नेशनल मिल्क डे पर गूगल डूडल का डॉ. कुरियन को सलाम

नेशनल मिल्क डे पर गूगल डूडल का डॉ. कुरियन को सलाम

नई दिल्ली:

आज गूगल डूडल डॉ. वर्गीज़ कुरियन का 94 वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहा है। डॉ. वर्गीज़ को ‘श्वेत क्रांति के जनक’ के रूप में जाना जाता है, इन्हें अमूल के संस्थापक और निर्माता के रूप में याद किया जाता है। हालांकि, डॉ. कुरियन इससे कहीं ज़्यादा थे।

कुरियन का जन्म 1921 , ब्रिटिश भारत में केरल के कोझिकोड़ में हुआ था (जिसे कालीकट के नाम से जाना जाता है), उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों ने फाउंडेशन की महानता की नींव रखी। उन्होंने न सिर्फ मद्रास के जाने माने लोयोला कॉलेज से फिजिक्स की पढ़ाई की, बल्कि अपनी नॉलेज को और बढ़ाने के लिए वह टाटा स्टील टेक्नीकल इंस्टिट्यूट और मिसिगन स्टेट यूनिवर्सिटी पहुंचे (यहां उन्हें भारत सकार द्वारा दी गई स्कॉलरशिप की सहायता से दाखिला मिला था)।
डॉ. कुरियन एक सामाजिक उद्यमी थे, लोग उन्हें अमूल के संस्थापक के रूप में जानते हैं। उन्होंने ज़्यादा से ज़्यादा 30 संस्थानों की स्थापना की, जिसमें आईआरएमए (इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट आनंद) और जीसीएमएमएफ (गुजरात कॉपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन ) शामिल हें।

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यहां हम बता रहे हैं कुरियन के बारे में आठ दिलचस्प फैक्ट, जो आप नहीं जानते होंगे :

  • डॉ. कुरियन एक सीरियाई ईसाई परिवार से थे।
  • अपनी पढ़ाई के बाद वह यूएसए से वापस लौटे थे और उन्हें गुजरात के आणंद में सरकारी डेरी में नियुक्त किया गया था। उन्होंने पहले ही इस नौकरी को बीच में छोड़ने का मन बना लिया था, लेकिन उनके गुरु त्रिभुवनदास ने अमूल बनाने में मदद के लिए उन्हें ऐसा करने से रोका।
  • उन्होंने दूध की कमी वाले देश को भैंस के दूध जैसे अग्रणी प्रयोगों के माध्यम से दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक वाले देश में बदल दिया।
  • जिस व्यक्ति( डॉ. कुरियन) के नाम पर नेशनल मिल्क डे मनाया जाता है, उन्होंने खुद कभी दूध का स्वाद तक नहीं चखा।  
  • उनके नेतृत्व के अंतर्गत भारत में भैंस के दूध से स्किमड मिल्क पाउडर और कंडेन्सड मिल्क पाउडर बनाने की प्रक्रिया का अविष्कार किया गया।
  • वह क्राउड फंडिग के द्वारा श्याम बंगाल की नेशनल विजेता फिल्म 'मंथन' को फाइनेंस करने की सरल योजना के साथ आए। इसके लिए उन्होंने डेढ़ लाख किसानों में से हर किसान से दो रुपये लिए। फिल्म हिट हो गई और जिस फिल्म के बनने के लिए किसानों ने मदद की दी उसे देखने के लिए किसान ट्रकों में भरकर पहुंचे।
  • उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • इसके अलावा, उन्हें अपने जीवनकाल में 15 माननीय डिग्रियों से पुरस्कृत किया गया, इसमें उनकी अल्मा मेटर मशिगन स्टेस यूनिवर्सिटी भी शामिल है।