लंदन:
वैज्ञानिकों ने एक ऐसे नए बायोकैमिकल प्रक्रिया का पता लगाया है, जो सामान्य अवस्था और अस्थमा के दौरान फेफड़ों के ऑपरेशन की जानकारी उपलब्ध कराती है। अस्थमा गंभीर और लंबे समय तक रहने वाला रोग है, जो सांस लेने वाले पाइप को प्रभावित करता है। सास लेने वाला पाइप ही फेफड़ों से हवा को अंदर-बाहर करता है।
चूहों पर हुए इस शोध में यह समझने की कोशिश की गई है कि फेफड़ों में हवा किस प्रकार से अंदर आती है और बाहर जाती है। फेफड़ें छोटे ट्यूब से बने होते हैं, जिन्हें एयरवेज कहा जाता है। ये मांसपेशियों से घिरे होते हैं, जो हवा को फेफड़ों के अंदर और बाहर आने-जाने की अनुमति देती हैं।
अस्थमा और अन्य एयरवेज संबंधी रोग जैसे क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीस (सीओपीडी) की स्थिति में एयरवेज की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती है, जिससे एयरवेज टाइट हो जाता है और हवा के अंदर और बाहर के प्रवाह को रोक देता है।
इस शोध के बाद अस्थमा और अन्य सांस संबंधित रोगों के उपचार में मदद मिल सकती है।
यह शोध ‘नेशनल अकादमी ऑफ साइंसेज’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
चूहों पर हुए इस शोध में यह समझने की कोशिश की गई है कि फेफड़ों में हवा किस प्रकार से अंदर आती है और बाहर जाती है। फेफड़ें छोटे ट्यूब से बने होते हैं, जिन्हें एयरवेज कहा जाता है। ये मांसपेशियों से घिरे होते हैं, जो हवा को फेफड़ों के अंदर और बाहर आने-जाने की अनुमति देती हैं।
अस्थमा और अन्य एयरवेज संबंधी रोग जैसे क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीस (सीओपीडी) की स्थिति में एयरवेज की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती है, जिससे एयरवेज टाइट हो जाता है और हवा के अंदर और बाहर के प्रवाह को रोक देता है।
इस शोध के बाद अस्थमा और अन्य सांस संबंधित रोगों के उपचार में मदद मिल सकती है।
यह शोध ‘नेशनल अकादमी ऑफ साइंसेज’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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