
नए साल के साथ एक बार फिर से त्योहारी सीजन की शुरूआत हो गई है. एक बार फिर से इस साल 14 जनवरी को पूरा देश मकर संक्रांति का त्योहार मनाने के लिए तैयार है. मकर संक्रांति देश भर में सबसे अधिक मनाए जाने वाले भारतीय त्योहारों में से एक है. इस त्योहार के मौके पर बहुत ही जगह पतंगबाजी, भव्य मेलों और खानपान की चीजों का आयोजन किया जाता है. भारत के कई स्थानीय क्षेत्रों में इस पर्व को अपने तरीके से मनाते हैं. कर्नाटक और तेलंगाना में उगादी, पंजाब में लोहड़ी, असम में बिहू और तमिलनाडु में पोंगल इन नामों से इस त्योहार को मनाया जाता है. यह भारत जैसे कृषि आधारित देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण समय होता है. ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है. इसी वजह से इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. इस मौके पर घरों में पारंपरिक स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाएं जाते हैं.
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मकर संक्रांति 2020 कब है:
इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी 2020 को मनाई जाएगी. यह त्योहार मकर के सौर महीने और माघ के चंद्र माह में आता है, यही वजह है कि यह त्योहार मकर संक्रांति और माघ संक्रांति दोनों के रूप में लोकप्रिय है. मकर संक्रांति का त्योहार मौसम बदलने का संकेत देता है. सर्दी के बाद मकर संक्रांति से वसंत के आगमन का इशारा मिलता है. दिनों की अवधि भी लंबी हो जाती है. हिंदू ग्रंथों के अनुसार छह महीने का शुभ चरण, जिसे उत्तरायण भी कहा जाता है, संक्रांति के दिन से शुरू होता है.
मकर संक्रांति का महत्व और इस पर बनाएं जाने वाले व्यंजन
संक्रांति पर तिल और गुड़ से स्नैक्स बनाएं जाने का रिवाज है. राजस्थान में विवाहित महिलाएं एक दूसरे को घरेलू और सौदंर्य प्रसाधान से जुड़ी 13 चीजें देती हैं. इसके अलावा तिल पटटी, गजक, खीर, घेवर और तिल के लड्डू जैसे स्नैक्स भी देते हैं. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और गुजरात में लोग पतंग उड़ाकर बेहद ही उत्साह के साथ इस त्योहार को मनाते हैं. हरियाणा में लोग इस पर्व के मौके पर घी, आटा और ड्राई फ्रूट्स को मिलाकर चूरमा बनाते हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के त्रिवेणी संगम पर माघ मेले का आयोजन होता है जिसमें बड़ी संख्या में भाग लेते हैं, इस दौरान बहुत से लोग सूर्य देवता की उपासना कर पवित्र गंगा में डुबकी लगाते हैं. बंगाल में, उत्सव पूरे तीन दिनों तक चलता है. कहने ही जरूरत नहीं बाकी त्योहारों की तरह इस पर्व पर भी विभिन्न प्रकार व्यंजन बनाएं जाते हैं. दूध फूली, पतिशप्ता और गुड़ पेयश जैसे कुछ स्वादिष्ट व्यंजन बहुत लोकप्रिय हैं. हिमाचल में लोग बावली में डुबकी लगाते हैं और दोपहर के भोजन में खिचड़ी और गुड़ खाते हैं. महाराष्ट्र में पूरन पोली और तिल के लड्डू तैयार किए जाते हैं. महाराष्ट्र के लोगों के अभिवादन के रूप में परिवार और दोस्तों को तिल के लड्डू या 'तिलाची के लड्डू' अर्पित करते समय, "तिल गुड़ घया, आनी गोड़ गोड़ बोला", जिसका अर्थ है तिल और गुड़ खाएं और अच्छी तरह से बोलें. कर्नाटक में भी इसी तरह की प्रथा का पालन किया जाता है, जहां लोग एक दूसरे को "ईलू बेला थिंदू ओल माथड़ी" कहते हुए अभिवादन करते हैं, जिसका मतलब है 'तिल और गुड़ खाने के बाद सिर्फ अच्छा ही बोलें.
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