
Road To Old Trafford Tournament: ये मौक़ा अचानक ही आया. भारत में मैनचेस्टर यूनाइटेड के सबसे ज़्यादा फ़ैंस हैं. एक सर्वे के मुताबिक भारत के तकरीबन 16 करोड़ फ़ुटबॉल फ़ैंस में सबसे ज़्यादा क़रीब 3.5 करोड़ तो मैन यूनाइटेड के हैं. इन फ़ुटबॉल फ़ैन्स में, दुनिया में कहीं भी हों, एक अलग तरह का जुनून होता है. इसलिए यूनाइटेड के फ़ैंस ओल्ड ट्रैफ़र्ड पर पांव रखने और उससे बढ़कर वहां खेलने की अहमियत अच्छी तरह समझते हैं. ओल्ड ट्रैफ़र्ड के आइकनिक टर्फ़ पर यूं तो किसी कोे पांव रखने की इजाज़त नहीं, लेकिन यूरोपीय टीमें अब समझने लगी हैं कि उनकी बड़ी कामयाबी का रास्ता भारत के फ़ैंस के ज़रिये ही बढ़ सकता है.
इसलिए इस टूर्नामेंट में भारत के पूर्व भारतीय कप्तान रेनेडी सिंह, पूर्व भारतीय खिलाड़ी रॉबिन सिंह और कई युवा टैलेंट के साथ NDTV सहित देश के तीन पत्रकार शामिल किए गए. बड़ी बात ये भी है कि इसके ज़रिये भारतीय फ़ुटबॉल के दशा और दिशा की तस्वीर कुछ और साफ़ हुई. यूनाइटेड और बुल्गारिया के सुपरस्टार फ़ुटबॉलर केरला ब्लास्टर्स के लिए भी फ़ुटबाल खेल चुके हैं. बरबातोव कहते हैं,"भारतीय फ़ुटबॉलर्स में यकीनन टैलेंट है. लेकिन वो प्लान के मुताबिक नहीं खेलते. अपना हुनर दिखाने में अक्सर चूक जाते हैं. "
बरबातोव की कई बातें युवा भारतीय फ़ुटबॉलर्स के लिए सबक हो सकती हैं. वहीं इंग्लैंड और मैन यूनाइटेड के पूर्व गोल मशीन एंडी कोल कहते हैं, "भारत में टैलेंट तो है और उनमें आगे आने का माद्दा दिखता है. अपोलो टायर्स की रोड टू ओल्ड ट्रैफ़र्ड जैसी कोशिशें सबके लिए बड़ा मौक़ा है. आने वाले दिनों में ठीक से प्लान करें तो भारतीय फ़ुटबॉलर्स EPL में भी चमकते दिख सकते हैं." ख़ासकर भारतीय फ़ुटबॉलर्स यहां आकर बेहद उत्साहित नज़र आये.
पूर्व भारतीय कप्तान रेनेडि सिंह कहते हैं, "किसी के लिए भी मैन यूनाइटेड में आकर खेलना बड़ी बात है. लेकिन हमें पहले अपना इंफ़्रास्ट्रक्चर और ज़िला, राज्य स्तरका गेम ठीक करना होगा. वहां उनके लिए मौक़े बनाने होंगे. फिर इस स्तर पर आगे बढ़ने की बात सोच सकते हैं. पहले एशिया स्तर और तब वर्ल्ड लेवल की बात करनी पड़ेगी."
मैनचेस्टर यूनाइटेड के इस मौक़े पर आये सभी खिलाड़ी और एक्सपर्ट्स ये ज़रूर मानते हैं कि भारतीय फ़ुटबॉल को आगे बढ़ाने के लिए यूरोपीय फ़ुटबॉल की रफ़्तार पर ज़रूर नज़र बनाये रखनी होगी. अपोलो टायर्स की रोड टू ओल्ड ट्रैफ़र्ड (RTOT )मुहिम के तहत देशभर से चार टीमें चुनी गईं और फिर उसमें तीन पत्रकारों को भी शामिल किया गया.
(सौजन्य- अपोलो टायर्स-- डिस्क्लेमर- ये स्टोरी अपोलो टायर्स के सौजन्य से उनके रोड टू ओल्ड ट्रैफ़र्ड अभियान के सौजन्य से लिखी गई है)
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