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This Article is From Dec 14, 2017

कांग्रेस गुजरात जीते या हारे, मगर बीजेपी को राहुल गांधी से ये 5 बातें जरूर सीखनी चाहिए

राहुल गांधी अब राजनीति के माहिर खिलाड़ी हो गये हैं और बीजेपी को उनसे ये पांच बातें जरूर सीखनी चाहिए. 

कांग्रेस गुजरात जीते या हारे, मगर बीजेपी को राहुल गांधी से ये 5 बातें जरूर सीखनी चाहिए
गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: गुजरात विधानसभा चुनाव कई मायनों में याद रखा जाएगा. कभी नेताओं के विवादित बयानों को लेकर तो कभी आरोप-प्रत्यारोपों को लेकर. हार-जीत लगी रहती है और इस चुनाव का भी परिणाम आएगा. कांग्रेस जीतेगी या फिर भाजपा फिर से सत्ता बरकरार रखने में कामयाब होगी, ये 18 दिसंबर को ही साफ होगा. मगर इस चुनाव में एक बात जो सबसे अचंभित करने वाली दिखी है वो है राहुल गांधी का व्यक्तित्व. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के समर्थक हों या फिर विरोधी, मगर इस चुनाव में जिस तरह से राहुल गांधी ने अपनी परिपक्व राजनीति का प्रदर्शन किया, उसे किसी तरह से आप नकार नहीं सकते. गुजरात चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान पीएम मोदी से भी ज्यादा लोगों को राहुल गांधी ने हैरान किया है. लोकसभा चुनाव और बाद के विधानसभा चुनावों में राहुल गांधी के भीतर नेतृत्व क्षमता में कमी दिखती रही, मगर गुजरात में जिस तरह से उन्‍होंने पार्टी का मोर्चा संभाले रखा और पीएम मोदी को कड़ी टक्कर दी, उससे तो ये साफ है कि राहुल गांधी अब राजनीति के माहिर खिलाड़ी हो गये हैं और बीजेपी को उनसे ये पांच बातें जरूर सीखनी चाहिए. 

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1. शब्दों की मर्यादा का ख्याल
पूरे गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने जिस तरह से संयम का परिचय दिया है, वो काबिल-ए-तारीफ है. चुनाव अभियान के दौरान चारों तरफ से विवादित बयानों की बारिश हो रही थी, मगर उसकी एक भी बूंद राहुल ने अपने ऊपर नहीं पड़ने दी. राहुल गांधी ने पूरे चुनाव अभियान के दौरान पीएम मोदी पर कभी व्यक्तिगत हमला नहीं बोला. मगर बीजेपी के लोग और खुद पीएम मोदी ने राहुल गांधी पर निशाना साधने से कभी गुरेज नहीं किया. इस चुनाव में बीजेपी ने राहुल गांधी के धर्म से लेकर मंदिर जाने तक पर प्रहार किया, मगर राहुल ने कभी मुद्दों के इतर व्यक्तिगत हमला नहीं किया. उधर, पीएम मोदी ने राहुल गांधी की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के समय भी हमला बोला और औरंगजेब राज की शुरुआत बताया था. मगर राहुल गांधी ने तब भी पीएम मोदी पर कोई जुबानी हमला नहीं बोला. इसके इतर, राहुल ने अपने कार्यकर्ताओं को साफ हिदायत दी थी कि कोई भी पीएम मोदी पर व्यक्तिगत तौर पर हमला नहीं करेगा.

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2. विकास के मुद्दों से नहीं भटके राहुल
गुजरात चुनाव के पूरे अभियान पर नजर दौड़ाने पर ये पता चलता है कि राहुल गांधी गुजरात का चुनाव गुजरात के मुद्दों पर ही लड़ना चाहते थे और उन्होंने इसके आस-पास खुद को और पार्टी को बनाये रखा. जहां इस चुनाव में बीजेपी विकास के मुद्दों से भागती नजर आई, वहीं राहुल गांधी मुद्दों की बात करते नजर आए. बीजेपी ने चुनाव को मुद्दों से भटकाने की पूरजोर कोशिश की. यही वजह है कि पीएम मोदी ने इस चुनाव में पाकिस्तान की भी एंट्री करा दी. एक-दो चुनावी रैलियों को छोड़ दे तो पीएम मोदी ने कहीं भी मुद्दों की बात नहीं की. जबकि राहुल ने कहा भी कि पीएम मोदी की अधिकतर बातें राहुल और कांग्रेस केंद्रित होती हैं. राहुल ने बार-बार बीजेपी को मुद्दों पर बात करने के लिए उकसाया भी. राहुल गांधी विकास के मुद्दे पर ही गुजरात को फोकस रखा, मगर बीजेपी तो जैसे विकास को भूल ही गई थी. 

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3. जब राहुल ने अय्यर पर की कार्रवाई
राहुल गांधी उस वक्त सबकी नजरों में हीरो हो गये जब उन्होंने पीएम मोदी को नीच आदमी कहने वाले कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर के विवादित बयान की त्वरित निंदा की थी और पार्टी के प्राथमिक सदस्य से उन्हें निलंबित कर दिया था. इस प्रकरण ने लोगों के इस बात का संकेत दे दिया कि अब राहुल गांधी पहले वाले राहुल गांधी नहीं रहे. वहीं, भाजपा की ओर से कई सारे विवादित बयान भी आए, मगर पीएम मोदी और भाजपा ने अपने नेताओं पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की. इस लिहाज से देखा जाए तो राहुल गांधी ने अपने वरिष्ठ नेता को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर ये जता दिया कि अब वो पार्टी को एक अलग तरह से तैयार कर रहे हैं. राहुल गांधी ने अय्यर वाले मामले में बीजेपी को बता दिया कि राहुल अब गलत बयानबाजी बर्दाश्त नहीं करेंगे चाहे वो कोई भी हो. 

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4. जब पाटीदार समाज को राहुल ने साध लिया
गुजरात में कुछ समय के लिए पटेल समुदाय बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए सिरदर्द बन चुका था. हार्दिक पटेल के नेतृत्व वाले पटेल समुदाय की शर्तों का हल निकालने और उस पाटीदार समाज का समर्थन पाने की फेहरिस्त में बीजेपी और कांग्रेस दोनों शामिल थी, मगर राहुल गांधी ने अपनी राजनीतिज्ञ कुशलता का परिचय देते हुए इस रेस से बीजेपी को अलग कर दिया और हार्दिक पटेल का समर्थन जीत लिया. आरक्षण के मुद्दे पर हार्दिक पटेल को अपने पक्ष में करना इतना आसान नहीं था, मगर ये राहुल गांधी की काबिलियत ही थी कि राहुल ने हार्दिक को अपने पक्ष में कर लिया.

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5. जब बीजेपी को घेरने में कामयाब हुए राहुल
गुजरात चुनाव के मद्देनजर अगर केंद्र सरकार जीएसटी की दरों में बदलाव करने को मजबूर हुई, तो इसके पीछे राहुल गांधी ही हैं. राहुल गांधी ने गांधीनगर में जिस जोर-शोर से इस मुद्दे को उठाया और इसे गब्बर सिंह टैक्स करार दिया, उसके बाद बीजेपी के लिए गुजरात में मुश्किल घड़ी पैदा होने लगी. सच कहा जाए तो गुजरात में राहुल गांधी ने बीजेपी के हाथों से विकास का मुद्दा छीन लिया. कल तक जो बीजेपी विकास की रट लगाया करती थी, गुजरात चुनाव में विकास की रट सिर्फ राहुल गांधी को लगाते देखा गया. इसके अलावा अपने आत्मविश्वास की बदौलत राहुल गांधी पीएम मोदी को टक्कर देने में कामयाब भी साबित हुए हैं. 

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खैर, गुजरात चुनाव में कांग्रेस की हार होगी या जीत ये तो वक्त ही बताएगा, मगर इस चुनाव ने एक बात तो साफ कर दी है कि राहुल गांधी अब लोकतंत्र के पर्व को मनाना सीख गए हैं और इस चुनाव में उनके अंदर जो चीजें देखने को मिली हैं, वो सच में बीजेपी और अन्य पार्टियों को सीखनी चाहिए. 

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