
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में एक ही परिवार के चार लोग समय पर पोलियो की वैक्सीन लेने के बावजूद पोलियो से प्रभावित हो गए हैं. यह परिवार हैदरगढ़ कस्बे में भटगावन गांव में रहता है. जिसमें चार लोग अलग-अलग चरण में दिव्यांग हैं. उनके पिता का 10 साल पहले कैंसर से निधन हो चुका है. इनकी मां हसीगुल ने कहा, "मेरे सभी बच्चे 10 वर्ष के होने के बाद पोलियो से पीड़ित हो गए. मैं उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गई और उसके बाद कुछ निजी डॉक्टरों के पास ले गई, लेकिन कोई फायदा नहीं मिला. हमारे सभी बच्चों ने समय पर पोलियो वैक्सीन ली थीं."
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स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ डॉक्टरों को जब इस मामले की जानकारी दी गई, तो उन्होंने कहा कि इनमें अपंगता शायद अनुवांशिक लक्षणों के कारण हुई है. हसीगुल के मायके पक्ष में पोलियो का कोई मामला नहीं है. उन्होंने कहा, "लक्षण पोलियो के हैं, लेकिन इसके कारणों का पता लगाने के लिए उन्नत स्वास्थ्य जांच कराने की जरूरत है."
पोलिया की रोकथाम
पोलियो की रोकथाम के लिए सबसे जरूरी है कि बच्चों को पोलियो की खुराक दी जाए और पोलियो की वैक्सीन यानी टीके लगवाए जाएं. हम आपको बताते हैं कि पोलियो की दवा या टिकाकरण कब-कब कराएं.
- जन्म के समय
- छह सप्ताह पर
- दस सप्ताह का होने पर
- 14 सप्ताह का होने पर
- एक या डेढ़ साल पर (यह बूस्टर होता है)
इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे के 14 सप्ताह का होने तक उसे पोलियो की तीनों खुराक मिल जाएं.
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- पोलियो के टिकाकरण के साथ ही साथ बच्चे को स्तनपान कराना भी जरूरी है. मां के दूध में प्रतिरोधक (शक्ति) होती है, जो बच्चे को पोलियो से बचाने में मददगार है.
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