहराया. उन्होंने 6,051 वोटों के अंतर से अर्की सीट पर जीत हासिल की. उन्होंने कहा, 'जो भी गलतीरही हो, मैंने अपने संसाधनों के भीतर राज्य में अकेले प्रचार किया और अपना सर्वश्रेष्ठ दिया.'
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वीरभद्र ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर दोष लगाने से इनकार कर दिया और कहा, 'चुनाव मेरे नेतृत्व में हुआ और मैं हार स्वीकार करता हूं.' उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह ने शिमला (ग्रामीण) सीट से विधानसभा चुनाव में अपनी पहली जीत हासिल की है.
कांग्रेस के कैबिनेट मंत्री सुधीर शर्मा, ठाकुर सिंह और प्रकाश चौधरी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हाथों हार का सामना करना पड़ा है. बीजेपी 68 में से 36 सीटों पर बढ़त बनाकर सत्ता में आती दिख रही है. हालांकि, बीजेपी के राज्य अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती को अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा है.
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