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आपको भी होती हैं रंगों को पहचानने में दिक्कत? हो सकते हैं कलर ब्लाइंडनेस के शिकार, इन Tests से जानें आंखों का हाल

Color Blindness Tests: बहुत लोग रंगों को देखने और इनकी पहचान करने में सक्षम नहीं होते हैं. ये समस्या कलर ब्लाइंडनेस कहलाती है. इस दिक्कत से निपटने के लिए कुछ जांचें करवाना आपके लिए बेहतर ऑप्शन हो सकता है.  

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आपको भी होती हैं रंगों को पहचानने में दिक्कत? हो सकते हैं कलर ब्लाइंडनेस के शिकार, इन Tests से जानें आंखों का हाल

Test for Color Blindness: बहुत लोगों को कलर ब्लाइंडनेस की दिक्कत होती है और वह रंगों को देखने और रंगों की पहचान करने में सक्षम नहीं होते हैं. जिसकी वजह से उनको चीजें खरीदने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ जाता है. तो वहीं कई बार ऐसे लोग सही तरीके से पढ़ भी नहीं पाते हैं. कलर ब्लाइंडनेस को कलर विजन डेफिशियेंसी (Colour Vision Deficiency) भी कहते हैं. रंग दृष्टिहीनता यानी कलर ब्लाइंडनेस या कलर विजन डेफिशियेंसी ऐसी मेडिकल कंडीशन है, कोई कुछ खास रंगों को नहीं देख पाता. आमतौर पर यह फोटोरिसेप्टर (Photoreceptors) कहे जाने वाली कुछ कोशिकाओं के की कमी के चलते होता (color blindness causes) है.

Test for Color Blindness: ऐसे में बहुत लोग ये समझ नहीं पाते हैं कि इस समस्या (Test for Color Blindness) का समाधान आखिर किस तरह से किया जाए. तो आपको बता दें कि कलर ब्लाइंडनेस की समस्या का समाधान कुछ जांचों के जरिए आसान तरीकों से किया जा सकता है. आइए आपको बताते हैं इसके बारे में.

कैसे पता चलेगा कि आपको कलर ब्लाइंडनेस है, टेस्ट्स कलर ब्लाइंडनेस के लिए कौन से टेस्ट होते हैं (Test for Color Blindness​)

कलर ब्लाइंडनेस के लिए दो तरह की जांचें कराई जा सकती हैं. इनमें एक स्क्रीनिंग जांच के जरिए रंग संबंधी दृष्टि समस्या के होने का पता लगाया जा सकता है.  तो वहीं समस्या को ज्यादा गहराई से समझने के लिए एक और जांच की जाती है जिसमें कलर ब्लाइंडनेस की गंभीरता को मापा जा सकता है.  

इशिहारा कलर विजन जांच

इशिहारा कलर विजन टेस्ट एक लोकप्रिय तरीका है जिससे कलर ब्लाइंडनेस की जांच की जाती है. खासकर लाल-हरे रंग की कमी को पता करने के लिए. यह टेस्ट 100 साल पहले जापानी नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. शिनोबु इशिहारा ने विकसित किया था. इस टेस्ट में कई चित्र होते हैं, हर चित्र में विभिन्न रंगों और आकारों के बिंदु होते हैं.

सामान्य रंग दृष्टि वाले व्यक्ति को छिपी हुई एक संख्या दिखाई देती है, लेकिन लाल-हरे रंग की कमी वाले व्यक्ति को या तो बिंदुओं का कोई यादृच्छिक पैटर्न दिखाई देता है या फिर उन्हें सामान्य व्यक्ति से अलग संख्या दिखाई देता है. इस पूरे टेस्ट में 38 चित्र होते हैं और टेस्ट के दौरान कमरे में सामान्य प्रकाश होता है.

अगर आपको चश्मा लगा हुआ है, तो आपको टेस्ट के दौरान उसे पहनना होता है. अगर आप इशिहारा कलर विजन टेस्ट में पास नहीं होते हैं, तो आपके नेत्र चिकित्सक आपके साथ इसके बारे में बातचीत करते हैं.  

यह भी पढ़ें : इस तस्‍वीर में कितने नंबर पढ़ पाए आप? ये बताएगा आपकी आंखों में कलर ब्‍लाइंडनेस का लेवल, जान लें इसके लक्षण और कारण

फार्न्सवर्थ-मंसेल 100 ह्यू टेस्ट (Farnsworth-Munsell 100 Hue Test)

इस स्क्रीनिंग जांच से कलर ब्लाइंडनेस की जानकारी मिल सकती है, लेकिन बहुत गंभीर स्थिति को ठीक से निर्धारित करने के लिए Farnsworth-Munsell 100 Hue Test जैसी अधिक विस्तृत जांच की जरुरत होती है. यह जांच रंग दृष्टि की कमी को निर्धारित करने में मदद करती है. इस टेस्ट में चार ट्रे होते हैं, हर ट्रे में अलग-अलग रंगों के बहुत सारे छोटे डिस्क होते हैं. प्रत्येक ट्रे के एक छोर पर रंगीन डिस्क होते हैं जो रेफ्रेंस के रूप में काम करते हैं. आपको प्रत्येक ट्रे में डिस्क को सही क्रम में लगाना होता है ताकि आप एक संदर्भ से दूसरे तक रंग की पहचान कर सकें.

यह जांच उस कमरे में की जाती है जिसमें प्राकृतिक दिन की रोशनी की तरह ही उजाला होता है. प्रत्येक रंगीन डिस्क पर एक संख्या होती है जो जांच करने वाले को रंगों के परिणामों को तुलना करने में मदद करती है. जो ये बताती है कि कलर ब्लाइंडनेस किस प्रकार की है और उसकी कितनी गंभीरता है. Farnsworth-Munsell 100 Hue Test का छोटा वर्जन D15 टेस्ट होता है जिसमें 15 रंगीन डिस्क होते हैं और यह केवल कलर ब्लाइंडनेस स्क्रीनिंग के लिए होता है.

किन लोगों को करवानी चाहिए ये जांचें

वैसे तो जिन लोगों को रंगों को पहचानने में परेशानी होती है उनको तो ये जांच करवानी ही चाहिए. इनके सिवा अपने जीवन में हर नॉर्मल व्यक्ति को भी कम-से-कम एक बार कलर ब्लाइंड जांच करवाना चाहिए. खासकर उन लोगों को जिनका काम  रंगों पर आधारित है. इनमें  प्रोफेशनल आर्टिस्ट, मार्केटिंग प्रोफेशनल, डिजाइनर और इलेक्ट्रीशियन के तौर पर काम करने वाले लोग शामिल हैं.

हालांकि कलर ब्लाइंडनेस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग नॉर्मल और संतोषजनक जीवन जीते हैं. कलर ब्लाइंडनेस की दिक्कत को कुछ हद तक कम करने के लिए रंगीन चश्मों की मदद ली जा सकती है. जो कि उन्हें रंगों को ज्यादा सही तरीके से देखने में मदद कर सकते हैं.

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