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This Article is From Oct 14, 2018

Navratri 2018, Navami: नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त, कन्या पूजन का महत्व

देश के कई हिस्सों में अलग-अलग तरह से नवरात्रि मनाया जाता है. नवरात्रि के आठवें और नौंवे दिन कंजक (Kanjak) या कन्या पूजन (Kanya Puja) किया जाता है. कन्याओं को मां दुर्गा का ही रूप माना जाता है.

Navratri 2018, Navami: नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त, कन्या पूजन का महत्व
Kanjak, Kanya Pujan 2018: जानिए कि कैसे आप बेहतर तरीके से कर सकते हैं कन्या पूजन या कंजक.

Navami 2018: नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा की जाती है. हमारे देश में दो बार नवरात्र का पर्व मनाया जाता है एक चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) और दूसरा शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri). देश में शारदीय नवरात्र (Navratri 2018) मनाया जा रहा है. इस त्यौहर में नौ दिन देवी दुर्गा (Navdurga) के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में यह त्यौहर बहुत ही पवित्र माना जाता है. देवी दुर्गा (Maa Durga) के नौ रूपों की पूजा की जाती है जिसे हम नवरात्र कहते हैं. इन नौ दिनों में जल्दी उठ कर नहाने के बाद देवी दुर्गा (Goddess Durga) की पूजा करते हैं. दूध-चीनी और फलों का भोग लगाया जाता है. नवरात्रि के नौवे दिन को नवमी (Navami) कहते हैं. इस दिन नवमी पूजा की जाती है इस दिन महागौरी देवी सिद्दीदात्री का पूजन किया जाता है. नौवें दिन का रंग गुलाबी है. इस बार नवमी पूजा 18 अक्टूबर को है. तो चलिए आपको बताते हैं कि कैसे होती है नवमी पूजा (Navami celebrated) और कब है पूजा का शुभ मुहूर्त - 

 

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कब है नवमी, कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त- When Is Navami: Navami Puja, Navami Date


18 अक्टूबर 2018 नवमी पूजन या कन्या पूजन के दो शुभ मुहूर्त है - 
 

 

सुबह 6 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 58 मिनट तक
सुबह 10 बजकर 46 मिनट से दोपहर 3 बजकर 3 मिनट तक

 

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क्या है राम नवमी का महत्व और कैसे करें कन्या पूजन - Ram Navami 2018 Significance, Kanya Pujan in Hindi

देश के कई हिस्सों में अलग-अलग तरह से नवरात्रि मनाया जाता है. नवरात्रि के आठवें और नौंवे दिन कंजक (Kanjak) या कन्या पूजन (Kanya Puja) किया जाता है. कन्याओं को मां दुर्गा का ही रूप माना जाता है. तो चलिए आपको बताते हैं राम नवमी ( Ram Navami) के दिन कन्या पूजन का महत्व और यह भी कि आप इसे कैसे करें- 

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कैसे करें कन्या पूजन (Kanya Pujan)-

पूजा में सबसे पहले उठकर नहाने के बाद सर्वप्रथम गणेश जी का पूजन करें. गणेश जी को प्रथमपूज्य माना जाता है इसलिए किसी भी पूजा में सबसे पहले गणेश जी का पूजन होता है. उसके बाद नवमी को सिद्दीदात्री, माहागौरी का पूजन करें इस दिन गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करें.

कन्या पूजन के लिए अपने घर में 2 से 10 साल तक की कन्याओं को भोजन करने के लिए बुलाएं. माना जाता है कि मां दुर्गा स्वयं कन्या रूप में आपके घर आती हैं. कन्याओं को भोजन कराने से माता बहुत प्रसन्न होती है. इस भोजन में कन्याओं को हलवा(Halwa), पूरी (Puri) और काले चने (Chane-Chhole) दिए जाते हैं. कन्या पूजन से आपके घर में धन-धान्य की कोई कमी नही रहती. परिवार सुखी रहता है और माता के आर्शिवाद से आपके घर में सुख-समृधि बनी रहती है. 

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कन्या पूजन में एक दिन पहले कन्याओं को निमंत्रण दें और आदर से उन्हे घर में बुलाए जब कन्या घर में प्रवेश कराएं. जब कन्याएं आपके घर पहुंचे तो उनके पैरों को धोएं. उसके बाद उनके माथे पर कुमकुम का टीका और माता के नाम की लाल चुनरी को उनके सिर पर दें. 

कन्या पूजन में कन्याओं को मीठी चीजें ही खिलाई जाती हैं जैसे, हलवा-पूरी और चना, दही, जलेबी, पूरी, खीर, चना, गुड. क्योंकि ये माता के प्रिय भोजन माने जाते हैं. सबसे ज्यादा माता को प्रिय है हलवा-पूरी और चना. भोजन के बाद कन्याओं को एक-एक या दो-दो फल भेंट करें. 

कन्याओं को भोजन कराने के बाद उन्हें उपहार दें. उनके पैर छूएं और उनसे आर्शिवाद लें. 

 

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